India Loan: भारत में महिलाओं की आर्थिक क्रांति, लोन लेने में पुरुषों को पछाड़ रहीं महिलाएं!
भारत में महिलाएं अब पुरुषों से ज्यादा लोन ले रही हैं। पिछले 5 सालों में महिला लोन अकाउंट में 22% की सालाना वृद्धि हुई है। जानिए कैसे महिलाएं फाइनेंशियल पावर बढ़ा रही हैं।

भारत में महिलाओं की आर्थिक स्थिति तेजी से बदल रही है। वे अब केवल घर संभालने तक सीमित नहीं हैं, बल्कि बैंकों और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस से जमकर लोन भी उठा रही हैं। नीति आयोग की हाल ही में आई रिपोर्ट ‘From Borrowers to Builders’ के अनुसार, पिछले 5 वर्षों में महिला लोन अकाउंट में 22% की सालाना वृद्धि दर्ज की गई है।
ये आंकड़ा यह बताने के लिए काफी है कि महिलाएं अब आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही हैं। लेकिन सवाल यह है कि महिलाएं लोन लेकर आखिर कर क्या रही हैं? क्या वे बिजनेस के लिए लोन ले रही हैं, या फिर घर और पर्सनल जरूरतों के लिए? आइए जानते हैं इस रिपोर्ट से जुड़े दिलचस्प खुलासे।
लोन लेने में पुरुषों को पीछे छोड़ा!
रिपोर्ट के अनुसार, भारत में महिलाओं ने 42% लोन होम लोन, कंज्यूमर लोन और पर्सनल लोन के रूप में लिया। दिलचस्प बात यह है कि महज 3% महिलाओं ने बिजनेस के लिए लोन लिया। यानी, महिलाएं अभी भी अपने आर्थिक विकास को लेकर ज्यादा उत्साहित नहीं हैं, बल्कि उपभोग संबंधी जरूरतों को प्राथमिकता दे रही हैं।
ग्रामीण इलाकों में ज्यादा लोन
शहरों की तुलना में 60% महिला लोन अकाउंट सेमी-अर्बन और ग्रामीण क्षेत्रों से जुड़े हैं। यह दर्शाता है कि अब गांवों और छोटे कस्बों में भी महिलाएं खुद को आर्थिक रूप से मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ा रही हैं।
गोल्ड लोन है महिलाओं की पहली पसंद!
अगर आप सोच रहे हैं कि महिलाएं लोन के लिए क्या गिरवी रख रही हैं, तो इसका जवाब भी रिपोर्ट में दिया गया है।
38% महिलाओं ने गोल्ड लोन लिया, यानी उन्होंने अपने गहने गिरवी रखकर लोन लिया।
पर्सनल और होम लोन की हिस्सेदारी 42% रही।
जबकि सिर्फ 3% महिलाओं ने बिजनेस लोन लिया, जो अब भी एक बड़ी चिंता की बात है।
क्रेडिट स्कोर को लेकर भी जागरूक हुईं महिलाएं
रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय महिलाएं अब सिर्फ लोन लेने तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि वे अपने क्रेडिट स्कोर को लेकर भी ज्यादा जागरूक हो गई हैं।
- साल 2024 तक करीब 2.7 करोड़ महिलाओं ने अपने लोन पर नजर रखनी शुरू कर दी थी।
- युवतियों में क्रेडिट स्कोर चेक करने की दर सालाना 56% बढ़ रही है।
- इससे साफ जाहिर है कि महिलाएं अपने फाइनेंशियल फ्यूचर को लेकर पहले से ज्यादा सतर्क हो गई हैं।
बैंक और फाइनेंशियल सेक्टर के लिए सुनहरा अवसर!
नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रमण्यम के अनुसार, बैंकिंग सेक्टर के लिए यह एक सुनहरा मौका है। अगर वे महिलाओं के लिए स्पेशल लोन स्कीम्स लाते हैं, तो इससे महिला लोन धारकों की संख्या और भी तेजी से बढ़ सकती है।
बैंक और फाइनेंशियल कंपनियों को चाहिए कि वे महिलाओं को बिजनेस लोन के लिए प्रोत्साहित करें ताकि वे केवल उपभोग तक सीमित न रहें, बल्कि "उधारकर्ता से बिल्डर" बनने की दिशा में आगे बढ़ें।
निष्कर्ष: लोन लेकर महिलाएं क्या बदल रही हैं?
पिछले 5 वर्षों में महिला लोन अकाउंट में 22% सालाना वृद्धि दर्ज हुई।
60% लोन अकाउंट ग्रामीण और कस्बों की महिलाओं के नाम पर हैं।
42% महिलाओं ने होम, पर्सनल और कंज्यूमर लोन लिया, लेकिन सिर्फ 3% ने बिजनेस लोन लिया।
38% महिलाओं ने गोल्ड लोन लिया, जिससे गहनों को गिरवी रखने का चलन बढ़ा।
युवा लड़कियों में क्रेडिट स्कोर चेक करने की दर सालाना 56% बढ़ी।
अब सवाल यह उठता है कि क्या आने वाले वर्षों में महिलाएं केवल उपभोग के लिए लोन लेंगी या फिर बिजनेस के लिए भी ज्यादा से ज्यादा लोन लेकर भारत की आर्थिक वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी? यह देखना दिलचस्प होगा!
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