Delhi Election Bill: क्या 2029 में पूरे देश में एक साथ होंगे चुनाव? जानिए वन नेशन, वन इलेक्शन का पूरा सच!
वन नेशन, वन इलेक्शन बिल पर संसद में चर्चा! क्या 2029 में पूरे देश में एक साथ होंगे चुनाव? जानिए इसके फायदे, चुनौतियां और राजनीतिक असर।

भारत की चुनावी राजनीति में एक बड़ा बदलाव आने वाला है! "वन नेशन, वन इलेक्शन" यानी पूरे देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने का प्रस्ताव अब असलियत बनने के करीब है। मोदी सरकार ने इस विधेयक को केंद्रीय कैबिनेट से मंजूरी दे दी है और अब इसे संसद में पेश किया जाएगा। लेकिन क्या सच में 2029 में पूरे देश में एक साथ चुनाव होंगे? क्या इसके फायदे होंगे या फिर विपक्ष इसे रोकने के लिए कोई नया पैंतरा अपनाएगा? आइए, इस पूरे मामले को विस्तार से समझते हैं।
One Nation, One Election: क्या है ये बिल?
वन नेशन, वन इलेक्शन का मतलब है कि पूरे भारत में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ कराए जाएं। अभी तक देश में दोनों चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं, जिससे चुनावी खर्च, प्रशासनिक बोझ और बार-बार आचार संहिता लागू होने से विकास कार्यों में बाधा आती है। इसे लागू करने के लिए केंद्र सरकार ने सितंबर 2023 में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय कमेटी बनाई थी। इस कमेटी ने मार्च 2024 में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंप दी। इसके बाद, इस विधेयक को कैबिनेट में पेश किया गया, और अब इसे संसद में लाने की तैयारी है।
One Nation, One Election: किसे मिलेगा फायदा?
अगर यह विधेयक संसद में पास हो जाता है और सभी राजनीतिक दलों का समर्थन मिल जाता है, तो इससे कई फायदे हो सकते हैं:
चुनावी खर्च में भारी कटौती – हर बार चुनाव में करोड़ों रुपये खर्च होते हैं। एक साथ चुनाव से इस खर्च में कटौती होगी।
आचार संहिता का असर कम होगा – बार-बार आचार संहिता लागू होने से सरकारी योजनाओं और विकास कार्यों में देरी होती है।
मैनपॉवर का सही उपयोग – पुलिस बल और सरकारी मशीनरी को हर बार चुनावों में झोंकना पड़ता है। इससे बचा जा सकेगा।
राजनीतिक स्थिरता – लगातार चुनावी माहौल के कारण सरकारें लोकलुभावन फैसले लेती हैं, जिससे आर्थिक नीतियों पर असर पड़ता है।
1952 में भी हुआ था एक साथ चुनाव!
क्या आप जानते हैं कि भारत में पहले भी लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ हो चुके हैं? 1952, 1957, 1962 और 1967 में पूरे देश में एक साथ चुनाव कराए गए थे। लेकिन 1967 के बाद राज्यों में अस्थिर सरकारों, आपातकाल और अन्य राजनीतिक कारणों से यह सिलसिला टूट गया। अब मोदी सरकार फिर से इस परंपरा को वापस लाने की कोशिश कर रही है।
One Nation, One Election: क्या है सबसे बड़ी चुनौती?
हालांकि, इसे लागू करना उतना आसान नहीं है जितना सुनने में लगता है। इसके लिए संविधान में कई अहम बदलाव करने होंगे।
संविधान में संशोधन – इसके लिए सरकार को अनुच्छेद 83, 85, 172, 174, और 356 में संशोधन करना होगा।
राज्यों की सहमति जरूरी – अगर राज्यों ने विरोध किया तो इसे लागू करना मुश्किल हो सकता है।
विपक्ष की रणनीति – कई विपक्षी दल इस बिल का विरोध कर रहे हैं और इसे लोकतंत्र के लिए खतरा बता रहे हैं।
2029 में होंगे देशभर में एक साथ चुनाव?
अगर सब कुछ ठीक रहा, तो 2029 में पहली बार पूरे देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाएंगे। यह भारत के चुनावी इतिहास में सबसे बड़ा बदलाव होगा। लेकिन इसके लिए मोदी सरकार को दो-तिहाई बहुमत की जरूरत होगी, जो इतना आसान नहीं है।
अब जब यह विधेयक संसद में पेश होने वाला है, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या भारत एक बार फिर 1952 की चुनावी परंपरा को दोहराने जा रहा है या फिर राजनीतिक दलों के मतभेद इसे रोक देंगे। क्या यह बदलाव भारतीय राजनीति का भविष्य तय करेगा या यह सिर्फ एक सपना बनकर रह जाएगा? आपका क्या कहना है?
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