Jharkhand elephant : हाथियों का दल फसलों पर बना खतरा, किसान डरे-सहमे!
झारखंड और पश्चिम बंगाल की सीमा पर हाथियों के झुंड ने प्रवेश किया जंगल, किसानों की फसल पर मंडराया संकट, ग्रामीणों में दहशत।

पश्चिम बंगाल के लोधाशोली वन क्षेत्र से एक चिंताजनक खबर सामने आई है। झारखंड की सीमा से सटे पेनियाभांगा जंगल में मंगलवार सुबह हाथियों के एक दल ने राष्ट्रीय राजमार्ग (NH) पार करते हुए अचानक प्रवेश कर लिया। यह घटना न केवल पर्यावरण प्रेमियों को चौंका रही है, बल्कि झारखंड के दारिशोल और बड़शोल क्षेत्र के किसानों की नींदें भी उड़ा चुकी है।
ग्रामीणों में दहशत का माहौल
दारिशोल और बड़शोल क्षेत्र के ग्रामीणों का कहना है कि उनके खेतों में गरमा धान की फसल अभी तैयार खड़ी है, और कटाई का समय चल रहा है। लेकिन जैसे ही हाथियों के आने की खबर फैली, पूरे इलाके में तनाव फैल गया। किसान अब अपनी फसल को लेकर बेहद चिंतित हैं क्योंकि हाथियों के झुंड खेतों में घुसकर पूरी फसल रौंद सकते हैं।
स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि पहले से ही क्षेत्र के जंगलों में कुछ हाथियों ने डेरा डाल रखा है और अब एक और दल के आगमन से स्थिति और गंभीर हो गई है। खेतों की रखवाली में जुटे किसान अब पूरी रात पहरा देने को मजबूर हो चुके हैं।
इतिहास में झांकें तो…
हाथियों का इस तरह सीमावर्ती जंगलों में विचरण कोई नई बात नहीं है। झारखंड और पश्चिम बंगाल के इन सघन वन क्षेत्रों में वर्षों से हाथियों की आमद होती रही है। खासकर, जब जंगल में भोजन और पानी की कमी होती है या मानसून के बाद हाथियों का प्रवास शुरू होता है, तो ये झुंड मानव बस्तियों की ओर बढ़ते हैं।
इतिहास गवाह है कि 2012 में भी इसी क्षेत्र में हाथियों ने कई गांवों में कहर बरपाया था और हजारों रुपये की फसल बर्बाद कर दी थी। कई बार तो हाथियों और इंसानों के बीच टकराव इतना बढ़ गया कि जानमाल का नुकसान भी हुआ।
सरकार और वन विभाग की चुप्पी पर सवाल
ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग को समय रहते चेताया गया था, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। ना ही किसी तरह की टीम तैनात की गई है और ना ही किसानों को किसी प्रकार की सुरक्षा व्यवस्था दी गई है।
वन विभाग की यह उदासीनता एक बार फिर जंगल और इंसान के बीच संघर्ष को और बढ़ा सकती है। खासकर जब ये हाथी सीधे खेतों में घुसते हैं और पूरी फसल को कुछ ही घंटों में बर्बाद कर सकते हैं।
क्या हो सकता है समाधान?
इस तरह की घटनाओं से निपटने के लिए दीर्घकालिक रणनीति की जरूरत है। वन विभाग को चाहिए कि वह ग्रामीणों को प्रशिक्षण दे कि ऐसे हालात में कैसे खुद को और अपनी फसल को सुरक्षित रखें। साथ ही, हाथियों के मार्ग को चिन्हित करके वहां पर अवरोधक लगाए जाएं ताकि वे सीधे खेतों में प्रवेश न कर सकें।
इसके अलावा, स्थानीय प्रशासन को भी चाहिए कि वह ऐसे संकट के समय किसानों को राहत पैकेज देने का प्रावधान करे, ताकि उनकी मेहनत की कमाई हाथियों के कदमों तले कुचली न जाए।
अंत में…
झारखंड और बंगाल की सीमा पर यह हाथियों की हलचल किसानों के लिए किसी प्राकृतिक आपदा से कम नहीं है। अगर समय रहते वन विभाग और प्रशासन ने हस्तक्षेप नहीं किया, तो यह संकट और गहराता जाएगा। किसानों की फसल और भविष्य दोनों खतरे में हैं — और यही समय है जब सरकार को वन्यजीवों और ग्रामीणों के बीच संतुलन साधने के लिए गंभीर कदम उठाने चाहिए।
क्या प्रशासन नींद से जागेगा, या एक और नुकसान का इंतजार करेगा?
What's Your Reaction?






