Sahibganj Murder: बच्चा चोर समझकर मार डाला और जंगल में दफना दिया... 10 दिन बाद खुला खौफनाक राज!
साहिबगंज के बोरियो में बच्चा चोर की अफवाह में एक माला बेचने वाले युवक की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई। 10 दिन बाद जंगल से सड़ा-गला शव मिला, गांव में दहशत का माहौल।

साहिबगंज जिले के बोरियो थाना क्षेत्र में एक बार फिर इंसानियत को शर्मसार कर देने वाली घटना सामने आई है। दुर्गाटोला पंचायत के आसनबोना गांव में भीड़ ने बच्चा चोर समझकर एक मासूम माला विक्रेता को इतना पीटा कि उसकी जान चली गई। यही नहीं, हत्या के बाद शव को जंगल में चुपचाप दफना भी दिया गया — ताकि कोई सुबूत न बचे। लेकिन 10 दिन बाद पुलिस की सख्ती ने वो राज खोल दिया जो पूरे गांव को झकझोर गया।
मृतक की पहचान बिहार के भागलपुर जिले के एकडारा गांव निवासी रंजू उर्फ रंजन सोनी के रूप में हुई है, जो गांव-गांव घूमकर मोतियों की माला बेचा करता था। 26 अप्रैल को रंजू अपने साथी दीपक साह के साथ माला बेचने निकला था। दीपक तो उसी दिन घर लौट आया, लेकिन रंजू गायब हो गया। परिजनों ने उसकी खोजबीन शुरू की, और अंततः साहिबगंज के आसनबोना गांव में उन्हें सच्चाई पता चली — रंजू की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई है।
परिजनों ने जब इस बारे में पुलिस को जानकारी दी, तब बोरियो थाना पुलिस हरकत में आई। सोमवार शाम पुलिस ने 3 संदिग्धों को हिरासत में लिया, जिनसे पूछताछ में चौंकाने वाले खुलासे हुए। पूछताछ की कड़ियों को जोड़ते हुए पुलिस मुख्य दोषियों तक पहुंच गई। मंगलवार को इंस्पेक्टर नुनु देव रॉय, थाना प्रभारी पंकज वर्मा, और अन्य अधिकारियों की टीम ने गांव में दबिश दी और 10 लोगों को हिरासत में लिया। उनकी निशानदेही पर जंगल से रंजू का सड़ा-गला शव निकाला गया।
रंजू की मौत की कहानी दिल दहला देने वाली है। गांव के कुछ लोगों ने अफवाह फैलाई कि कोई बच्चा चोर गांव में घूम रहा है। अफवाह फैलते ही भीड़ ने रंजू को घेर लिया, बंधक बना लिया और बेरहमी से पीटना शुरू कर दिया। किसी ने उसकी बात नहीं सुनी, कोई पूछताछ नहीं की — बस अफवाह के नाम पर इंसाफ का फर्जी खेल शुरू हो गया। जब तक रंजू को होश रहा, वह अपनी पहचान बताता रहा, लेकिन अंधी भीड़ के सामने उसकी एक न चली।
हत्या के बाद शव को छिपाने के लिए गांव के बाहर घने जंगल में हाथ-पैर बांध कर दफना दिया गया। यह सब कुछ योजनाबद्ध तरीके से हुआ, ताकि कोई सुराग न बचे। लेकिन परिजनों की सतर्कता और पुलिस की त्वरित कार्रवाई ने इस केस को बेनकाब कर दिया।
थाना प्रभारी पंकज वर्मा ने जानकारी दी कि मृतक के भाई राहुल कुमार के आवेदन पर 10 लोगों के विरुद्ध गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया गया है। शव को पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल भेजा गया है, जहां से रिपोर्ट का इंतज़ार किया जा रहा है।
भारत में बच्चा चोर की अफवाहें पिछले कुछ वर्षों में कई मासूम लोगों की जान ले चुकी हैं। झारखंड, बिहार, महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्यों में भीड़ द्वारा हत्या (मॉब लिंचिंग) के कई केस सामने आए हैं, जिनमें सिर्फ शक के आधार पर लोगों को मार डाला गया।
रंजू की मौत भी इसी अमानवीय सोच की एक और कड़ी बन गई। क्या किसी को सिर्फ शक की बिना पर मौत की सज़ा देना इंसाफ है? क्या अफवाहें अब सच्चाई से भी ज्यादा ताकतवर बनती जा रही हैं?
अब जब पुलिस ने आरोपियों को पकड़ लिया है, गांव के लोग खौफ और पछतावे के साए में जी रहे हैं। लेकिन रंजू अब कभी वापस नहीं आएगा।
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