Kashmir Booking Craze: कश्मीर हमले के बाद भी नहीं थम रहा सैलानियों का उत्साह, ट्रेनों में नो रूम
कश्मीर में आतंकी हमले के बावजूद धनबाद से जम्मू और कश्मीर जाने वाली ट्रेनों में जबरदस्त भीड़ है। गर्मियों की छुट्टियों में सैलानियों का जोश चरम पर है, हर ट्रेन फुल बुकिंग पर।

कश्मीर के पहलगाम में हुए हालिया आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया है। पाकिस्तान विरोधी लहर एक बार फिर उफान पर है, और सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक गुस्से का माहौल है। लेकिन इस गुस्से और दुख के बीच एक सवाल जो सबको चौंका रहा है – क्या आम भारतीय डर गया है? जवाब है – नहीं! और इसका सबसे बड़ा सबूत है धनबाद से जम्मू और कश्मीर जाने वाली ट्रेनों की पूरी तरह बुक सीटें।
धनबाद से होकर चलने वाली कोलकाता-जम्मूतवी एक्सप्रेस और सियालदह-जम्मूतवी हमसफर एक्सप्रेस में अगले 60 दिनों तक कोई भी सीट खाली नहीं है। स्लीपर क्लास हो या एसी, सब फुल। यही नहीं, धनबाद-जम्मूतवी गरीब रथ स्पेशल जो हफ्ते में दो दिन चलती है, उसमें भी 24 मई तक की सभी सीटें बुक हो चुकी हैं। जून में भी अधिकांश तारीखों में सीटें नहीं मिल रही हैं।
यह स्थिति इस बात की तस्दीक करती है कि भारतीय सैलानी डरे नहीं हैं, बल्कि आतंक के खिलाफ एकजुट होकर आगे बढ़ रहे हैं। इतिहास गवाह है कि कश्मीर ने हर कठिन परिस्थिति के बाद भी अपने पर्यटकों का स्वागत खुले दिल से किया है। चाहे वो 1990 का उग्रवाद हो या 2019 में धारा 370 हटने के बाद की स्थिति – कश्मीर हर बार दोबारा खड़ा हुआ है।
गर्मी की छुट्टियों में ‘स्वर्ग’ की ओर रुख
इस महीने के मध्य तक स्कूलों में गर्मी की छुट्टियाँ शुरू होने वाली हैं, और हजारों परिवारों ने पहले से ही कश्मीर यात्रा की योजना बना ली है। कश्मीर की वादियों में बिताए कुछ दिन किसी सपने से कम नहीं होते, और यही कारण है कि सैलानी हर जोखिम के बावजूद उस सपने को जीने के लिए तैयार हैं।
ट्रेन टिकटों की बुकिंग डेटा को देखें तो कोलकाता-जम्मूतवी एक्सप्रेस में अगले 30 दिनों तक 'नो रूम' स्टेटस बना हुआ है। यह स्थिति दर्शाती है कि सिर्फ टिकट की वेटिंग ही नहीं, वेटिंग का भी टिकट नहीं मिल रहा। थर्ड एसी और सेकंड एसी में भी अगले 60 दिनों तक सीटें फुल हैं।
वैकल्पिक योजनाओं में वैष्णो देवी और हिमाचल भी शामिल
कुछ यात्री, जो हमले के बाद थोड़ी एहतियात बरत रहे हैं, वे जम्मू जाकर वैष्णो देवी और आसपास के पर्यटक स्थलों का रुख कर रहे हैं। इनमें से कई लोग पहले वैष्णो देवी के दर्शन करेंगे और फिर कश्मीर या हिमाचल की ओर बढ़ेंगे। कुछ यात्री सीधे हिमाचल प्रदेश की वादियों में छुट्टियाँ बिताने का मन बना चुके हैं, लेकिन ट्रेनों की भीड़ साफ दिखा रही है कि कश्मीर अभी भी सैलानियों की पहली पसंद बना हुआ है।
कश्मीर यात्रा: डर से नहीं, जज्बे से
आज का भारतीय पर्यटक सिर्फ प्रकृति का दीवाना नहीं, बल्कि साहसी भी है। आतंकी हमलों से भयभीत होना उसकी फितरत में नहीं है। कश्मीर अब सिर्फ एक टूरिस्ट डेस्टिनेशन नहीं रहा – यह एक भावना बन चुका है, जो हर बार आतंक को हाराता है।
धनबाद से कश्मीर जाने वाली ट्रेनों की बुकिंग देखकर यह साफ कहा जा सकता है कि हमले के बाद भी कश्मीर की ओर रुख करने वालों का मनोबल नहीं टूटा है। बल्कि लोगों का यही जोश आतंक के खिलाफ देश की एकजुटता को दर्शाता है।
ट्रेनों में भीड़, दिलों में जोश और आंखों में कश्मीर का ख्वाब
तो चाहे कोई हमले हों या डर का माहौल, कश्मीर की खूबसूरती के आगे सब फीका पड़ जाता है। धनबाद से जम्मू और कश्मीर जाने वालों की भीड़ यह बता रही है कि भारतीयों की हिम्मत आतंक से कहीं ज्यादा मजबूत है। देश जब एकजुट होता है, तब कोई खौफ उसे नहीं रोक सकता।
क्या आप भी कश्मीर की यात्रा पर जाने की सोच रहे हैं? तो देर मत कीजिए, क्योंकि अगली ट्रेन में शायद आपको वेटिंग भी न मिले!
क्या आप जानना चाहेंगे कि कश्मीर के कौन से इलाके अभी सुरक्षित माने जा रहे हैं?
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