Mahashivratri Grand Procession: शिवबारात में जीवंत होंगे 12 ज्योतिर्लिंग, भूत-प्रेत भी होंगे शामिल!

महाशिवरात्रि पर इस बार की शिवबारात होगी भव्य और अलौकिक! 12 ज्योतिर्लिंग की झांकियां, मोजिला भूत, कालकासुर और भूत-प्रेत करेंगे खास एंट्री। जानिए पूरी डिटेल!

Feb 25, 2025 - 17:31
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Mahashivratri Grand Procession: शिवबारात में जीवंत होंगे 12 ज्योतिर्लिंग, भूत-प्रेत भी होंगे शामिल!
Mahashivratri Grand Procession: शिवबारात में जीवंत होंगे 12 ज्योतिर्लिंग, भूत-प्रेत भी होंगे शामिल!

वाराणसी: महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर इस बार की शिवबारात को और भी भव्य और अलौकिक बनाने की तैयारी की गई है। पर्यटन विभाग द्वारा निकाली जाने वाली इस भव्य शोभायात्रा में 12 ज्योतिर्लिंग के रूप में झांकियां प्रस्तुत की जाएंगी, जहां हर ज्योतिर्लिंग के पुरोहित पूजा-अर्चना करते हुए नजर आएंगे। लेकिन इस बार की शिवबारात केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि समाज को संदेश देने वाली भी होगी।

बच्चों को मोबाइल की लत से दूर करने के लिए 'मोजिला भूत' शिवबारात में शामिल होगा, जो लोगों को डिजिटल युग की बुरी आदतों से सचेत करेगा। वहीं, कलयुग में बढ़ती कुरीतियों को दर्शाने के लिए 'कालकासुर' को विशेष रूप से तैयार किया गया है। उसके चार हाथों में अलग-अलग चीजें होंगी, जो समाज में हो रही बुराइयों को दर्शाएंगी।

12 ज्योतिर्लिंग की अलौकिक झांकी: अनोखा आध्यात्मिक अनुभव

महाशिवरात्रि के अवसर पर आयोजित यह शिवबारात न केवल एक धार्मिक शोभायात्रा होगी, बल्कि एक आध्यात्मिक यात्रा भी होगी। इस बार शोभायात्रा में भारत के 12 ज्योतिर्लिंग को झांकी के माध्यम से जीवंत किया जाएगा। ये 12 ज्योतिर्लिंग इस प्रकार हैं:

  1. सोमनाथ (गुजरात)
  2. मल्लिकार्जुन (आंध्र प्रदेश)
  3. महाकालेश्वर (मध्य प्रदेश)
  4. ओंकारेश्वर (मध्य प्रदेश)
  5. वैद्यनाथ (झारखंड)
  6. भीमाशंकर (महाराष्ट्र)
  7. रामेश्वरम (तमिलनाडु)
  8. नागेश्वर (गुजरात)
  9. विश्वनाथ (वाराणसी, उत्तर प्रदेश)
  10. त्र्यंबकेश्वर (महाराष्ट्र)
  11. केदारनाथ (उत्तराखंड)
  12. घृष्णेश्वर (महाराष्ट्र)

झांकियों में मौजूद पुरोहित इन ज्योतिर्लिंगों की पूजा-अर्चना करेंगे, जिससे शिवभक्तों को घर बैठे दर्शन करने का सौभाग्य मिलेगा।

आध्यात्मिकता और सामाजिक संदेश का संगम

शिवबारात केवल धार्मिक अनुष्ठान तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि इसमें समाज सुधार से जुड़े संदेश भी दिए जाएंगे।

मोबाइल की लत छुड़ाने आएगा 'मोजिला भूत'
बच्चों और युवाओं में मोबाइल की लत एक गंभीर समस्या बन गई है। इसी को ध्यान में रखते हुए इस बार शिवबारात में 'मोजिला भूत' को शामिल किया गया है। यह भूत बारात में लोगों को इस लत से बचने और अधिक से अधिक समय आध्यात्मिकता और परिवार के साथ बिताने की सीख देगा।

कालकासुर: कलयुग का प्रतिबिंब
इस बार 'कालकासुर' को बारात में शामिल किया गया है, जो समाज की बुराइयों को दर्शाने वाला होगा। उसके चारों हाथों में अलग-अलग प्रतीकात्मक चीजें होंगी, जो इस कलयुग में बढ़ती समस्याओं को दिखाएंगी। यह लोगों को सचेत करेगा कि किस तरह से नैतिकता, धर्म और सच्चाई कमजोर हो रहे हैं।

निशाचर खोपड़ी: सत्ता की लड़ाई का प्रतीक
बारात की एक अन्य झांकी में 'निशाचर खोपड़ी' भी शामिल होगी, जो सत्ता की अंधी दौड़ और कुर्सी के लिए हो रही राजनीति को दर्शाएगी। यह झांकी दिखाएगी कि कैसे लोग सत्ता पाने के लिए किसी भी हद तक जा रहे हैं, चाहे नैतिकता की कितनी भी बलि क्यों न देनी पड़े।

शिवबारात में होंगे ये अनोखे पात्र

इस बार की शिवबारात कई अलौकिक पात्रों से भरी होगी, जिनमें शामिल होंगे:
भूत-प्रेत और बेताल
डाकिन, पिशाच और चुड़ैल
नंदी और भृंगी
साधु-संन्यासी और राक्षस
हाथी-घोड़े और भांगड़ा बैंड

ढोल-नगाड़ों की गूंज, शिवभक्तों के जयकारों और आकर्षक झांकियों के साथ यह शिवबारात भक्तों के लिए अविस्मरणीय अनुभव बनने जा रही है।

इतिहास में शिवबारात की परंपरा

शिवबारात की परंपरा बहुत पुरानी है। यह मान्यता है कि महाशिवरात्रि की रात शिव-पार्वती का विवाह हुआ था, और इस अवसर पर शिव जी की बारात निकाली जाती है। प्राचीन काल से लेकर आज तक यह परंपरा चली आ रही है, जिसमें शिव के गण, साधु-संन्यासी, भूत-प्रेत और भक्तगण शामिल होते हैं।

वाराणसी, उज्जैन और कई अन्य तीर्थस्थलों पर इस दिन शिवबारात बड़े धूमधाम से निकाली जाती है। हर साल इस शोभायात्रा में हजारों श्रद्धालु शामिल होते हैं, और इस बार इसे और भी भव्य बनाने की पूरी तैयारी कर ली गई है।

शिवभक्तों के लिए खास व्यवस्था

इस महाशिवरात्रि पर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए विशेष व्यवस्था की गई है:
शिव मंदिरों में विशेष आरती और भजन संध्या
भंडारे और प्रसाद वितरण
झांकियों के माध्यम से धार्मिक शिक्षा
पर्यटन विभाग द्वारा विशेष गाइड सुविधा

महाशिवरात्रि पर इस बार की शिवबारात भक्ति और सामाजिक संदेश का संगम होगी। यह न केवल धार्मिक झांकियों से भरी होगी, बल्कि समाज को जागरूक करने का भी काम करेगी। 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन, मोजिला भूत का संदेश, कालकासुर की चेतावनी और निशाचर खोपड़ी की राजनीतिक व्याख्या इसे और भी आकर्षक बनाएंगे।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।