Ganga Cleanliness: Prayagraj Comment पर MNS Chief राज ठाकरे का विवादित बयान, बोले- ‘गंगा का गंदा पानी नहीं छूऊंगा’
MNS प्रमुख राज ठाकरे का गंगा स्नान पर विवादित बयान, बोले- ‘गंगा का गंदा पानी नहीं छूऊंगा’। कुंभ मेले पर उठाए सवाल, जानिए पूरा विवाद।

प्रयागराज: महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) प्रमुख राज ठाकरे एक बार फिर अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में हैं। इस बार उन्होंने महाकुंभ मेले और गंगा नदी के जल को लेकर ऐसी टिप्पणी कर दी, जिससे विवाद खड़ा हो गया। ठाकरे ने कहा कि वह गंगा के पानी को हाथ भी नहीं लगाएंगे, क्योंकि उसमें लाखों लोग स्नान कर चुके हैं। उनका यह बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, और कई लोग इसे धार्मिक भावनाओं से जोड़कर देख रहे हैं।
गंगा की सफाई पर उठाए सवाल
राज ठाकरे ने अपने बयान में कहा कि वह पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के समय से यह सुनते आ रहे हैं कि गंगा को साफ किया जाएगा, लेकिन आज तक कोई बदलाव नहीं दिखा। उन्होंने कहा, "देश में एक भी नदी साफ नहीं है, लेकिन लोग फिर भी बिना सोचे-समझे उनमें डुबकी लगाने जाते हैं।"
उन्होंने महाकुंभ मेले के दौरान गंगा में स्नान करने वालों का जिक्र करते हुए कहा, "लोगों को अंधविश्वास से बाहर आना चाहिए। स्नान करने से पाप धुल जाते हैं, यह केवल एक भ्रांति है।" ठाकरे ने कुंभ मेले से जुड़ा एक किस्सा भी साझा किया, जिसमें उन्होंने बताया कि किसी ने उन्हें कुंभ का जल पीने के लिए दिया, लेकिन उन्होंने यह कहकर इनकार कर दिया कि वह गंगा का गंदा पानी नहीं पी सकते।
गंगा में स्नान पर कसा तंज
ठाकरे ने कुंभ मेले की परंपरा पर सवाल उठाते हुए कहा, "सोशल मीडिया पर हम लोगों को गंगा में नहाते हुए देखते हैं। वहीं, मेरे एक सहयोगी ने मुझे वही पानी पीने के लिए दिया! बताइए, कौन इसे पीएगा?"
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि विदेशों में नदियों की स्थिति बहुत बेहतर है। वहां लोग नदियों को 'माँ' नहीं कहते, फिर भी वे उन्हें साफ रखते हैं। "हमारे देश में नदियों को पूजनीय माना जाता है, फिर भी उनमें गंदगी बहाई जाती है।"
क्या है कुंभ मेले का इतिहास?
महाकुंभ मेला हिंदू धर्म का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है, जो हर 12 साल में चार स्थानों - प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में आयोजित होता है। इस मेले में लाखों श्रद्धालु आते हैं और गंगा, यमुना व सरस्वती के पवित्र संगम में स्नान कर पुण्य लाभ कमाने की मान्यता रखते हैं।
इतिहास के अनुसार, कुंभ मेले की परंपरा सदियों पुरानी है। ऐसा माना जाता है कि जब समुद्र मंथन हुआ था, तब अमृत कलश से अमृत की कुछ बूंदें इन चार स्थानों पर गिरी थीं, जहां आज कुंभ मेले का आयोजन होता है।
राज ठाकरे के बयान से विवाद
राज ठाकरे के इस बयान के बाद कई हिंदू संगठनों ने उनकी आलोचना की है। सोशल मीडिया पर भी उनकी टिप्पणी को लेकर लोगों में नाराजगी देखी जा रही है। धार्मिक मामलों पर इस तरह की टिप्पणियां पहले भी विवादों का कारण बनती रही हैं, लेकिन ठाकरे के इस बयान ने कई लोगों की भावनाओं को आहत किया है।
अब देखना यह होगा कि राज ठाकरे अपने इस बयान पर सफाई देते हैं या नहीं, और क्या यह विवाद आगे और बढ़ता है?
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