Jharkhand Fire: पटाखा दुकान में अचानक लगी आग, शटर बंद होने के कारण पांच लोगों की मौत, जिसमें तीन बच्चे भी शामिल!
गढ़वा जिले में पटाखा दुकान में आग लगने से पांच लोगों की मौत, जिसमें तीन बच्चे भी शामिल! शटर गिराने का फैसला बना घातक, जानें पूरा मामला और हादसे से जुड़े बड़े सबक।

गढ़वा: झारखंड के गढ़वा जिले के रंका थाना क्षेत्र में सोमवार को एक भयावह घटना घटी, जब पटाखा दुकान में लगी आग ने पांच लोगों की जान ले ली। हादसे में तीन मासूम बच्चे भी शामिल थे। यह दर्दनाक हादसा तब हुआ जब दुकान का शटर गिराकर आग से बचाने की कोशिश की गई, लेकिन यह फैसला उल्टा पड़ गया और दुकान के अंदर मौजूद लोग बाहर नहीं निकल सके।
कैसे लगी आग? रहस्य बरकरार!
इस हादसे की शुरुआत दोपहर 12:30 बजे हुई, जब वनांचल ग्रामीण बैंक के सामने स्थित कुश कुमार की पटाखा दुकान में अचानक आग लग गई। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, दुकानदार चारपाई पर पटाखे रखकर बेच रहा था, तभी दुकान के बाहर आग भड़क उठी। घबराहट में लोगों ने दुकान का शटर गिरा दिया, लेकिन आग दुकान के अंदर तक पहुंच गई, जिससे अंदर मौजूद पांच लोगों की जान चली गई।
शटर गिराना बना घातक फैसला!
इस घटना का सबसे दर्दनाक पहलू यह था कि दुकान को बचाने के प्रयास में शटर गिराने का निर्णय लिया गया, लेकिन यही फैसला अंदर मौजूद लोगों के लिए जानलेवा साबित हुआ। आग इतनी तेजी से फैली कि किसी को बाहर निकलने का मौका तक नहीं मिला। मरने वालों में 7, 9 और 14 साल के तीन बच्चे और 32 व 45 साल के दो पुरुष शामिल थे।
झारखंड में पटाखा हादसों का इतिहास
झारखंड में पटाखों से जुड़ी घटनाएं कोई नई बात नहीं हैं। हर साल त्योहारों या लापरवाही के कारण पटाखों की वजह से कई घटनाएं सामने आती हैं। 2018 में भी धनबाद के झरिया में एक पटाखा गोदाम में लगी आग में चार लोगों की जान चली गई थी। इसी तरह, 2021 में रामगढ़ जिले में एक पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट हुआ था, जिसमें कई मजदूर घायल हुए थे।
क्यों बढ़ रहे हैं ऐसे हादसे?
- अवैध पटाखा दुकानें: बिना सुरक्षा मानकों के चल रही कई दुकानें समय-समय पर बड़े हादसों का कारण बनती हैं।
- असुरक्षित स्टोरेज: पटाखों को सुरक्षित तरीके से रखने के बजाय कई दुकानदार खुले में रखते हैं, जिससे आग लगने का खतरा बढ़ जाता है।
- जरूरी सुरक्षा उपायों की कमी: ज्यादातर पटाखा दुकानों में अग्निशमन यंत्र (फायर एक्सटिंग्विशर) तक नहीं होते, जिससे आग लगने पर स्थिति बिगड़ जाती है।
क्या कहती है पुलिस?
गढ़वा जिले के एसपी दीपक पांडे ने इस घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि फिलहाल आग लगने के कारणों की जांच की जा रही है। उन्होंने कहा, "मैं घटनास्थल से लौटने के बाद ही ज्यादा जानकारी दे सकूंगा।" वहीं, रंका के एसडीपीओ नीरज कुमार ने कहा कि दुकान काफी छोटी थी और हादसा इसलिए बड़ा हो गया क्योंकि शटर गिराने के कारण लोग अंदर ही फंस गए।
क्या इस हादसे से कोई सबक मिलेगा?
पटाखा व्यापार से जुड़े लोगों और प्रशासन को अब इस तरह के हादसों से सबक लेना चाहिए। जरूरी है कि:
- सुरक्षा मानकों को कड़ाई से लागू किया जाए।
- पटाखा दुकानों में फायर एक्सटिंग्विशर अनिवार्य किए जाएं।
- घनी आबादी वाले क्षेत्रों में पटाखा स्टोरेज पर रोक लगे।
अब आगे क्या?
फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है और यह पता लगाने की कोशिश में है कि आग किन कारणों से लगी। क्या यह एक हादसा था या लापरवाही का नतीजा? यह रिपोर्ट सामने आने के बाद ही स्थिति साफ हो पाएगी।
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