Adityapur Corruption: बिल्डरों की मनमानी से जनता बेहाल, नगर निगम बना मूकदर्शक!
आदित्यपुर नगर निगम में भ्रष्टाचार का नंगा नाच! सनराइज एनक्लेव के गंदे पानी से जनता बेहाल, नगर निगम मूकदर्शक। जानिए इस बिल्डर घोटाले की पूरी कहानी।

सरायकेला (Corruption Alert) – क्या आपको भी लग रहा है कि आपके शहर में निर्माण कार्यों की बाढ़ आ गई है, लेकिन सुविधाएं कहीं गायब हैं? अगर हां, तो सरायकेला जिले के आदित्यपुर नगर निगम की यह खबर आपको चौंका सकती है। यहां के भ्रष्टाचार की गंगा में अधिकारी और बिल्डर ऐसे गोते लगा रहे हैं कि आम जनता की परेशानियों को कोई देखने वाला नहीं बचा।
बिल्डरों के हौसले बुलंद, निगम अधिकारी बेखबर!
आदित्यपुर में बिल्डरों को नगर निगम से पूरी छूट मिली हुई है। नियमों की धज्जियां उड़ाकर सोसाइटी बनाई जा रही हैं, लेकिन उनके बुनियादी ढांचे की कोई सुध लेने वाला नहीं है। खासकर वार्ड नंबर 2 में स्थित सनराइज एनक्लेव सोसाइटी, जिसे सिद्धि विनायक होम मेकर ने बनाया है, वहां के लोगों के लिए मुसीबत बन चुकी है। इस सोसाइटी के मशहूर बिल्डर सूरज भदानी ने भले ही एक शानदार सोसाइटी बना दी हो, लेकिन यहां के ड्रेनेज सिस्टम की स्थिति इतनी बदतर है कि लोगों का जीना मुश्किल हो गया है।
सोचिए, करोड़ों की लागत से बनने वाली इस सोसाइटी में गंदे पानी की निकासी का कोई प्रबंध ही नहीं किया गया! नतीजा? सोसायटी का गंदा पानी सीधा सड़क पर बह रहा है, जिससे सालभर जलजमाव की समस्या बनी रहती है।
नगर निगम की आंखें क्यों बंद हैं?
नगर निगम की भूमिका पर सवाल उठना लाजमी है। नियमों की अनदेखी कर बनाई गई सोसाइटी का नक्शा कैसे पास हुआ? क्या नगर निगम के अधिकारी सिर्फ बिल्डरों की जेबें भरने में लगे हैं और जनता की समस्याओं से उनका कोई सरोकार नहीं?
अब हालात यह हो चुके हैं कि लोग इस इलाके में फ्लैट खरीदने से कतरा रहे हैं। सड़कें टूटी हुई हैं, चारों तरफ गंदगी का अंबार है, और पानी की निकासी का कोई ठोस इंतजाम नहीं किया गया।
क्या आपके इन्वेस्टमेंट पर भी खतरा है?
अगर आप भी आदित्यपुर में घर खरीदने की सोच रहे हैं, तो एक बार यह रिपोर्ट जरूर पढ़ लें। कहीं ऐसा न हो कि लाखों-करोड़ों की पूंजी लगाकर आप भी इस जलभराव और अव्यवस्था की भेंट चढ़ जाएं।
इतना ही नहीं, इस सोसाइटी की बदहाली का असर आसपास के अन्य प्रोजेक्ट्स पर भी पड़ रहा है। अन्य बिल्डरों की बिक्री भी प्रभावित हो रही है क्योंकि लोग गंदे पानी और अव्यवस्था के कारण यहां फ्लैट लेने से कतराने लगे हैं।
कौन लेगा जिम्मेदारी?
अब सवाल उठता है कि इस समस्या का समाधान कौन करेगा? नगर निगम के अधिकारी अपने एसी ऑफिस से बाहर निकलकर जनता की इस पीड़ा को कब समझेंगे? क्या बिल्डरों को नियमों के तहत काम करने के लिए कोई मजबूर करेगा?
आगे क्या?
अगर नगर निगम और बिल्डर जल्द इस समस्या का समाधान नहीं करते, तो यह क्षेत्र पूरी तरह से रहने लायक नहीं बचेगा। लोगों को मिलकर अपनी आवाज उठानी होगी, ताकि जिम्मेदार अधिकारियों पर दबाव बनाया जा सके।
आदित्यपुर का यह मामला सिर्फ एक सोसाइटी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह नगर निगम की लापरवाही और बिल्डरों की मनमानी का ज्वलंत उदाहरण है। अगर समय रहते इन समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया गया, तो आने वाले दिनों में हालात और भी खराब हो सकते हैं।
क्या आपके शहर में भी ऐसा हो रहा है? हमें कमेंट में बताएं!
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