India Shocked: EPF निकालते ही कट गए पैसे, जानिए कौन कर रहा आपकी कमाई पर वार!
EPF निकालते समय आपके पैसे क्यों कटते हैं? जानिए TDS, EPS और ट्रांसफर में देरी जैसे कारण, और कैसे बच सकते हैं इन कटौतियों से। पूरी जानकारी पढ़ें यहां।

आप सालों से तन-मन से नौकरी कर रहे हैं। हर महीने सैलरी से एक हिस्सा आपके भविष्य की सुरक्षा यानी EPF में जमा हो रहा है। यही वो रकम है जिस पर मुश्किल वक्त में हर कर्मचारी की उम्मीद टिकी होती है। लेकिन सोचिए, जब उस फंड को निकालने का समय आए और उसमें से मोटा हिस्सा पहले ही कट चुका हो, तो कैसा लगेगा? यही सच्चाई है, जो आज हजारों कर्मचारियों को चौंका रही है।
EPF क्या है, और क्यों इसे भरोसे का जरिया माना जाता है?
EPF यानी Employees' Provident Fund एक सामाजिक सुरक्षा योजना है, जिसे EPFO (Employees' Provident Fund Organisation) संचालित करता है। इसमें कर्मचारी और नियोक्ता दोनों हर महीने एक निश्चित राशि जमा करते हैं। इस पर मिलने वाला ब्याज इसे एक मजबूत फाइनेंशियल बैकअप बनाता है।
इसकी शुरुआत 1952 में हुई थी, जब भारत सरकार ने औद्योगिक कर्मचारियों के भविष्य को सुरक्षित करने के उद्देश्य से EPFO की स्थापना की। तब से लेकर आज तक करोड़ों भारतीयों की मेहनत की कमाई इसी फंड में सुरक्षित होती आई है।
लेकिन पैसा निकालते ही झटका क्यों?
सबसे बड़ा कारण है TDS यानी Tax Deducted at Source. अगर आप अपनी नौकरी में पांच साल पूरे होने से पहले EPF निकालते हैं, तो उस रकम पर टैक्स लागू हो जाता है। अगर आपके पास PAN है तो 10% और अगर PAN नहीं है तो पूरे 34.608% तक TDS कट सकता है।
हालांकि, अगर EPF की निकासी ₹50,000 से कम है, तो TDS नहीं लगता — लेकिन ये छूट भी हर किसी को नहीं मिलती।
EPF के साथ-साथ EPS की कहानी
यहां एक और बड़ा कारण है, जो अक्सर नजरअंदाज हो जाता है — EPS यानी Employee Pension Scheme. EPF की कुल राशि में से एक हिस्सा हर महीने EPS में भी जाता है। लेकिन जब आप EPF निकालते हैं, तो वो EPS वाला पैसा आपको नहीं मिलता। यही वजह है कि पासबुक में दिखाई देने वाली रकम और असली निकासी में अंतर आ जाता है।
पासबुक का खेल और तकनीकी झोल
कई बार कर्मचारी सोचते हैं कि उनके पासबुक में जो बैलेंस दिख रहा है, वही उन्हें मिलेगा। लेकिन अगर पिछले PF अकाउंट्स का फंड नए अकाउंट में ट्रांसफर नहीं हुआ है, तो बैलेंस mismatched होता है। ऊपर से, EPFO की वेबसाइट या Umang App पर पासबुक अपडेट में होने वाली देरी भी गड़बड़ बढ़ा देती है।
बेरोजगारी में निकासी के नियम क्या हैं?
अगर आप नौकरी छोड़ चुके हैं और एक महीने तक बेरोजगार हैं, तो आप अपने EPF का 75% निकाल सकते हैं। अगर बेरोजगारी दो महीने से ज्यादा रही, तो बाकी का 25% भी निकाल सकते हैं। लेकिन याद रखें — TDS का खतरा यहां भी बना रहता है।
बचाव कैसे करें?
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पांच साल पूरे होने तक इंतज़ार करें — टैक्स से बचना है तो यह सबसे सुरक्षित रास्ता है।
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PAN अपडेट रखें — ताकि TDS की दर 10% से ज्यादा ना हो।
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पासबुक नियमित रूप से चेक करें — Umang App, SMS या मिस्ड कॉल से बैलेंस जानें।
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सभी फॉर्म्स सही भरें — खासकर Form-19 और Form-10C, ताकि प्रक्रिया में कोई देरी ना हो।
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पुराने PF अकाउंट्स को जल्द से जल्द ट्रांसफर कराएं — इससे बैलेंस क्लियर रहेगा।
EPFO का सुझाव
EPFO खुद कहता है कि कर्मचारियों को जागरूक रहना चाहिए। उनका मानना है कि अगर सभी प्रक्रियाएं सही ढंग से पूरी की जाएं, तो पैसे की कटौती या देरी से बचा जा सकता है।
अंत में...
EPF आपकी मेहनत की गाढ़ी कमाई है। इसे निकालते समय अगर सतर्क नहीं रहे, तो बड़ी रकम हाथ से निकल सकती है। नियमों की जानकारी और सही दस्तावेज़ी प्रक्रिया से आप इन कटौतियों से बच सकते हैं।
इसलिए अगली बार जब EPF निकालने की सोचें, पहले पूरा हिसाब-किताब जांच लें... वरना आप भी कह बैठेंगे — "इतने पैसे तो पासबुक में थे, फिर कटे कैसे?"
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