Jamtara Crime: आदिवासी गांव में दो बच्चों की मां से दरिंदगी, ग्रामीणों ने आरोपी को पकड़कर सौंपा पुलिस को
जामताड़ा के नावाडीह गांव में गुरुवार रात आदिवासी समाज को झकझोर देने वाली घटना सामने आई। दो बच्चों की मां के साथ दुष्कर्म करने वाले आरोपी को ग्रामीणों ने रंगे हाथों पकड़कर पुलिस को सौंप दिया। पढ़ें पूरी रिपोर्ट।

झारखंड के जामताड़ा जिले में एक ऐसी घटना सामने आई है जिसने न सिर्फ आदिवासी समाज को, बल्कि पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया है। करमाटांड़ थाना क्षेत्र के नावाडीह गांव में गुरुवार देर रात हुई यह वारदात इस सवाल को जन्म देती है कि आखिर समाज में महिलाएं कब तक असुरक्षित रहेंगी?
रात का सन्नाटा और दरिंदगी की वारदात
गुरुवार की रात करीब 10 बजे गांव की एक आदिवासी महिला अपने दोनों बच्चों के साथ घर में सो रही थी। पति घर से बाहर गया हुआ था और चारों तरफ सन्नाटा पसरा हुआ था। इसी बीच गांव का ही युवक मिराज अंसारी दबे पांव घर में घुस आया। महिला को डराकर उसने जबरन उसके साथ दुष्कर्म किया।
महिला ने शोर मचाया तो आस-पास के ग्रामीण तुरंत दौड़ पड़े। लोग मौके पर पहुंचे और आरोपी को वहीं पकड़ लिया। गुस्साए ग्रामीणों ने उसे बंधक बना लिया और गांव में हंगामा मच गया।
ग्रामीणों का गुस्सा, पुलिस की तत्परता
सूचना मिलते ही करमाटांड़ थाना प्रभारी चंदन कुमार तिवारी, एसआई विकास कुमार तिवारी और महिला थाना प्रभारी सीमा कुमारी मौके पर पहुंच गए। ग्रामीणों ने आरोपी को पुलिस के हवाले कर दिया। इसके बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर शुक्रवार को कोर्ट में पेश कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
पीड़िता के बयान के आधार पर नामजद प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है और मामले की कानूनी कार्रवाई जारी है।
आदिवासी समाज में गुस्से की लहर
इस वारदात ने पूरे आदिवासी समाज को आक्रोशित कर दिया है। महिलाओं ने सवाल उठाया है कि आज भी गांवों में महिलाएं अपने ही घर में सुरक्षित क्यों नहीं हैं? कई ग्रामीणों ने कहा कि पहले भी इस इलाके में छेड़छाड़ की घटनाएं सामने आती रही हैं, लेकिन अबकी बार घटना ने सीमा तोड़ दी।
इतिहास की ओर देखें तो जामताड़ा और आसपास के इलाके में आदिवासी समाज अपनी संस्कृति और परंपराओं के लिए जाना जाता है। यहां करम पर्व, सोहराय, और करमा नृत्य जैसी परंपराएं गांवों की पहचान हैं। लेकिन समाज में जब ऐसी वारदात होती है, तो यह न सिर्फ महिलाओं की गरिमा पर चोट है बल्कि पूरी आदिवासी अस्मिता पर धब्बा है।
पुलिस-प्रशासन पर सवाल
ग्रामीणों का कहना है कि अगर पुलिस पहले से सतर्क रहती और गांवों में नियमित गश्ती होती तो ऐसी घटनाओं को रोका जा सकता था। इस मामले ने एक बार फिर कानून-व्यवस्था पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
हालांकि पुलिस अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि आरोपी को किसी भी हाल में सजा दिलाई जाएगी और महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए गांवों में पुलिस की गतिविधियां बढ़ाई जाएंगी।
सामाजिक चेतावनी
यह घटना केवल एक महिला के साथ हुई दरिंदगी की कहानी नहीं है, बल्कि पूरे समाज को यह चेतावनी देती है कि हमें अपनी बेटियों और बहनों की सुरक्षा के लिए जागरूक होना होगा। ग्रामीणों का साहस, जिन्होंने आरोपी को रंगे हाथों पकड़ा और पुलिस को सौंपा, यह दर्शाता है कि समाज अभी भी अन्याय और अपराध के खिलाफ खड़ा हो सकता है।
जामताड़ा की यह घटना हमें सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हम सच में उस समाज की ओर बढ़ रहे हैं जहां महिलाएं निर्भय होकर जी सकेंगी? या फिर अपराधियों का खौफ हमेशा मासूमों पर भारी पड़ेगा?
फिलहाल आरोपी जेल की सलाखों के पीछे है, लेकिन इस घटना ने जो सवाल खड़े किए हैं, उनके जवाब अभी भी समाज और सिस्टम दोनों को तलाशने होंगे।
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