India Collapse: 2030 तक मिडिल क्लास को बना दिया जाएगा गरीब, जानिए कैसे चुपचाप छीना जा रहा है आपका भविष्य
10 रुपये की मैगी और 1 करोड़ के फ्लैट का सच, जानिए कैसे छिपी हुई महंगाई, लोन का जाल और आर्थिक डिजाइन भारत के मिडिल क्लास को खत्म कर रहा है।

क्या आपने कभी सोचा है कि 10 रुपये की मैगी खाना तो सस्ता लग रहा है, लेकिन 1 करोड़ का फ्लैट खरीदना सपना क्यों बन गया है? क्या ये महज़ इत्तेफाक है या एक सोची-समझी चाल?
वित्तीय सलाहकार अभिजीत चोकसी का दावा है कि यह कोई संयोग नहीं बल्कि एक डिज़ाइन की गई आर्थिक रणनीति है, जो आने वाले 5 वर्षों में भारत के मिडिल क्लास को पूरी तरह खत्म कर सकती है। उनकी यह भविष्यवाणी सिर्फ एक चेतावनी नहीं, बल्कि आज की सच्चाई का आईना है।
"आप गरीब नहीं हो रहे, आपको गरीब बनाया जा रहा है"
अभिजीत चोकसी कहते हैं कि 2030 तक आम आदमी कम कमाएगा, ज़्यादा खर्च करेगा और समझ भी नहीं पाएगा कि ज़िंदगी कहां फिसल गई। असली वजह है इनविज़िबल इंफ्लेशन, यानि वो महंगाई जो आपकी जेब से पैसा निकाल रही है — बिना शोर किए।
इतिहास की कुछ परतें
भारत में मिडिल क्लास का उभार 90 के दशक में आर्थिक उदारीकरण के बाद तेजी से हुआ। लेकिन आज, उसी वर्ग को धीरे-धीरे दबाया जा रहा है। पहले जहां ₹20 लाख में 2BHK फ्लैट मिल जाता था, वहीं अब उसी शहर में ₹1 करोड़ में भी जगह तंग हो गई है।
दो तरह की महंगाई: दिखाई देने वाली और छुपी हुई
चोकसी के अनुसार:
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विज़िबल इंफ्लेशन: जो आप रोज़ देख रहे हैं — पेट्रोल ₹90 से ₹105, दूध ₹60 से ₹75, EMI आसमान छूती, सब्जियों के दाम दिन-दोगुना।
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इनविज़िबल इंफ्लेशन: जहां चीजें महंगी नहीं लगतीं, पर आप कम पा रहे होते हैं। जैसे बिस्किट का पैकेट वैसा ही दिखता है, लेकिन अंदर दो बिस्किट कम हो गए हैं। यही है श्रिंकफ्लेशन, जो आपकी क्रयशक्ति को खा रही है।
"सिस्टम फेल नहीं है, ये ऐसे ही काम करने के लिए बना है"
चोकसी कहते हैं कि:
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सेंट्रल बैंक लगातार पैसा छाप रहे हैं, जिससे मुद्रा का मूल्य गिर रहा है।
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ग्लोबल सैंक्शन्स से तेल के दाम बेतरतीब हो गए हैं।
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कॉरपोरेट कंपनियां क्वालिटी घटाकर मुनाफा बढ़ा रही हैं।
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EMI, क्रेडिट कार्ड और आसान लोन के नाम पर आपको कर्ज में धकेला जा रहा है, ताकि आप लगातार खर्च करते रहें, बचत न कर पाएं।
डिजिटल युग में भी सुरक्षित नहीं हैं आप
2025 के बाद, चोकसी एक नई चीज़ की चेतावनी देते हैं — डिजिटल इंफ्लेशन।
यह कैसे होता है?
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Netflix जैसी सेवाएं महंगी होती जा रही हैं, लेकिन कंटेंट घट रहा है।
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डिजिटल सब्सक्रिप्शन की कीमतें तो बढ़ रही हैं, लेकिन मिलने वाला कंट्रोल, कंटेंट और ओनरशिप धीरे-धीरे गायब हो रही है।
आम आदमी की कमाई बढ़ी नहीं, कीमतें आसमान पर
सालों से सैलरी में मामूली बढ़ोतरी हो रही है, लेकिन रियल एस्टेट और ज़रूरी चीज़ों की कीमतें 5x हो चुकी हैं। जब आप हर महीने वही ₹2,000 का ग्रॉसरी बैग उठाते हैं, पर वो पहले से हल्का लगता है — तो समझ जाइए, पैसा नहीं घटा, पैसे की वैल्यू घट गई है।
क्या करें?
चोकसी की सलाह:
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सिर्फ सेविंग्स नहीं, स्किल्स में निवेश करें — क्योंकि स्किल्स ही भविष्य की करेंसी है।
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लोन से दूर रहें — आसान EMI कभी भी आज़ादी नहीं देती।
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ज़मीन और सोने में निवेश करें — क्योंकि यही इन्फ्लेशन के समय आपकी ढाल बन सकते हैं।
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सिस्टम को समझें, उसमें फंसे नहीं।
अब भी समय है चेत जाने का
2030 बहुत दूर नहीं है। अगर अभी भी हम समझदारी नहीं दिखाते, तो आने वाला कल सिर्फ खर्चों और कर्ज़ में डूबा रहेगा। याद रखिए — "आप सुस्त नहीं हुए, बल्कि पैसा कमज़ोर हो गया।"
अगली बार जब कोई आपको कहे कि मिडिल क्लास की हालत खुद की वजह से खराब है, तो ये लेख उन्हें ज़रूर पढ़ाएं। क्योंकि अब वक्त है — आँखें खोलने का, और खुद को इस 'डिज़ाइन की गई गरीबी' से बचाने का।
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