India Policy: संजय मल्होत्रा के बयान से खुला ब्याज दरों में कटौती का रास्ता, आपकी EMI हो सकती है सस्ती!
आरबीआई के उदार रुख और संजय मल्होत्रा के संकेतों से ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद बढ़ गई है। क्या आपकी EMI सस्ती होने वाली है? जानिए संपूर्ण विश्लेषण।

"मैं संजय हूं... महाभारत का संजय नहीं!"
यह वाक्य एक सादा-सा जोक लग सकता है, लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था के नजरिए से यह बड़ा संकेत है।
यह बात वित्त सचिव संजय मल्होत्रा ने तब कही जब उनसे भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के भविष्य के मौद्रिक रुख के बारे में पूछा गया। और उनका जवाब अब देशभर के आम लोगों की जेब पर असर डाल सकता है।
क्या है RBI का नया मूड?
अब तक रिज़र्व बैंक का रुख "तटस्थ" यानी neutral था। लेकिन अब मल्होत्रा के बयान से संकेत मिलते हैं कि RBI आने वाले समय में ब्याज दरों में कटौती कर सकता है।
मौद्रिक नीति अब "उदारवादी" (accommodative) हो सकती है, यानी ब्याज दरें घटेंगी ताकि बाजार में लिक्विडिटी बढ़े और लोग कर्ज लेने के लिए प्रेरित हों।
उन्होंने कहा –
“RBI या तो दरें इस स्तर पर रखेगा या फिर घटाएगा। मैं भविष्य नहीं देख सकता, लेकिन दिशा साफ है – नीचे की तरफ।”
EMI घटेगी, सपने पूरे होंगे?
रेपो रेट, यानी वह दर जिस पर RBI बैंकों को अल्पकालिक कर्ज देता है, फरवरी 2025 में घटाकर 6.25% किया गया था।
अब RBI ने स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी (SDF) की दर भी घटाकर 5.75% कर दी है।
इसका मतलब?
बैंकों को पैसा सस्ता मिलेगा
बैंक सस्ते लोन देंगे
होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन की EMI सस्ती हो सकती है
Bank of India और UCO Bank ने तो RBI के फैसले के चंद घंटे बाद ही ब्याज दरों में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर दी।
भारत की आर्थिक दिशा में बदलाव
संजय मल्होत्रा ने 2025-26 के लिए GDP ग्रोथ का लक्ष्य 6.7% से घटाकर 6.5% कर दिया है।
महंगाई का अनुमान भी 4.2% से घटाकर 4% किया गया है।
क्यों?
क्योंकि वैश्विक स्तर पर अनिश्चितता, अमेरिकी ब्याज नीति और गिरते अंतरराष्ट्रीय व्यापार ने भारत की विकास यात्रा को धीमा कर दिया है।
हालांकि अच्छी खेती और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट इस बार थोड़ी राहत दे रही है।
REPO RATE: क्या है इसका इतिहास और असर?
रेपो रेट की शुरुआत 1990 के दशक में भारत की आर्थिक उदारीकरण नीति के दौरान हुई थी।
RBI इसे इस्तेमाल करता है:
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बाज़ार में नकदी बढ़ाने/घटाने के लिए
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महंगाई नियंत्रित करने के लिए
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कर्ज लेने वालों को राहत या सख्ती देने के लिए
जब यह दर कम होती है, तो आप जैसे आम लोगों को लोन सस्ते में मिलते हैं, जिससे:
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EMI घटती है
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बाजार में खर्च बढ़ता है
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अर्थव्यवस्था में तेजी आती है
बैंकों के पास पैसे की भरमार!
HDFC Bank की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के बैंकिंग सिस्टम में अभी ₹1.33 लाख करोड़ का अतिरिक्त फंड मौजूद है, जो लोन के रूप में दिया जा सकता है।
इसलिए RBI अब बैंकों को प्रेरित कर रहा है कि वे इस धन को लोगों और उद्योगों तक पहुंचाएं।
लेकिन... सबकुछ इतना आसान नहीं!
हालांकि RBI का रुख नरम है, लेकिन उन्होंने ये भी कहा है कि सावधानी जरूरी है।
महंगाई अचानक बढ़ सकती है, अंतरराष्ट्रीय तेल कीमतें फिर चौंका सकती हैं, और अमेरिकी नीतियों का भी भारत पर असर हो सकता है।
EMI घटेगी या नहीं?
संजय मल्होत्रा का बयान आने वाले महीनों में एक नई आर्थिक दिशा का संकेत है।
अगर आप होम लोन लेने की सोच रहे हैं या आपकी EMI भारी पड़ रही है, तो अब राहत मिलने के पूरे आसार हैं।
लेकिन याद रखें – RBI नीतियां धीरे-धीरे असर दिखाती हैं।
अभी तो शुरुआत है… असली राहत आने वाले महीनों में देखने को मिल सकती है।
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