Jamtara Raid: ड्रोन, सिम और लाखों कैश के साथ दबोचे गए 3 साइबर ठग, खुला फर्जीवाड़े का सिंडिकेट!
जामताड़ा में साइबर थाना की टीम ने गुप्त सूचना के आधार पर तीन साइबर अपराधियों को रंगेहाथ पकड़ा। नकद 2.95 लाख, मोबाइल, सिम और ड्रोन जब्त। जानिए कैसे पूरे देश में फैला है इनका फिशिंग सिंडिकेट।

देशभर में बदनाम हो चुका झारखंड का जामताड़ा एक बार फिर सुर्खियों में है। लेकिन इस बार कोई नया स्कैम नहीं, बल्कि उस स्कैम को अंजाम देने वाले ठगों पर सीधी चोट की गई है। बुधवार को जामताड़ा साइबर थाना की टीम ने तीन कुख्यात साइबर अपराधियों को धर दबोचा। यह सिर्फ गिरफ्तारी नहीं, बल्कि एक पूरे फिशिंग सिंडिकेट का भंडाफोड़ है जो ओडिशा, बिहार, जम्मू-कश्मीर और बंगाल जैसे राज्यों तक फैला हुआ था।
गुप्त सूचना, मैदान में घेराबंदी और एक्शन ऑन स्पॉट
गुप्त सूचना के आधार पर इंस्पेक्टर मनोज कुमार महतो के नेतृत्व में एक विशेष टीम बनाई गई थी। टीम ने नारायणपुर थाना क्षेत्र के रायडीह खाली मैदान में छापेमारी कर तीन साइबर ठगों को रंगेहाथ पकड़ा। इन अपराधियों के नाम हैं:
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कमल मंडल (धनबाद, चरकखुर्द गांव)
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मनोज मंडल (नारायणपुर, मोहनपुर गांव)
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रोबिन मंडल (गिरिडीह, पिपरासिंघा गांव)
गिरफ्तारी के बाद इनके पास से ₹2.95 लाख नकद, ड्रोन सेट, चार पहिया वाहन, बाइक, 16 सिम कार्ड, 10 मोबाइल, 4 एटीएम कार्ड, पैन कार्ड, आधार कार्ड और अन्य कई डिवाइस बरामद हुए।
Phishing का खेल: कैसे बनता है शिकार आपका मोबाइल?
एसपी डॉ. ऐहतेशाम वकारिब ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि ये आरोपी किसी आम गिरोह की तरह नहीं, बल्कि एक साइबर सिंडिकेट की तरह काम करते हैं। ये ऊपर लेवल के साइबर ठगों से एपीके ऐप्स (APK) खरीदते हैं — जिनमें नकली बैंकिंग या रिवार्ड ऐप्स होते हैं।
फिर ये ऐप्स देशभर में फैले नीचे लेवल के फिशिंग एक्सपर्ट्स को बेचते हैं — कीमत होती है ₹15,000 से ₹20,000 तक। ये ठग इन ऐप्स के ज़रिए लोगों को फोन पे कैशबैक, रिवार्ड्स, बैंक ऑफर जैसे झूठे लालच में फंसा कर OTP ले लेते हैं और अकाउंट खाली कर देते हैं।
खास बात ये कि जब ठगी से पैसा आता है, तो ये उसे एटीएम से निकालकर सिंडिकेट के अनुसार बांटते हैं — एकदम फिल्मी तरीके से।
Jamtara Series से ज्यादा खतरनाक असली जामताड़ा
2019 में आई वेब सीरीज 'Jamtara - Sabka Number Ayega' ने जिस रैकेट की झलक दी थी, उसका रियल वर्जन इससे भी ज्यादा पेचीदा और खतरनाक है। जामताड़ा अब साइबर अपराधियों की राजधानी मानी जाती है। एक समय में यहां के गांवों में हर तीसरे घर से कोई "फोन करने वाला लड़का" होता था।
सरकार और पुलिस की कड़ी निगरानी के बावजूद ये गिरोह हर बार नए-नए तरीके अपनाकर लोगों को ठगते आ रहे हैं। लेकिन इस बार की गिरफ्तारी से साइबर क्राइम की रीढ़ मानी जा रही एक चेन को तोड़ा गया है।
इतनी हाईटेक गिरफ्तारी, पहली बार!
क्या आप यकीन करेंगे कि इन ठगों के पास ड्रोन कैमरा भी था? पुलिस के अनुसार, ये ड्रोन का इस्तेमाल निगरानी रखने और पकड़े जाने से बचने के लिए करते थे। यानी अब साइबर ठगी सिर्फ लैपटॉप या मोबाइल तक सीमित नहीं रही — ये अपराधी हाईटेक जासूसों जैसे उपकरण भी इस्तेमाल कर रहे हैं।
क्या अगला नंबर आपका है?
अगर आपने भी किसी मैसेज, कॉल या ऐप पर 'रिवार्ड', 'कैशबैक', 'फ्री गिफ्ट' जैसे शब्द देखे हों — तो हो सकता है कि आपका नंबर इस फिशिंग लिस्ट में आ चुका हो।
याद रखें:
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कोई भी बैंक OTP नहीं मांगता।
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किसी भी लिंक को बिना जांचे न खोलें।
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और सबसे जरूरी — साइबर हेल्पलाइन 1930 को अलर्ट करें।
जामताड़ा पुलिस की कड़ी मेहनत का सलाम
इस ऑपरेशन में इंस्पेक्टर डी.के. वर्मा, एसआई बिनोद सिंह और अन्य पुलिसकर्मियों ने दिन-रात मेहनत कर देश को एक बड़ी साइबर आफत से बचाया है। तीनों अपराधियों को अब जेल भेजा जा चुका है।
अब सवाल है — क्या जामताड़ा सिर्फ एक वेब सीरीज है या एक चेतावनी?
देश को जवाब देना होगा। और सबसे पहले सतर्क रहना होगा।
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