Mumbai Mastermind Arrest: 16 साल बाद भारत लौटा 26/11 का खौफ, तहव्वुर राणा से खुलेंगे आतंक के राज!
मुंबई हमलों के आरोपी तहव्वुर राणा को अमेरिका से भारत लाया गया। विशेष विमान से दिल्ली लाकर एनआईए की हिरासत में सौंपा गया। यह भारत की कूटनीति और न्याय प्रक्रिया की बड़ी जीत मानी जा रही है।

नई दिल्ली: 2008 की वो रातें शायद ही कोई भारतीय भूला हो, जब मुंबई की गलियों में गोलियों की गूंज और खून की नदियां बह रही थीं।
नरीमन हाउस, ताज होटल, सीएसटी स्टेशन — सब दहशत के गवाह बन गए थे। अब 16 साल बाद, उन्हीं हमलों के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक तहव्वुर हुसैन राणा को अमेरिका से भारत लाकर एनआईए की गिरफ्त में सौंप दिया गया है।
ये सिर्फ एक आरोपी की वापसी नहीं, ये भारत की कूटनीति, कानून और आतंक के खिलाफ लड़ाई का सबसे बड़ा पलटवार है।
कैसे हुई प्रत्यर्पण की बड़ी जीत?
राणा, जो मूलतः पाकिस्तानी नागरिक और अब कनाडाई पासपोर्ट धारक है, लंबे समय से अमेरिका में बंद था।
उसने भारतीय अदालत में पेशी से बचने के लिए अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट तक अपील की, लेकिन कोर्ट ने भी उसे राहत नहीं दी।
उसके बाद, एक विशेष विमान के जरिए उसे कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के तहत दिल्ली के पालम एयरफोर्स स्टेशन लाया गया, जहां बम निरोधक दस्तों की तैनाती और उच्च स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था पहले से तैयार थी।
NIA मुख्यालय में पूछताछ का दौर शुरू
जैसे ही राणा को भारत लाया गया, उसे राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के मुख्यालय ले जाया गया।
सूत्रों के अनुसार, यहां उससे डेविड कोलमैन हेडली, हाफिज सईद और लखवी से जुड़े सवालों पर लंबी पूछताछ होगी।
उसका भारत आना इसलिए भी अहम है क्योंकि राणा ने मुंबई में एक फर्जी एजेंसी के जरिए हमलों की साजिश में मदद की थी।
तिहाड़ में आतंकियों का नया मेहमान
राणा को जल्द ही तिहाड़ जेल के उच्च सुरक्षा वार्ड में शिफ्ट किया जा सकता है।
उसके लिए विशेष निगरानी और अलग सेल तैयार की गई है। जेल प्रशासन अदालती आदेश का इंतजार कर रहा है, जिसके बाद उसे न्यायिक हिरासत में भेजा जाएगा।
इजरायल से भी आई प्रतिक्रिया – भारत की जीत
मध्य-पश्चिम भारत में इजरायल के महावाणिज्यदूत कोब्बी शोशनी ने भी इस कार्रवाई की सराहना करते हुए कहा:
“यह भारत सरकार की कूटनीति की शानदार जीत है। मुंबई के 3 दिनों की त्रासदी को हम नहीं भूल सकते। राणा को लाना एक बड़ा संदेश है — आतंक के सरगनाओं को अब सुरक्षित पनाहगाह नहीं मिलेगी।”
26/11 की परतें: अब खुलेंगे कई राज
पूर्व डीजीपी एसपी वैद का कहना है कि,
“तहव्वुर राणा की भारत वापसी से मुंबई हमलों के पीछे की कई नई परतें खुलेंगी। उसने हेडली की हर हरकत में उसका साथ दिया। आईएसआई और पाकिस्तानी सेना की भूमिका की जांच में भी अहम सुराग मिल सकते हैं।”
बताया जा रहा है कि पाकिस्तान की आईएसआई के इशारे पर इस पूरी साजिश को अंजाम दिया गया, जिसमें पाकिस्तानी सेना के दो मेजर की संलिप्तता सामने आ चुकी है।
क्या अब हाफिज और लखवी की बारी?
अब बड़ा सवाल यह है — क्या तहव्वुर राणा की गिरफ्तारी से हाफिज सईद और जकी-उर-रहमान लखवी जैसे मास्टरमाइंड्स तक पहुंच बनेगी?
भारत की एजेंसियां अब इस दिशा में तेजी से काम करेंगी।
26/11 के ज़ख्म अभी भी जिंदा हैं, और देश अब इंतजार कर रहा है पूरा सच सामने आने का।
यह शुरुआत है अंत की
तहव्वुर राणा का भारत आना सिर्फ एक गिरफ्तारी नहीं — यह उस अधूरी लड़ाई की एक बड़ी उपलब्धि है, जो 2008 से न्याय की मांग कर रही थी।
अब जब जांच की दिशा में नई जान पड़ी है, देश को उम्मीद है कि न सिर्फ परदे के पीछे छिपे चेहरे बेनकाब होंगे, बल्कि आतंक का वो चेहरा भी हमेशा के लिए मिटेगा, जिसने मुंबई की आत्मा को छलनी कर दिया था।
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