Jamshedpur Inspection: सरकारी ज़मीन पर शिकंजा! उपायुक्त का बड़ा एक्शन
जमशेदपुर में उपायुक्त अनन्य मित्तल ने अंचल कार्यालय का निरीक्षण करते हुए सरकारी ज़मीन पर अवैध कब्जे, म्यूटेशन और नामांतरण मामलों की सख्त जांच के निर्देश दिए। जानें क्या कुछ निकला जांच में।

जमशेदपुर में सरकारी जमीनों की बंदरबांट और अफसरशाही की लापरवाही पर अब प्रशासन ने सख्त रुख अख्तियार कर लिया है। उपायुक्त अनन्य मित्तल ने अचानक जमशेदपुर अंचल कार्यालय का निरीक्षण किया और कई अनियमितताओं पर गहरी नजर डाली। ये निरीक्षण महज एक औपचारिकता नहीं था—बल्कि इसमें वो सख्त आदेश और कार्रवाई शामिल थी, जिसने कई कर्मियों की नींद उड़ा दी।
इतिहास की परतें खोलता यह मामला…
झारखंड, खासकर जमशेदपुर जैसे औद्योगिक शहर में सरकारी जमीनों की कीमतें आसमान छू रही हैं। ऐसे में पिछले एक दशक में कई बार टाटा लीज, सरकारी भूमि हस्तांतरण, और अवैध कब्जे से जुड़ी शिकायतें सामने आती रही हैं। जमीनों का म्यूटेशन, नामांतरण और अवैध जमाबंदी जैसे विषय वर्षों से आम जनता को परेशान करते रहे हैं।
इस पृष्ठभूमि में उपायुक्त का निरीक्षण एक निर्णायक कदम माना जा रहा है।
क्या-क्या देखा उपायुक्त ने?
निरीक्षण के दौरान उपायुक्त ने:
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आगत-निर्गत पंजी, नीलाम पत्रवाद, और लगान निर्धारण की फाइलें देखीं।
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कैशबुक, भूमि संबंधित मामलों जैसे सरकारी भूमि पर अतिक्रमण, म्यूटेशन, नामांतरण और टाटा लीज मामलों की जांच की।
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जिले से भेजे गए पत्रों के अनुपालन का भी गहन अवलोकन किया।
उन्हें शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में लंबित म्यूटेशन के मामलों पर विशेष चिंता रही और उन्होंने सख्त निर्देश दिया कि इनका निष्पादन शीघ्रता से हो, ताकि आम नागरिकों को बार-बार कार्यालय के चक्कर न काटने पड़े।
सरकारी ज़मीन पर नज़र रखने का आदेश!
उपायुक्त मित्तल ने यह स्पष्ट रूप से कह दिया कि अब कोई भी सरकारी जमीन पर अवैध निर्माण या कब्जा करता है, तो संबंधित क्षेत्र के सरकारी कर्मी की सीधी जिम्मेदारी तय होगी और बर्खास्तगी तक की कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
उन्होंने कहा कि:
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यदि सरकारी ज़मीन पर अतिक्रमण की आशंका हो, तो स्वत: संज्ञान लेकर नोटिस जारी करें।
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सर्वे और जेपीएलई अभियान चलाकर अतिक्रमण हटाएं।
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राज्य या केंद्र सरकार की जमीन पर हो रही किसी भी खरीद-बिक्री पर तुरंत कार्रवाई हो।
कार्यालय संचालन पर भी रही नज़र
निरीक्षण के दौरान उपायुक्त ने बायोमेट्रिक उपस्थिति की भी जांच की। उन्होंने कहा कि बिना बायोमेट्रिक उपस्थिति कोई भी कर्मचारी हाजिर नहीं माना जाएगा। उन्होंने समय से आने और ईमानदारी से ड्यूटी निभाने की कड़ी हिदायत दी।
इसके साथ ही, कार्यालय के इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने, सभी दस्तावेज़ों को सुव्यवस्थित रखने और पूर्ण पारदर्शिता के साथ कार्य निष्पादन करने के निर्देश भी दिए गए।
कौन-कौन रहे मौजूद?
इस मौके पर अपर उपायुक्त भगीरथ प्रसाद और जमशेदपुर सदर अंचल अधिकारी मनोज कुमार भी उपस्थित थे। दोनों अधिकारियों ने उपायुक्त के निर्देशों को अमल में लाने का आश्वासन दिया।
क्या आने वाले दिन बदलेंगे?
यह निरीक्षण केवल एक दिन की कार्रवाई नहीं, बल्कि प्रशासनिक व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने का एक बड़ा कदम है। जमशेदपुर जैसे शहर में जहां हर इंच ज़मीन कीमती है, वहां सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण को लेकर अब "Zero Tolerance Policy" की शुरुआत मानी जा रही है।
अब देखने वाली बात होगी कि क्या वाकई ये सख्ती ज़मीनी हकीकत में बदल पाएगी या फिर यह भी बाकी सरकारी कार्यवाहियों की तरह फाइलों में सिमट जाएगी। लेकिन फिलहाल इतना तय है—सरकारी ज़मीन पर अब नजर है और खतरे की घंटी बज चुकी है।
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