Jharkhand Fraud : गांव-गांव में लोन के नाम पर करोड़ों की ठगी, 28 कंपनियों पर जांच
झारखंड के ग्रामीण इलाकों में लोन देने के नाम पर 28 कंपनियों ने की करोड़ों की ठगी। अब डीजीपी के आदेश पर सीआइडी कर रही जांच। जानिए किन कंपनियों पर गिरी है गाज।

रांची — झारखंड में एक बार फिर उजागर हुआ है एक ऐसा फाइनेंशियल स्कैम, जिसने न सिर्फ गरीब ग्रामीणों की जेब खाली की, बल्कि उनके सपनों को भी छलनी कर दिया। लोन दिलाने के नाम पर भरोसे का शिकार बनाकर गांव-गांव में करोड़ों की ठगी करने वाली 28 कंपनियों के खिलाफ अब बड़ा एक्शन शुरू हो चुका है। राज्य के पुलिस महानिदेशक (DGP) ने इस मामले में सीआईडी को जांच का आदेश दिया है, और यह कार्रवाई अब पूरे राज्य में हलचल मचा रही है।
लुभावने वादे, नकली स्कीम और लूट की रणनीति
ये कंपनियां झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंचकर लोगों को बेहद आसान शर्तों पर लोन देने का झांसा देती थीं। “बस ₹500 जमा करो और ₹50,000 का लोन मिलेगा” जैसे वादे इन कंपनियों की पहचान बन चुके थे। लेकिन, न लोन मिला, न पैसे वापस।
सीआईडी को भेजे गए पत्र के अनुसार, इन कंपनियों के खिलाफ 2013 से लेकर अब तक कई GIL याचिकाएं दाखिल की गई हैं, जिनमें ठगी, फर्जीवाड़ा और धोखाधड़ी की पुष्टि होती है।
डीजीपी ने थामी कमान, CID को दी ज़िम्मेदारी
डीजीपी ने इस पूरे मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच की जिम्मेदारी CID (Crime Investigation Department) को दी है। सीआईडी के एडीजी ने रांची, जमशेदपुर, धनबाद सहित कई जिलों के एसएसपी और एसपी को पत्र जारी कर इन कंपनियों के खिलाफ दर्ज एफआईआर और अन्य कानूनी दस्तावेजों की जानकारी मांगी है।
हालांकि, हजारीबाग, पलामू और लातेहार के एसपी को यह पत्र नहीं भेजा गया है, जिससे अटकलें लगाई जा रही हैं कि क्या इन जिलों में भी कोई बड़ा खुलासा होने वाला है?
किन कंपनियों पर गिरी गाज? जानिए लिस्ट
जिन 28 कंपनियों पर जांच चल रही है, उनमें कुछ नाम इस प्रकार हैं:
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सोवर्ण कॉर्मट्रेड प्रा. लि.
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सुहारा माइक्रो फाइनांस
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सनप्लांट एग्रो ग्रुप
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एलकेमिस्ट इंफ्रा रियलिटी लि.
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रोजवैली होटल्स एंड इंटरटेनमेंट लि.
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वारिस ग्रुप एंड अर्शदीप फाइनांस लि.
…और अन्य कई कंपनियां जिनका एकमात्र उद्देश्य था भोले-भाले ग्रामीणों की मेहनत की कमाई को लूटना।
इतिहास दोहराया जा रहा है?
यह कोई पहला मौका नहीं है जब झारखंड में इस तरह की ठगी का मामला सामने आया हो। साल 2012-13 में भी “चिट फंड कंपनियों” का नेटवर्क बंगाल और झारखंड में सक्रिय था, जिसने लाखों लोगों को फंसा दिया था। तब भी कार्रवाई हुई, लेकिन नतीजे बहुत सीमित रहे।
इस बार फर्क यह है कि शुरुआत राज्य के सबसे ऊंचे पुलिस पदाधिकारी ने खुद की है। सवाल यह है कि क्या अब पीड़ितों को न्याय मिलेगा?
ग्रामीणों की आवाज़ बन रही जांच
इस कार्रवाई ने उन हजारों ग्रामीण परिवारों को उम्मीद दी है, जिनका भरोसा इन कंपनियों ने तोड़ा। कई लोगों ने जमीन गिरवी रखकर लोन के लिए आवेदन किया था, तो किसी ने बच्चियों की शादी के लिए रकम जमा की थी।
अब जब राज्य सरकार की नजर इस मामले पर गई है, तो उम्मीद की जा रही है कि आने वाले हफ्तों में इन कंपनियों के संचालकों की गिरफ्तारी और संपत्तियों की जब्ती जैसे कदम उठाए जा सकते हैं।
झारखंड के गांवों में लोन के नाम पर फैले इस घोटाले ने यह साबित कर दिया है कि धोखाधड़ी करने वाले अब भी नए-नए बहाने लेकर आम जनता को निशाना बना रहे हैं। मगर अब जब राज्य का पुलिस महकमा सक्रिय हो चुका है, तो सवाल यही है — क्या ये कंपनियां अब बच पाएंगी? और क्या ग्रामीणों को उनका पैसा वापस मिलेगा?
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