Global Impact: टैरिफ़ की तलवार और मंदी का साया – क्या ट्रंप ने फिर हिला दी दुनिया की अर्थव्यवस्था?
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ़ नीति ने वैश्विक शेयर बाजारों में उथल-पुथल मचा दी है। क्या इससे दुनिया एक नई आर्थिक मंदी की ओर बढ़ रही है? पढ़िए पूरी खबर।

नई दिल्ली/न्यूयॉर्क –
"एक बार फिर टैरिफ़... और एक बार फिर डर!"
डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ़ नीति ने जैसे ही दुनिया के सामने दस्तक दी, वैश्विक शेयर बाज़ारों में भूचाल आ गया।
बाजार के चारों ओर एक ही सवाल गूंज रहा है – क्या यह मंदी की शुरुआत है?
लेकिन क्या वाकई यह डर जायज़ है या सिर्फ़ एक झटका है?
शेयर बाज़ार में गिरावट = मंदी? नहीं जरूरी!
सबसे पहले इस भ्रम को तोड़ना ज़रूरी है कि शेयर बाज़ार की गिरावट सीधे आर्थिक मंदी का संकेत होती है।
शेयर की कीमतें भविष्य की आशंका पर आधारित होती हैं, और इनका सीधा संबंध हर बार अर्थव्यवस्था की वास्तविक हालत से नहीं होता।
हालांकि, जब लगातार कई संकेत मिलें, तब चिंता वाजिब हो जाती है — और इस बार संकेत लगातार और गंभीर हैं।
ट्रंप के टैरिफ़ का असली असर
टैरिफ़ यानी आयात पर टैक्स बढ़ाना।
ट्रंप की इस नीति का मकसद भले ही अमेरिकी कंपनियों को फायदा पहुंचाना हो, लेकिन वैश्विक बाज़ार में इसका असर उल्टा पड़ा है:
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कंपनियों की लागत बढ़ेगी
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इससे मुनाफा घटेगा
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और निवेशकों का भरोसा डगमगाएगा
HSBC और स्टैंडर्ड चार्टर्ड जैसे दिग्गज बैंकों के शेयरों में 10% से अधिक की गिरावट ने निवेशकों की चिंता और बढ़ा दी है।
तांबा और तेल: मंदी के असली बैरोमीटर
आपको जानकर हैरानी होगी कि तांबा और तेल को वैश्विक अर्थव्यवस्था की ‘नब्ज’ माना जाता है।
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ट्रंप के टैरिफ़ के बाद, तांबे और तेल की कीमतों में 15% तक गिरावट आई है।
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इसका मतलब: उद्योगों में उत्पादन धीमा हो सकता है, खपत घट सकती है।
ब्रिटेन के आंकड़े: मंदी की दहलीज़ पर?
ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था जनवरी में 0.1% की गिरावट के साथ दर्ज की गई —
जबकि पिछली तिमाही में सिर्फ 0.1% की वृद्धि हुई थी।
अब अगली रिपोर्ट से पता चलेगा कि ब्रिटेन ने मंदी में प्रवेश किया है या नहीं।
लेकिन फिलहाल, स्थिति नाजुक है।
आर्थिक मंदी का इतिहास: कब-कब हिली दुनिया?
अब तक तीन प्रमुख आर्थिक मंदियां इतिहास में दर्ज हैं:
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1930s – 'The Great Depression'
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2008 – Global Financial Crisis
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2020 – कोविड महामारी की आर्थिक तबाही
क्या 2025 इस लिस्ट में जुड़ने वाला है?
अभी इसकी संभावना कम है, लेकिन संकेत नज़रअंदाज़ नहीं किए जा सकते।
अमेरिका, यूरोप और एशिया – सबका मूड खराब
ट्रंप की टैरिफ़ नीति के बाद:
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अमेरिकी शेयर बाज़ार डाउ जोन्स में 600 अंक तक की गिरावट
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यूरोपीय बाज़ारों में मंदी का डर गहराया
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एशियाई बाजार भी झूलते रहे लाल निशान पर
तो क्या करें निवेशक और आम लोग?
1. घबराएं नहीं, लेकिन सतर्क रहें।
2. लॉन्ग टर्म निवेश की रणनीति पर टिके रहें।
3. बाजार को आंकने के लिए सिर्फ शेयर न देखें, तेल-तांबा जैसे संकेतक भी समझें।
4. खबरों पर नज़र रखें, खासकर अगली तिमाही के आर्थिक डेटा पर।
डर तो है, लेकिन पैनिक नहीं
ट्रंप का टैरिफ़ भले ही एक आर्थिक रणनीति हो, लेकिन इसने वैश्विक अर्थव्यवस्था की नब्ज पर चोट जरूर की है।
मंदी के पक्के संकेत अभी नहीं हैं, लेकिन बाजार की हर करवट पर ध्यान देना अब जरूरी हो गया है।
अब आपकी बारी!
क्या आपको लगता है कि टैरिफ़ जैसे कदमों से दुनिया फिर मंदी की ओर बढ़ रही है?
क्या भारत को भी इससे खतरा है?
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