क्या INDI गठबंधन सभी 'एंटी-सनातनी' चेहरों को बढ़ावा दे रहा है? उदयनिधि स्टालिन की पदोन्नति से उठे सवाल!
तमिलनाडु में मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने अपने बेटे उदयनिधि को उप मुख्यमंत्री बनाकर राज्य कैबिनेट में बड़ा फेरबदल किया। क्या INDI गठबंधन के एजेंडे में 'एंटी-सनातनी' चेहरे को बढ़ावा देना है? जानिए इस राजनीतिक कदम के पीछे की असल वजहें।
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तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने इस हफ्ते राज्य मंत्रिमंडल में बड़ा फेरबदल करते हुए अपने बेटे उदयनिधि स्टालिन को उप मुख्यमंत्री के पद पर नियुक्त किया। इस कदम ने न केवल तमिलनाडु की राजनीति में हलचल मचाई है, बल्कि INDI गठबंधन के एजेंडे पर भी कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
आखिरकार, क्या यह फेरबदल INDI गठबंधन की एक व्यापक रणनीति का हिस्सा है, जिसमें 'एंटी-सनातनी' चेहरों को बढ़ावा दिया जा रहा है? इस सवाल ने जनता और राजनीतिक विश्लेषकों के बीच बहस को जन्म दिया है। उदयनिधि स्टालिन, जो अब तक तमिलनाडु के खेल मंत्री थे, ने कुछ समय पहले सनातन धर्म पर विवादित टिप्पणी की थी, जिसके चलते वे पहले से ही सुर्खियों में थे। उनके विचार और बयानों ने कई सनातनियों को नाराज किया था, और अब उनकी पदोन्नति ने इन नाराजगी को और हवा दे दी है।
गवर्नर आर.एन. रवि ने शनिवार को इस फेरबदल को मंजूरी दी। इसके तहत उदयनिधि को उप मुख्यमंत्री के साथ-साथ योजना और विकास मंत्री का अतिरिक्त प्रभार भी दिया गया है। इस फेरबदल के साथ ही तीन मौजूदा मंत्रियों को कैबिनेट से हटा दिया गया है। इससे यह भी सवाल उठ रहा है कि यह फेरबदल सिर्फ राजनीतिक समीकरणों को साधने के लिए किया गया है या इसका उद्देश्य किसी खास विचारधारा को आगे बढ़ाना है?
CM स्टालिन ने नए मंत्रियों के रूप में गोवी चेझियन, आर. राजेन्द्रन, और एसएम नासर को मंत्रिपरिषद में शामिल करने की सिफारिश की है। इसके अलावा, वि. सेंथिल बालाजी को भी कैबिनेट में वापस लाया गया है, जो हाल ही में चेन्नई के पुजाल केंद्रीय जेल से बाहर आए हैं। सेंथिल बालाजी, जो कि नकदी के बदले नौकरी देने वाले घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में फंसे थे, को सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में जमानत दी थी।
सेंथिल बालाजी ने अपनी रिहाई के बाद बयान दिया कि उनके खिलाफ चल रहा मामला एक 'फर्जी केस' है और यह सिर्फ राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा है। उन्होंने DMK अध्यक्ष और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन और DMK यूथ विंग के सचिव उदयनिधि स्टालिन का आभार जताया।
उदयनिधि की पदोन्नति की अटकलें महीनों से चल रही थीं, जिसे वे खुद पहले नकारते रहे थे। लेकिन अंततः DMK ने उन्हें उप मुख्यमंत्री बना दिया, जिससे पार्टी के कई समर्थक पहले से ही खुश थे। उनके समर्थकों का मानना था कि उन्हें और बड़ी जिम्मेदारी मिलनी चाहिए, और अब यह पूरा हो गया है।
इस फैसले के बाद, एक बड़ा सवाल यह भी उठ रहा है कि आखिर INDI गठबंधन क्यों बार-बार उन चेहरों को बढ़ावा दे रहा है, जिनकी छवि 'एंटी-सनातनी' के रूप में देखी जाती है? उदयनिधि की हालिया बयानबाजी और अब उनकी पदोन्नति इस दिशा में एक बड़ी संकेतक है। क्या यह सिर्फ संयोग है, या इसके पीछे कोई गहरी राजनीतिक चाल है?
वहीं मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने मंगलवार को एक बयान में कहा, "कोई निराशा नहीं होगी; बदलाव जरूर होगा।" लेकिन इस बदलाव से उठे सवालों का जवाब कौन देगा? क्या यह सिर्फ राजनीतिक जोड़तोड़ है या 'एंटी-सनातनी' एजेंडे का एक हिस्सा?
इस पूरे घटनाक्रम से यह स्पष्ट है कि तमिलनाडु की राजनीति और INDI गठबंधन की रणनीति में कई परतें हैं, जो आने वाले समय में और खुलेंगी।
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