Jadugoda Protest Fire: गांव में अवैध शराब भट्टी पर फूटा महिला आक्रोश, थाना प्रभारी को सौंपी चेतावनी

जादूगोड़ा के चतरो गांव में चल रही अवैध शराब भट्टी के खिलाफ महिलाओं ने मोर्चा खोल दिया है। JLKM प्रत्याशी भागीरथी हांसदा के नेतृत्व में पुलिस को सौंपा गया ज्ञापन, जल्द कार्रवाई की मांग।

Apr 10, 2025 - 15:45
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Jadugoda Protest Fire: गांव में अवैध शराब भट्टी पर फूटा महिला आक्रोश, थाना प्रभारी को सौंपी चेतावनी
Jadugoda Protest Fire: गांव में अवैध शराब भट्टी पर फूटा महिला आक्रोश, थाना प्रभारी को सौंपी चेतावनी

जादूगोड़ा, झारखंड: झारखंड के आदिवासी क्षेत्र में स्थित चतरो गांव इन दिनों चर्चा में है — वजह है गांव में चल रही अवैध शराब भट्टी, जो न सिर्फ युवाओं को बर्बादी की ओर धकेल रही है, बल्कि गांव की सामाजिक व्यवस्था को भी खोखला कर रही है।
अब इसी के खिलाफ आवाज उठाई है गांव की महिलाओं ने — और यह कोई मामूली विरोध नहीं था। यह एक चेतावनी थी, एक सामूहिक संघर्ष की शुरुआत

भागीरथी हांसदा के नेतृत्व में सौंपा गया ज्ञापन

पोटका से जेएलकेएम (JLKM) प्रत्याशी भागीरथी हांसदा के नेतृत्व में महिलाओं का एक प्रतिनिधिमंडल जादूगोड़ा थाना पहुंचा और थाना प्रभारी राजेश मंडल को एक विस्तृत ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन में साफ तौर पर कहा गया कि गांव की 16 महिला समितियों ने पहले खुद ही शराब बंदी की कोशिश की, पर स्थानीय माफिया और शराब कारोबारी इतने मजबूत हैं कि महिलाएं अकेली पड़ गईं

भागीरथी हांसदा ने पुलिस से स्पष्ट शब्दों में कहा,

“यह अब सिर्फ शराब का मामला नहीं है, यह हमारी पीढ़ियों को बचाने का सवाल है।

गांव में कैसे बन रही है शराब – अंदर की कहानी

चतरो गांव में चल रही अवैध भट्टी कोई नई बात नहीं है।
स्थानीय लोग बताते हैं कि वर्षों से यह धंधा चलता आ रहा है, लेकिन पिछले एक साल में शराब निर्माण और वितरण की गतिविधियां तेज़ हो गई हैं
भट्टी में देसी शराब तैयार कर गांव-गांव बेची जाती है।
रात में ट्रैक्टर, मोटरसाइकिल और पैदल तस्कर इसे आसपास के इलाकों में पहुंचाते हैं, जिससे न सिर्फ गांव बल्कि पूरा क्षेत्र इसकी चपेट में आ गया है।

महिलाओं की हार नहीं, हिम्मत की कहानी

प्रतिनिधिमंडल में शामिल महिलाओं ने बताया कि उन्होंने खुद पहरेदारी की, शराब बनाने वालों को टोका, पंचायत की बैठकें कीं, लेकिन जब कोई बदलाव नहीं आया, तो उन्हें पुलिस का दरवाजा खटखटाना पड़ा
इन महिलाओं का कहना है कि गांव में हर तीसरा घर शराब के कारण प्रभावित है — कोई पति पीकर पत्नी को मारता है, तो कोई युवा चोरी कर शराब खरीदता है।

थाना प्रभारी ने दिया कार्रवाई का भरोसा

जादूगोड़ा थाना प्रभारी राजेश मंडल ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वस्त किया कि पुलिस जल्द ही छापेमारी करेगी और दोषियों को पकड़कर कार्रवाई करेगी
हालांकि ग्रामीणों को अब सिर्फ आश्वासन नहीं, जमीनी कार्रवाई की दरकार है।

इतिहास दोहराया जा रहा है?

झारखंड के आदिवासी क्षेत्रों में महिलाओं द्वारा शराब के खिलाफ आंदोलन का लंबा इतिहास रहा है।
सिंहभूम, बोकारो और दुमका जैसे इलाकों में भी महिलाओं ने लकड़ी की लाठी और एकजुटता के साथ शराब के अड्डे बंद कराए हैं
लेकिन चतरो गांव का संघर्ष इसलिए अलग है, क्योंकि यहां शराब माफिया पुलिस और प्रशासन की लापरवाही का फायदा उठाकर लगातार मजबूत होते जा रहे हैं।

कहां है सरकार की शराबबंदी नीति?

राज्य सरकार ने कई बार शराबबंदी लागू करने की बात कही है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है।
अवैध शराब भट्टियों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है, और चतरो गांव इसका उदाहरण बन चुका है।

क्या आगे कोई बदलाव होगा?

अब देखना है कि क्या पुलिस सच में इस अवैध कारोबार पर शिकंजा कसती है या फिर यह ज्ञापन भी दस्तावेजों के ढेर में गुम हो जाएगा
महिलाओं की यह लड़ाई सिर्फ शराब के खिलाफ नहीं, बल्कि अपने बच्चों, अपने परिवार और अपने भविष्य के लिए है

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।