Deoghar Theft: एक रात में तीन घर, लाखों की चोरी और पूरा गांव सन्नाटे में!
देवघर जिले के सबैजोर गांव में रविवार रात चोरों ने एक ही रात में तीन घरों के ताले तोड़ दिए और लाखों की नकदी व जेवरात लेकर फरार हो गए, गांव में दहशत का माहौल।

झारखंड के देवघर जिले के सबैजोर गांव में रविवार की रात कुछ ऐसा हुआ जिसने पूरे गांव को हिला कर रख दिया। एक ही रात में तीन घरों के ताले टूटे, नकदी और जेवरात उड़ गए और चोरों का कहीं कोई सुराग नहीं। इस वारदात ने न सिर्फ स्थानीय सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि ग्रामीणों को भी गहरी चिंता में डाल दिया है।
रविवार रात का सन्नाटा, और चोरों की दस्तक
रविवार रात सबैजोर गांव के लिए आम रातों जैसी ही लग रही थी। गांव के अधिकांश लोग सूर्याहु पर्व में व्यस्त थे और परिवार के सदस्य प्रसाद लेने में लगे थे। इसी बीच, अज्ञात चोरों ने गांव के तीन घरों को निशाना बना डाला। जिस तरीके से तीनों घरों में एक ही रात ताले तोड़े गए और कीमती सामान चुरा लिया गया, उससे साफ है कि यह पूरी वारदात पूर्व नियोजित थी।
तीन भाइयों के घर बने निशाना
चोरी की सबसे बड़ी शिकार बनी महेंद्र रवानी का परिवार। उन्होंने बताया कि परिवार के सभी सदस्य त्योहार के कारण दूसरे कमरे में सो रहे थे। सुबह उठते ही जब उन्होंने घर की स्थिति देखी, तो उनके होश उड़ गए। तीन कमरों के ताले टूटे हुए थे और सारा सामान बिखरा पड़ा था। अलमारी, बक्से और ट्रंक के ताले तोड़कर चोर करीब ₹30,000 नकद और करीब ₹1.5 लाख रुपये के सोने-चांदी के जेवरात चुरा ले गए।
छोटे भाई शैलेन्द्र रवानी के घर से भी ₹20,000 नकद और गहने चोरी हुए, जबकि बड़े भाई योगेन्द्र रवानी के घर से ₹10,000 और अन्य कीमती सामान गायब था। तीनों भाइयों के घरों को टारगेट कर चोरों ने लाखों की संपत्ति साफ कर दी।
गांव में फैली दहशत, लेकिन पुलिस को सूचना नहीं
हैरानी की बात यह है कि समाचार लिखे जाने तक पीड़ित परिवार ने थाने में कोई लिखित शिकायत दर्ज नहीं कराई थी। ग्रामीणों में यह चर्चा का विषय है कि चोरी के इतने बड़े मामले में भी पुलिस को सूचना देना टालना प्रशासनिक व्यवस्था के प्रति बढ़ते अविश्वास को दर्शाता है।
इतिहास गवाह है—सबेइजोर पहले भी बन चुका है निशाना
सबैजोर गांव में इससे पहले भी छोटी-मोटी चोरी की घटनाएं सामने आती रही हैं, लेकिन इस बार की वारदात ने सारी सीमाएं पार कर दीं। गांववाले कहते हैं कि हर साल त्योहारों के दौरान चोर सक्रिय हो जाते हैं, लेकिन पुलिस की सतर्कता न के बराबर रहती है। खासकर सूर्याहु, छठ और होली जैसे अवसरों पर जब अधिकांश लोग घर से बाहर होते हैं, चोर इन्हीं पलों का फायदा उठाते हैं।
क्या CCTV और गश्त से रुकेगा चोरों का आतंक?
गांव के लोगों की अब मांग है कि गांव में CCTV कैमरे लगाए जाएं और रात के समय पुलिस की गश्ती बढ़ाई जाए। साथ ही, पीड़ित परिवारों को तत्काल न्याय मिले और चोरी गई संपत्ति की बरामदगी हो। कई ग्रामीणों ने यह भी बताया कि कुछ संदिग्ध चेहरे पिछले कुछ दिनों से गांव में घूमते देखे गए थे, जिन्हें स्थानीय स्तर पर गंभीरता से नहीं लिया गया।
प्रशासन कब देगा जवाब?
चोरी की यह वारदात केवल तीन परिवारों की निजी क्षति नहीं है, बल्कि पूरे गांव की सुरक्षा व्यवस्था पर एक सवाल है। अगर अब भी पुलिस प्रशासन सख्त कदम नहीं उठाता, तो आने वाले दिनों में गांव में और गंभीर घटनाएं हो सकती हैं।
त्योहार की रात, चोरों की चाल और ग्रामीणों की चुप्पी
सबैजोर गांव की यह वारदात एक चेतावनी है कि ग्रामीण क्षेत्रों में सुरक्षा को अब और अनदेखा नहीं किया जा सकता। पीड़ित परिवारों को न्याय मिलना चाहिए और पूरे गांव को फिर से सुरक्षित महसूस कराने की जिम्मेदारी अब प्रशासन की है।
आपकी राय: क्या गांवों में CCTV और पुलिस गश्ती की सख्त जरूरत है? चोरी की घटनाओं पर प्रशासन कितनी जल्दी और सख्ती से कार्रवाई करे—आप क्या सोचते हैं?
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