Jamshedpur Leader Demand: पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से की मुलाकात, आंदोलनकारी पेंशन, शिक्षा और भर्ती पर जताई चिंता!
पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात कर आंदोलनकारी पेंशन, शिक्षक भर्ती और सीएम एक्सीलेंस स्कूल की संख्या बढ़ाने जैसे अहम मुद्दों पर कार्रवाई की मांग की। जानिए पूरी बातचीत की अंदरूनी कहानी।

रांची/जमशेदपुर: झारखंड की राजनीति में एक बार फिर जनहित के मुद्दों को लेकर हलचल तेज हो गई है। बहरागोड़ा विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी ने गुरुवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से की खास मुलाकात और कई ज्वलंत समस्याओं को सामने रखते हुए तुरंत समाधान की मांग की।
लेकिन इस मुलाक़ात की चर्चा सिर्फ एक औपचारिक बैठक के तौर पर नहीं हो रही—बल्कि इसने कई छिपे हुए सवालों को उजागर कर दिया है, जो राज्य की नीतियों पर बड़ा सवाल खड़ा करते हैं।
पेंशन नहीं, तो सम्मान कैसे बचेगा आंदोलनकारियों का?
कुणाल षाड़ंगी ने मुख्यमंत्री को स्पष्ट शब्दों में बताया कि झारखंड आंदोलनकारियों को पिछले छह महीने से पेंशन नहीं मिली है। ये वही लोग हैं जिन्होंने राज्य निर्माण के लिए संघर्ष किया था।
अब उनके परिवार आर्थिक संकट की कगार पर पहुंच चुके हैं। क्या यही है उस बलिदान का प्रतिफल?
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार जल्द कार्रवाई नहीं करती, तो यह न केवल आंदोलनकारियों का अपमान होगा बल्कि जनता के बीच सरकार की छवि को भी धक्का लगेगा।
CM Center of Excellence: शिक्षा का भविष्य या राजनीति का प्रयोग?
झारखंड सरकार द्वारा हाल के वर्षों में शुरू किए गए "सीएम सेंटर ऑफ एक्सीलेंस" स्कूलों को लेकर भी पूर्व विधायक ने गंभीर सुझाव दिया।
उन्होंने कहा कि ये स्कूल गरीब और मेधावी छात्रों के लिए उम्मीद की किरण बन रहे हैं। लेकिन अब भी ये कुछ ही जिलों तक सीमित हैं।
षाड़ंगी ने मांग की कि इनकी संख्या में बढ़ोतरी होनी चाहिए ताकि राज्य के हर कोने के बच्चे को समान शिक्षा का अवसर मिले।
यह सिर्फ शिक्षा नहीं, बल्कि झारखंड के भविष्य को गढ़ने का माध्यम बन सकता है।
26 हजार टेट पास युवाओं का क्या कसूर?
राज्य में लंबे समय से 26 हजार TET उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की नियुक्ति लंबित है।
षाड़ंगी ने कहा कि ये युवा सिर्फ इंतजार ही नहीं कर रहे, बल्कि उनका धैर्य टूटने की कगार पर है।
उन्होंने मांग की कि सरकार तुरंत इस प्रक्रिया को पूरा करे ताकि राज्य में शिक्षा व्यवस्था मजबूत हो और बेरोजगारी के आंकड़ों में भी कमी आए।
सड़क हादसों पर सख्त रवैया: ड्राइविंग टेस्टिंग में तकनीक की मांग
राज्य में लगातार बढ़ रही सड़क दुर्घटनाओं पर कुणाल षाड़ंगी ने गहरी चिंता जताई।
उन्होंने सुझाव दिया कि ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए ऑटोमेटेड ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक का निर्माण किया जाए।
यह सिर्फ सड़क सुरक्षा के लिए जरूरी नहीं है, बल्कि इससे भ्रष्टाचार पर भी अंकुश लगेगा और सिस्टम अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप हो पाएगा।
मुख्यमंत्री का जवाब: “जरूरी कदम उठाए जाएंगे”
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बैठक के दौरान सभी बिंदुओं को गंभीरता से सुना और आश्वासन दिया कि इन मुद्दों पर शीघ्र जरूरी निर्णय लिए जाएंगे।
हालांकि, राजनीतिक हलकों में इस मुलाक़ात को भविष्य की रणनीति और संभावित समीकरणों से भी जोड़ कर देखा जा रहा है।
क्या ये मुलाक़ात केवल जनहित तक सीमित है?
सवाल अब यह है कि क्या यह केवल जनकल्याण की चिंता थी, या फिर आने वाले चुनावों की तैयारी का हिस्सा?
झारखंड की राजनीति में कुणाल षाड़ंगी को एक तेजतर्रार और मुखर नेता माना जाता है।
इस मुलाक़ात के बहाने उन्होंने सरकार को सीधे-सीधे कई मुद्दों पर घेरा, और अब देखना होगा कि सरकार सिर्फ वादा करती है या कार्रवाई भी।
जनता के मुद्दे, आंदोलनकारियों का सम्मान, युवाओं की उम्मीदें और शिक्षा का भविष्य—एक मुलाक़ात में उठे ये सवाल, अब मुख्यमंत्री के निर्णय पर टिके हैं।
क्या वादे अब अमल में बदलेंगे या फिर राजनीतिक फॉर्मलिटी तक सीमित रहेंगे?
झारखंड की जनता अब सिर्फ देख नहीं रही—पूछ भी रही है।
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