Ichagarh Murder Mystery: जमीन के सौदे में बिछा मौत का जाल, 4 गिरफ्तार!
ईचागढ़ में जमीन कारोबारी रघुनाथ राय की हत्या का मामला सुलझ गया है। पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। जानिए कैसे सौदेबाजी की आड़ में हुई ये सुनियोजित हत्या।

ईचागढ़/झारखंड: 6 अप्रैल को जब ईचागढ़ के नागासेरेंग गांव की सड़क किनारे एक लाश पड़ी मिली, तो इलाके में सनसनी फैल गई।
मृतक की पहचान आरआईटी, आदित्यपुर निवासी और चर्चित जमीन कारोबारी रघुनाथ राय के रूप में हुई।
अब इस रहस्यमयी हत्या का पुलिस ने खुलासा कर दिया है, और चार शातिर अपराधी पकड़ में आ चुके हैं।
पुलिस के अनुसार, हत्या का मकसद केवल एक—जमीन के सौदे में कमीशन का विवाद।
6 अप्रैल की सुबह: जब खामोश थी सड़क, और पड़ी थी लाश
नागासेरेंग गांव के ग्रामीणों ने उस सुबह जो दृश्य देखा, उसने सबको हिलाकर रख दिया।
एक व्यक्ति का शव सड़क किनारे पड़ा था, पहचान के लिए कोई दस्तावेज़ नहीं।
पुलिस को सूचना दी गई, और जब शिनाख्त हुई कि यह रघुनाथ राय हैं, तो मामला गर्म हो गया।
रघुनाथ लंबे समय से जमीन खरीद-बिक्री के कारोबार से जुड़े थे और कई बड़े डील में उनकी भूमिका रही है।
कैसे खुला हत्या का राज?
एसपी मुकेश कुमार लुणायत ने तुरंत इस केस को गंभीरता से लेते हुए चांडिल के एसडीपीओ के नेतृत्व में एक विशेष टीम बनाई।
टीम ने तकनीकी सर्विलांस, कॉल रिकॉर्ड्स, और मानवीय इनपुट्स के आधार पर जांच तेज की।
पकड़े गए अपराधियों के नाम हैं:
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जिल्लर पाल (बंतानगर, आदित्यपुर-2)
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राजीव कुम्हार (छोटा लाखा, चांडिल)
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गणेश कुंभकार (छोटा लाखा, चांडिल)
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आशीष कुंभकार (छोटा लाखा, चांडिल)
पूछताछ में सामने आया कि रघुनाथ राय एक जमीन डील में दलाली कर रहे थे, और उस डील से मिलने वाले कमीशन को लेकर इन अपराधियों से उनका विवाद चल रहा था।
पैसे के लेन-देन ने जल्द ही रंजिश का रूप ले लिया और आख़िरकार, योजना बनाकर रघुनाथ की हत्या कर दी गई।
झारखंड में जमीन विवाद और बढ़ते अपराध
झारखंड में जमीन को लेकर विवाद और हत्याएं कोई नई बात नहीं हैं।
बीते कुछ वर्षों में जमीन दलाली से जुड़े अपराध बढ़े हैं, और कई बार पुराने जान-पहचान वाले लोग ही जान के दुश्मन बन जाते हैं।
रघुनाथ राय का मामला इसी कड़ी का ताजा उदाहरण है—जहां भरोसे की जगह धोखा और लालच ने ले ली।
क्या था हत्या का तरीका?
पुलिस सूत्रों की मानें तो आरोपियों ने पहले रघुनाथ को किसी जमीन सौदे के बहाने बुलाया।
मौका मिलते ही उसे सुनसान इलाके में ले जाकर उसकी हत्या कर दी और शव को सड़क किनारे फेंक कर फरार हो गए।
हत्या के बाद सभी आरोपी अलग-अलग इलाकों में छिपे हुए थे, लेकिन तकनीकी साक्ष्य और स्थानीय मुखबिरों की मदद से पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया।
फिलहाल क्या हो रहा है?
गुरुवार को चांडिल अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी ने प्रेस कांफ्रेंस कर यह जानकारी दी कि सभी आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेजा जा चुका है।
पुलिस इस केस में बाकी पहलुओं की भी जांच कर रही है, ताकि पता लगाया जा सके कि कहीं इसमें कोई और भी शामिल तो नहीं था।
क्या भरोसा और पैसा एक साथ चल सकते हैं?
रघुनाथ राय की मौत ने फिर से ये सवाल खड़ा कर दिया है—क्या दलाली और जमीन के कारोबार में भरोसा अब बचा है?
या फिर पैसा ही सब कुछ बन चुका है, जहां कमीशन के चंद लाखों के लिए जान लेना आसान हो गया है?
पुलिस की तत्परता ने इस बार चार हत्यारों को पकड़ लिया, लेकिन क्या अगली बार भी हम ऐसे ही तैयार होंगे?
यह सवाल अब पूरे झारखंड के सिस्टम से पूछा जाना चाहिए।
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