America Tariff Explosion: ट्रंप ने चीन पर गिराई 125% टैरिफ की गाज, बाकी देशों को दी राहत!
डोनाल्ड ट्रंप ने जहां 75 से ज्यादा देशों को 90 दिन की टैरिफ राहत दी है, वहीं चीन पर अचानक 125% टैक्स लगा दिया है। जानिए इसके पीछे की राजनीति और अमेरिका की नई व्यापार रणनीति।

वॉशिंगटन डीसी से एक बार फिर दुनियाभर के बाजारों में उथल-पुथल मचाने वाली खबर आई है।
अमेरिका के पूर्व और संभावित भविष्य के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक ऐसा फैसला लिया है जिससे एक तरफ चीन को बड़ा झटका लगा है, वहीं बाकी 75 से अधिक देशों को अस्थायी राहत की सांस मिली है।
ट्रंप ने सोशल मीडिया पर एक बड़ा एलान करते हुए कहा कि चीन से आने वाले हर उत्पाद पर अब अमेरिका 125% टैरिफ लगाएगा और यह नियम "तुरंत प्रभाव से लागू" होगा।
जबकि अन्य सहयोगी देशों के लिए उन्होंने 90 दिनों की टैरिफ छूट की घोषणा की है।
चीन पर सबसे बड़ा वार – 125% टैरिफ लागू
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने बयान में कहा,
"चीन ने लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय व्यापार में अपने फायदे के लिए नियमों को तोड़ा है। अब वक्त आ गया है कि अमेरिका इस दोहरे व्यवहार के खिलाफ कड़ा रुख अपनाए।"
ट्रंप का यह कदम चीन-अमेरिका व्यापार युद्ध की नई कड़ी के रूप में देखा जा रहा है, जो 2018-2020 के बीच पहले ही दुनिया को झकझोर चुका है।
उस समय भी ट्रंप ने चीनी वस्तुओं पर भारी टैक्स लगाए थे, जिसका असर ग्लोबल सप्लाई चेन पर पड़ा था।
अब 2025 में एक बार फिर 125% की दर से टैरिफ लगाने का फैसला यह दर्शाता है कि ट्रंप चीन को लेकर अपने पुराने एजेंडे पर दोबारा लौट चुके हैं।
बाकी देशों को राहत – लेकिन क्यों?
एक तरफ जहां चीन को ट्रंप ने अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर घेरने की तैयारी की है, वहीं उन्होंने 75 से अधिक देशों को 90 दिन की राहत देते हुए यह संकेत भी दिया है कि अमेरिका अपनों के साथ खड़ा है।
उन्होंने कहा,
“जिन देशों ने अमेरिका से सहयोग किया है, व्यापार वार्ता में हिस्सा लिया है और किसी तरह की अनुचित मुद्रा नीति नहीं अपनाई है – उन्हें 90 दिनों की ‘PAUSE’ छूट दी जा रही है।”
इस छूट के तहत उन देशों पर लगने वाले टैरिफ को सिर्फ 10% तक घटा दिया गया है।
इससे उन देशों को अमेरिकी बाजारों में थोड़ी राहत मिलेगी, खासकर ऐसे समय में जब वैश्विक अर्थव्यवस्था पहले से ही मंदी के संकेत दे रही है।
ट्रंप की नीति: चीन के खिलाफ, बाकी दुनिया के साथ?
ट्रंप की यह नई नीति साफ दिखाती है कि वे एक तरफ चीन को "दबाव में लाना" चाहते हैं, वहीं दूसरी तरफ अपने सहयोगी देशों के साथ सॉफ्ट डिप्लोमेसी का प्रयोग कर रहे हैं।
यह रणनीति उन्हें आने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव 2024-25 में व्यापारिक मोर्चे पर एक मजबूत नेता के रूप में पेश कर सकती है।
लेकिन सवाल ये भी है – क्या इस फैसले से चीन झुकेगा?
चीन हमेशा से अमेरिका के टैरिफ फैसलों का जवाब अपने कड़े कदमों से देता आया है।
यदि बीजिंग फिर से जवाबी कार्रवाई करता है, तो दुनिया को एक बार फिर व्यापार युद्ध की मार झेलनी पड़ सकती है।
इतिहास गवाह है – ये पहला टैरिफ झटका नहीं
डोनाल्ड ट्रंप का टैरिफ प्रेम कोई नई बात नहीं है।
2018 में उन्होंने "अमेरिका फर्स्ट" नीति के तहत स्टील, एल्यूमिनियम और तकनीकी उत्पादों पर भारी टैक्स लगाया था।
उस वक्त चीन ने भी जवाबी कार्रवाई में अमेरिकी कृषि उत्पादों पर टैक्स लगा दिए थे।
इससे अमेरिकी किसानों को बड़ा नुकसान हुआ और ग्लोबल ट्रेड बैलेंस बिगड़ गया।
अब जब 2025 में ट्रंप फिर से इसी राह पर चल पड़े हैं, तो इतिहास खुद को दोहराने वाला है – लेकिन दांव और भी बड़ा हो गया है।
अब आगे क्या?
ट्रंप के इस फैसले के बाद:
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अमेरिका-चीन व्यापार संबंध और बिगड़ सकते हैं।
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ग्लोबल बाजार में अस्थिरता बढ़ सकती है।
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अंतरराष्ट्रीय मुद्रा विनिमय दरों पर असर पड़ सकता है।
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छोटे देशों को अमेरिका के साथ व्यापारिक सहूलियत मिल सकती है।
ट्रंप का नया व्यापार युद्ध शुरू?
डोनाल्ड ट्रंप के इस कदम को लेकर दुनियाभर के अर्थशास्त्री और व्यापारी चिंतित और सतर्क हो गए हैं।
जहां चीन पर सीधा हमला उनकी पुरानी नीति का विस्तार लगता है, वहीं बाकी देशों को राहत देकर उन्होंने अपनी राजनीतिक बुद्धिमत्ता भी दिखाई है।
अब देखना ये होगा कि अमेरिका की यह आक्रामक टैरिफ नीति विश्व व्यापार को किस दिशा में ले जाती है – सहयोग की ओर या फिर एक और महामंदी की ओर?
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