Afghanistan Deal: अमेरिकी हथियारों से लैस हो रहे आतंकी, पाकिस्तान में बढ़ा खतरा!
अफगानिस्तान में छोड़े गए अमेरिकी हथियारों की तस्करी और बिक्री से जुड़ी रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा, पाकिस्तानी आतंकी हमलों में भी हो रहा इस्तेमाल, सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट।

2021 में अमेरिकी सेनाओं के अफगानिस्तान छोड़ने के बाद से ही एक बड़ा सवाल उठता रहा है –
इतनी भारी मात्रा में छोड़ा गया सैन्य सामान गया कहां?
अब इसका जवाब मिल गया है – और ये जवाब जितना चौंकाने वाला है, उतना ही खतरनाक भी।
ब्रिटेन की मशहूर सार्वजनिक प्रसारक बीबीसी की एक रिपोर्ट ने खुलासा किया है कि
तालिबान ने करीब 5 लाख अमेरिकी हथियार आतंकवादी संगठनों को बेच दिए या फिर तस्करी कर बाहर पहुंचा दिए हैं।
इतिहास जो दुहराया गया – फिर से हथियारों ने बदली सीमाएं
इतिहास गवाह है कि जब भी बड़े देशों ने युद्ध क्षेत्र छोड़ा है, उनके पीछे छोड़े गए हथियार
स्थानीय या विदेशी समूहों के हाथों में खतरनाक शक्ल ले लेते हैं।
1990 के दशक में अफगानिस्तान में रूस द्वारा छोड़े गए हथियारों का इस्तेमाल तालिबान के गठन में हुआ था,
अब यही कहानी दोहराई जा रही है – लेकिन इस बार हथियार अमेरिका के हैं, और निशाना पूरे दक्षिण एशिया पर है।
तालिबान की चुप्पी या साज़िश?
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में बताया गया है कि तालिबान ने खुद यह स्वीकार किया है कि
वे लगभग आधी अमेरिकी सैन्य सामग्री का हिसाब नहीं दे पा रहे।
यानी जो हथियार अमेरिका ने अफगान सेना को दिए थे, वे अब गायब हैं।
रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया कि तालिबान नेतृत्व ने
स्थानीय कमांडरों को 20% हथियार अपने पास रखने की छूट दे दी थी,
जिससे ब्लैक मार्केट में धड़ल्ले से हथियारों की बिक्री शुरू हो गई।
कंधार के हथियार बाज़ार – पहले खुलेआम, अब भूमिगत
कंधार के एक स्थानीय पत्रकार ने बीबीसी को बताया कि
तालिबान के सत्ता में आने के बाद लगभग एक साल तक अमेरिकी हथियार खुले बाजार में बिकते रहे,
अब ये बिक्री भूमिगत हो चुकी है – पर बंद नहीं।
इसका मतलब है कि हथियारों की यह अदृश्य आपूर्ति अब सीधे आतंकवादी नेटवर्क तक पहुंच रही है।
तालिबान की सफाई – सच्चाई से कितनी दूर?
तालिबान के डिप्टी प्रवक्ता हमदुल्ला फिटरत ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि
सभी हथियार सुरक्षित हैं और कोई तस्करी या बिक्री नहीं हुई है।
लेकिन जो तस्वीरें, घटनाएं और जब्त किए गए हथियार सामने आ रहे हैं,
वे इन बयानों को महज “प्रचार” साबित करते हैं।
SIGAR का बड़ा खुलासा – छोड़ी गई पूरी एक ‘फौज’
अमेरिकी विशेष पर्यवेक्षक SIGAR की रिपोर्ट के अनुसार,
अमेरिका ने अफगानिस्तान छोड़ते वक्त लगभग
2.5 लाख से ज्यादा हथियार, 18 हजार नाइट विज़न डिवाइसेज़ और हजारों यूनिट्स गोला-बारूद वहीं छोड़ दिए।
यह सैन्य सामग्री इतनी अधिक है कि इससे एक पूरी मरीन कोर यूनिट खड़ी की जा सकती थी।
पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तो यहां तक कहा था कि $85 बिलियन की सामग्री अफगानिस्तान में छोड़ दी गई थी।
पाकिस्तान में आतंक – अमेरिकी हथियारों से लैस हमलावर
पाकिस्तानी सुरक्षा एजेंसियों ने पहले ही चेतावनी दी थी कि
अफगानिस्तान से तस्करी कर लाए गए अमेरिकी हथियार पाकिस्तान में आतंकवादी हमलों में इस्तेमाल हो रहे हैं।
इनमें शामिल हैं:
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M-16 और M-4 राइफल्स
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M32 ग्रेनेड लॉन्चर्स
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नाइट विज़न डिवाइसेज़
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हैंड ग्रेनेड्स
ग्वादर पोर्ट, तुर्बत नेवल बेस, और बजौर, मीर अली, झोब जैसे इलाकों में हुए हमलों में
इन हथियारों की पुष्टि हुई है।
जाफर एक्सप्रेस पर हमले में भी अमेरिकी राइफलें
11 मार्च को जाफर एक्सप्रेस पर हुए बम हमले में
जो राइफलें जब्त की गईं, उन पर अमेरिकी सैन्य सीरियल नंबर मिले।
यह पुष्टि करता है कि हथियार सीधे अमेरिकी स्टॉक से तस्करी कर पाकिस्तानी आतंकियों तक पहुंचे हैं।
कौन है जिम्मेदार?
जब एक पूरे देश को हथियारों से भर दिया जाए, और फिर उन्हें छोड़कर वापस चला जाए,
तो सवाल केवल तालिबान पर नहीं, पूरे वैश्विक सुरक्षा ढांचे पर उठता है।
क्या दुनिया को हथियारों की इस छाया अर्थव्यवस्था पर नजर नहीं रखनी चाहिए?
क्या अफगानिस्तान में छोड़े गए इन हथियारों का हिसाब नहीं लिया जाना चाहिए?
और सबसे बड़ा सवाल – क्या आतंक अब अमेरिकी तकनीक से और भी घातक हो गया है?
इस रिपोर्ट ने इन सभी सवालों को एक बार फिर जीवित कर दिया है –
और दुनिया को चेताया है कि “छोड़े गए हथियार कभी खाली नहीं जाते, वे किसी और की बंदूक बन जाते हैं।”
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