UN में इजराइली PM नेतन्याहू का कड़ा संदेश: "ईरान को रोको, वरना हम वार करेंगे
इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने संयुक्त राष्ट्र में ईरान को चेतावनी देते हुए कहा, "अगर ईरान हम पर हमला करेगा, तो हम उसे कड़ी सजा देंगे।" नेतन्याहू ने ईरान को मध्य पूर्व में संघर्ष का मुख्य स्रोत बताया और दुनिया से ईरान के खिलाफ सख्त कदम उठाने की अपील की।
शनिवार, 28 सितंबर 2024 को इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपना पहला भाषण दिया। यह भाषण गाजा युद्ध के बाद आया, जब इजराइल और हिजबुल्ला के बीच तनाव चरम पर है। अपने भाषण में नेतन्याहू ने ईरान को मध्य पूर्व में संघर्ष का मुख्य स्रोत बताया और दुनिया से ईरान के खिलाफ सख्त कदम उठाने की अपील की। उन्होंने कहा, "ईरान सिर्फ मध्य पूर्व ही नहीं, पूरी दुनिया को अपने कट्टरपंथी विचारों से प्रभावित करना चाहता है।"
दो नक्शों के जरिए किया समझाने का प्रयास
नेतन्याहू ने अपने भाषण में दो नक्शों का इस्तेमाल किया। उन्होंने इन नक्शों को “आशीर्वाद” और “अभिशाप” का प्रतीक बताया। एक नक्शे में उन्होंने इजराइल और उसके "अरब सहयोगी" देशों जैसे मिस्र, सऊदी अरब, सूडान, और भारत को हरे रंग में दिखाया, जबकि दूसरे नक्शे में ईरान, इराक, सीरिया और यमन को काले रंग में। यह दर्शाने की कोशिश की गई कि किस तरह ईरान और उसके समर्थक देश पूरे क्षेत्र में अस्थिरता और संघर्ष पैदा कर रहे हैं।
नेतन्याहू ने कहा कि विश्व को इन दोनों में से किसी एक रास्ते का चुनाव करना होगा। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि "ईरान के खिलाफ दुनिया को एकजुट होना होगा और उसकी परमाणु हथियारों की महत्वाकांक्षा को रोकना होगा।" इसके साथ ही उन्होंने संयुक्त राष्ट्र से ईरान पर फिर से प्रतिबंध लगाने की मांग की।
ईरान को दी खुली चेतावनी
नेतन्याहू ने ईरान को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा, "अगर तुम हम पर हमला करोगे, तो हम तुम पर भी वार करेंगे।" उन्होंने स्पष्ट किया कि इजराइल की पहुंच ईरान के किसी भी हिस्से तक है और अगर ईरान ने इजराइल पर हमला किया, तो उसे करारा जवाब मिलेगा।
यह चेतावनी ऐसे समय में आई है जब इजराइल, हिजबुल्ला के ठिकानों पर हमले कर रहा है और ईरान, हिजबुल्ला का प्रमुख समर्थक है। इजराइल और हिजबुल्ला के बीच जारी संघर्ष ने पूरे क्षेत्र में तनाव बढ़ा दिया है।
फिलिस्तीनियों को भी संदेश
अपने भाषण में नेतन्याहू ने फिलिस्तीनी लोगों को भी संबोधित किया। उन्होंने कहा कि फिलिस्तीनियों को यहूदी-विरोधी मानसिकता को त्यागना होगा और इजराइल को एक यहूदी राष्ट्र के रूप में स्वीकार करना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि शांति तभी संभव है, जब फिलिस्तीन इजराइल के अस्तित्व को मान्यता दे।
नेतन्याहू के भाषण के दौरान विरोध
नेतन्याहू के भाषण के दौरान कई देशों के नेताओं और राजनयिकों ने विरोध जताते हुए सभा से बाहर चले गए। यह विरोध खासकर गाजा में चल रही इजराइली सैन्य कार्रवाई के खिलाफ था। गाजा संघर्ष में अब तक 42,252 लोगों की मौत हो चुकी है, और लगातार बढ़ते हमलों ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को चिंता में डाल दिया है।
जैसे ही नेतन्याहू ने अपना भाषण शुरू किया, कुछ राजनयिक हॉल से बाहर निकल गए। डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार, ये राजनयिक गाजा में इजराइली हमलों और लेबनान में हिजबुल्ला के ठिकानों पर हमलों का विरोध कर रहे थे।
सोशल मीडिया पर विरोध का वीडियो वायरल
सोशल मीडिया पर कई वीडियो सामने आए, जिनमें दिखाया गया कि कैसे नेतन्याहू के भाषण के दौरान राजनयिक हॉल से बाहर जा रहे थे। नेतन्याहू के हॉल में प्रवेश करने पर कई देशों के प्रतिनिधियों ने जोर-जोर से अपनी नाराजगी जताई। कुछ ने नेतन्याहू का भाषण सुनने से पहले ही सभा छोड़ दी।
इसके अलावा, न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय के बाहर भी नेतन्याहू के खिलाफ युद्ध विरोधी प्रदर्शन हुए। प्रदर्शनकारियों ने गाजा में हो रही हिंसा का विरोध किया और इजराइल की नीतियों की निंदा की।
नेतन्याहू के लिए चुनौतियां
इजराइल के प्रधानमंत्री के लिए यह भाषण ऐसे समय में हुआ, जब इजराइल कई मोर्चों पर संघर्ष का सामना कर रहा है। गाजा में हमास के साथ जारी संघर्ष और लेबनान में हिजबुल्ला के ठिकानों पर हमले, इजराइल के लिए चुनौती बने हुए हैं। वहीं, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी इजराइल को मानवाधिकार उल्लंघन और सैन्य अभियानों के कारण आलोचना का सामना करना पड़ रहा है।
नेतन्याहू ने अपने भाषण में जोर देकर कहा कि इजराइल अपनी सुरक्षा के लिए जो भी जरूरी होगा, वह करेगा। उन्होंने कहा, "हमने अपने दुश्मनों के खिलाफ कई मोर्चों पर लड़ाई लड़ी है, और हम हर बार जीतेंगे।"
मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव
गाजा में संघर्ष और हिजबुल्ला पर इजराइली हमले ने पूरे क्षेत्र में अस्थिरता फैला दी है। लेबनान और सीरिया में हिजबुल्ला समर्थित ठिकानों पर इजराइली हमलों के कारण कई लोगों की मौत हो चुकी है। इस बीच, ईरान ने इजराइल के खिलाफ अपनी रणनीति को और आक्रामक बनाने का इशारा दिया है।
ईरान की तरफ से यह स्पष्ट संकेत दिए जा रहे हैं कि अगर इजराइल ने हिजबुल्ला या उसके सहयोगियों पर हमले जारी रखे, तो वह इसका जवाब देगा। मध्य पूर्व में यह स्थिति और गंभीर हो सकती है, क्योंकि दोनों पक्षों में तनाव कम होने के बजाय और बढ़ता जा रहा है।
संयुक्त राष्ट्र की भूमिका
संयुक्त राष्ट्र महासभा में नेतन्याहू के भाषण ने यह स्पष्ट कर दिया है कि इजराइल अपनी नीतियों में कोई बदलाव नहीं करने जा रहा है। इसके अलावा, ईरान और इजराइल के बीच चल रहे तनाव ने संयुक्त राष्ट्र के लिए भी एक चुनौती पैदा कर दी है। कई देशों ने इस मामले को सुलझाने के लिए कूटनीतिक रास्ते तलाशने की बात कही है, लेकिन अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया है।
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की निगाहें अब संयुक्त राष्ट्र पर हैं, जहां ईरान और इजराइल के बीच बढ़ते तनाव को कम करने के लिए संभावित कदम उठाए जा सकते हैं। वहीं, इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की तरफ से यह संदेश साफ है कि इजराइल अपनी सुरक्षा के लिए कोई भी कदम उठाने से पीछे नहीं हटेगा।
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