India America Relationship : डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल का क्या होगा असर? पढ़ें पूरी रिपोर्ट!
ट्रंप के दूसरे कार्यकाल का शपथ ग्रहण: भारत के लिए क्या संकेत देते हैं डोनाल्ड ट्रंप के बड़े फैसले?
वाशिंगटन डीसी: डोनाल्ड ट्रंप ने 20 जनवरी 2025 को अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में दूसरे कार्यकाल के लिए शपथ ली। अपने उद्घाटन भाषण में ट्रंप ने कई बड़े और विवादित निर्णयों का संकेत दिया, जिनमें आव्रजन नीति को सख्त करना, पेरिस जलवायु समझौते से अमेरिका को बाहर निकालना, और पनामा नहर पर अमेरिका के नियंत्रण की इच्छा जैसे विषय शामिल हैं।
भारत के लिए यह भाषण और उनके आगामी निर्णय क्या संकेत देते हैं? चलिए इसे विस्तार से समझते हैं।
ट्रंप की पेरिस जलवायु समझौते से वापसी का असर
अपने उद्घाटन भाषण में ट्रंप ने कहा कि अमेरिका फिर से पेरिस जलवायु समझौते से बाहर हो जाएगा। यह फैसला वैश्विक पर्यावरणीय प्रयासों के लिए झटका साबित हो सकता है। भारत, जो जलवायु परिवर्तन को लेकर प्रतिबद्ध है, अमेरिका के इस कदम से सीधे तौर पर प्रभावित होगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका की वापसी से हरित ऊर्जा परियोजनाओं की वैश्विक फंडिंग में कमी आ सकती है। भारत को अब अपने संसाधनों से आत्मनिर्भर बनने और हरित ऊर्जा क्षेत्र में बड़े कदम उठाने होंगे।
आव्रजन नीति: भारतीय पेशेवरों के लिए चुनौती?
ट्रंप ने आव्रजन नीति को सख्त करने और दक्षिणी सीमा पर राष्ट्रीय आपातकाल घोषित करने का ऐलान किया।
भारत, जो अमेरिका में सबसे अधिक एच1-बी वीजा धारकों का स्रोत है, इस नीति से सीधे प्रभावित हो सकता है। ट्रंप के पहले कार्यकाल में भी भारतीय पेशेवरों को वीजा नियमों में बदलाव का सामना करना पड़ा था।
विशेषज्ञ सुझाव देते हैं कि भारत को अपने स्टार्टअप और आईटी क्षेत्र को मजबूत करना चाहिए, ताकि अमेरिकी बाजार की निर्भरता को कम किया जा सके।
मंगल अभियान और अंतरिक्ष सहयोग के मौके
ट्रंप ने अमेरिका को मंगल पर भेजने की योजना की घोषणा की। यह भारत के लिए एक बड़ा अवसर बन सकता है। इसरो (ISRO) और नासा के बीच पहले से ही सहयोग की संभावनाएं मौजूद हैं। अगर भारत और अमेरिका संयुक्त रूप से अंतरिक्ष अनुसंधान में काम करें, तो दोनों देशों को लाभ हो सकता है।
पनामा नहर विवाद और वैश्विक व्यापार पर प्रभाव
ट्रंप ने पनामा नहर पर अमेरिका के अधिकार की इच्छा जताई। यह कदम वैश्विक व्यापार और शिपिंग पर असर डाल सकता है। भारत, जो अपने व्यापार मार्गों में पनामा नहर का उपयोग करता है, को वैकल्पिक मार्गों पर विचार करना होगा।
भारत-अमेरिका संबंधों की नई दिशा
इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू और मिस्र के राष्ट्रपति अल-सिसी जैसे नेताओं ने ट्रंप को बधाई दी और सहयोग बढ़ाने की बात कही। भारत को भी इस मौके का लाभ उठाते हुए अमेरिका के साथ अपने संबंध और मजबूत करने चाहिए।
विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रंप प्रशासन के तहत भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग बढ़ सकता है। क्वाड जैसे मंचों पर भारत और अमेरिका मिलकर काम कर सकते हैं।
डोनाल्ड ट्रंप का दूसरा कार्यकाल भारत के लिए अवसर और चुनौतियां दोनों लेकर आ सकता है। जहां सख्त वीजा नीतियां और पर्यावरण समझौते से अमेरिका की वापसी भारत के लिए चिंता का कारण बन सकती हैं, वहीं अंतरिक्ष सहयोग और रक्षा साझेदारी को बढ़ावा देने के मौके भी मौजूद हैं।
भारत को अमेरिका के बदलते रुख के साथ अपनी रणनीति तैयार करनी होगी और आत्मनिर्भरता को प्राथमिकता देनी होगी।
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