Lucknow Launch: हनुमान जयंती पर भजन कम्युनिटी की आध्यात्मिक शुरुआत, लोगों को मिला आत्मिक हीलिंग का अनुभव
हनुमान जयंती के अवसर पर लखनऊ स्थित योगकुलम स्टूडियो में ‘भजन कम्युनिटी’ की आध्यात्मिक शुरुआत की गई। भक्ति, ध्यान और हीलिंग सेशन्स के इस नए संगम ने श्रद्धालुओं को एक गहन आध्यात्मिक अनुभव प्रदान किया।

नई दिल्ली/लखनऊ: हनुमान जयंती के पावन अवसर पर लखनऊ का विकास नगर एक विशेष आध्यात्मिक ऊर्जा से भर गया, जब योगकुलम स्टूडियो में ‘भजन कम्युनिटी’ की भव्य शुरुआत की गई। यह केवल एक सांस्कृतिक पहल नहीं, बल्कि एक ऐसी आध्यात्मिक यात्रा है जो भक्तों को भजन, ध्यान और हीलिंग से जोड़ती है।
इस आयोजन की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन से हुई जिसे योगकुलम के संस्थापक मनीष प्रताप सिंह और इंडीकुलम के सह-संस्थापक शेखर मल्होत्रा ने किया। इसके बाद जो हुआ, उसने सभी उपस्थित श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
संगीत, साधना और कथा – तीनों का अद्वितीय संगम
कार्यक्रम में प्रस्तुत हुआ कथक नृत्य, हरे कृष्ण महामंत्र, हनुमान चालीसा और कीर्तन – सबने मिलकर ऐसा वातावरण रच दिया जहां केवल शरीर नहीं, आत्मा भी थिरकने लगी। शेखर मल्होत्रा के नेतृत्व में भक्ति संगीत ने एक गहरा अध्यात्मिक स्पर्श छोड़ा। श्रोता भावविभोर होकर भजन की उस लहर में बहते रहे जिसमें केवल श्रद्धा थी, समर्पण था और आत्मा का सच्चा संवाद।
भजन कम्युनिटी का उद्देश्य क्या है?
इस पहल का मुख्य उद्देश्य है – "भजन से हीलिंग तक की यात्रा को समाज के बीच लाना।" योगकुलम की यह नयी शाखा केवल भजन गाने या सुनने तक सीमित नहीं है। यहां ध्यान, हीलिंग सेशन्स और वैदिक साधना के माध्यम से एक सकारात्मक ऊर्जा का निर्माण होता है।
यह एक ऐसा मंच है, जहाँ व्यक्ति केवल संगीत नहीं, बल्कि आत्मिक संवाद और मानसिक शांति का अनुभव करता है। अभी यह सत्र लखनऊ में फिजिकल मोड में शुरू किया गया है, लेकिन भविष्य में इसे ऑनलाइन और देश के अन्य हिस्सों में विस्तारित करने की योजना है।
कौन-कौन रहे शामिल?
पहले ही सत्र में बड़ी संख्या में श्रद्धालु इस आध्यात्मिक यात्रा का हिस्सा बने। इनमें प्रमुख नाम रहे:
सर्वेश सिंह, विकास सिंह, शालिनी, अंजलि, अमृता, श्वेता, संध्या, विशाल, तान्या, नीति श्रीवास्तव, ऋतु त्रिपाठी, उन्नति शुक्ला और कई अन्य। सभी ने भजन और ध्यान में भाग लेकर एक अद्वितीय आध्यात्मिक अनुभूति की।
इतिहास की झलक: भारत में भजन की परंपरा
भजन केवल एक संगीत शैली नहीं, बल्कि हजारों वर्षों पुरानी एक आध्यात्मिक परंपरा है जो संत तुलसीदास, मीरा, सूरदास और कबीर के समय से हमारे जीवन का हिस्सा रही है। भजन के माध्यम से व्यक्ति न केवल भगवान से जुड़ता है, बल्कि स्वयं की आत्मा से भी साक्षात्कार करता है। इसीलिए भारतीय संस्कृति में भजन को 'आत्मा का संवाद' कहा गया है।
भविष्य की योजना और कैसे जुड़ें?
योगकुलम द्वारा एक विशेष व्हाट्सएप ग्रुप भी बनाया गया है, जिसमें आगामी भजन सत्रों, ध्यान आयोजनों और हीलिंग वर्कशॉप्स की जानकारी नियमित रूप से साझा की जाती है। यदि आप भी इस समुदाय से जुड़ना चाहते हैं, तो व्हाट्सएप लिंक या योगकुलम की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर जानकारी ले सकते हैं।
क्यों ज़रूरी है यह पहल?
आज की तेज़ भागती दुनिया में मन की शांति दुर्लभ हो चली है। ऐसे में भजन कम्युनिटी जैसे प्रयास एक भावनात्मक और आध्यात्मिक राहत का माध्यम बन सकते हैं। यह केवल एक मंच नहीं, बल्कि एक आंदोलन है – भक्ति, साधना और आत्मा की शांति के लिए।
इस नई पहल ने यह साबित कर दिया है कि "भजन केवल गीत नहीं, बल्कि आत्मा की चेतना है।" और शायद यही कारण है कि लोग इस आंदोलन से तेजी से जुड़ रहे हैं।
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