Galudih Accident Mystery: गालूडीह हाईवे पर 'कट' की लापरवाही, दो बाइकों की टक्कर में चार लोग गंभीर रूप से घायल
गालूडीह हाईवे पर एक मामूली सा कट बन गया बड़ी दुर्घटना की वजह। दो बाइकों की आमने-सामने की टक्कर में चार लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। जानिए पूरी कहानी।

गालूडीह: शनिवार की शाम एक शांत सा प्रतीत होने वाला हाईवे अचानक चीख-पुकार और अफरा-तफरी से गूंज उठा। झारखंड के गालूडीह थाना क्षेत्र अंतर्गत टोल प्लाजा के पास बेड़ाहातू गांव के सामने बने एक 'कट' ने ऐसा कहर ढाया कि दो बाइक आमने-सामने टकरा गईं और चार लोगों की ज़िंदगी कुछ पल में झकझोर कर रख दी।
यह हादसा जितना सीधा लग रहा है, उसकी वजह उतनी ही चौंकाने वाली है — एक बाइक का बिना इंडिकेटर दिए अचानक मोड़ लेना।
प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो एमजीएम थाना क्षेत्र के बनामघुटू गांव से आ रही एक बाइक जब बेड़ाहातू के पास कट पर पहुंची, तभी सामने से आ रही दूसरी बाइक से उसकी टक्कर हो गई। सामने वाली बाइक पोटका की ओर जा रही थी और मोड़ लेते वक्त न तो इंडिकेटर का उपयोग किया गया और न ही गति कम की गई — और यही लापरवाही बनी इस बड़ी दुर्घटना की वजह।
घायलों की पहचान और स्थिति:
इस भीषण टक्कर में घायल हुए लोगों की पहचान बनामघुटू निवासी आज़ाद सोरेन (21), दिलीप हांसदा और भीम मुर्मू के रूप में हुई है। वहीं दूसरी बाइक पर सवार सुखचंद सिंह, जो कि पश्चिम बंगाल के मधुबन के रहने वाले हैं, भी गंभीर रूप से घायल हो गए।
हादसे के तुरंत बाद स्थानीय लोगों ने सक्रियता दिखाई और घायलों को घाटशिला अनुमंडल अस्पताल पहुंचाया गया। डॉ. आरएन टुडू की टीम ने त्वरित प्राथमिक उपचार किया, लेकिन स्थिति गंभीर देखते हुए सभी घायलों को एमजीएम अस्पताल, जमशेदपुर रेफर कर दिया गया।
सिर और पैर में गहरी चोटें:
जानकारी के अनुसार आज़ाद सोरेन और दिलीप हांसदा को सिर में गंभीर चोटें आई हैं, जबकि भीम मुर्मू के पैर में गंभीर फ्रैक्चर हुआ है।
सवाल खड़े करता है ये 'कट':
हादसा केवल एक टक्कर नहीं है, बल्कि यह गालूडीह जैसे व्यस्त हाइवे पर मौजूद 'अनियोजित कट्स' की गंभीर समस्या को उजागर करता है। यह वही गालूडीह है, जहां पहले भी कई सड़क दुर्घटनाएं हो चुकी हैं — लेकिन न तो स्थायी सिग्नल लगे, न कोई सुरक्षा बैरियर।
इतिहास गवाह है:
पिछले तीन वर्षों में घाटशिला अनुमंडल क्षेत्र में इस प्रकार के अचानक मोड़ लेने से करीब 21 दुर्घटनाएं दर्ज की गई हैं, जिनमें 9 लोगों की जान चली गई और दर्जनों घायल हुए। फिर भी हाईवे पर सुरक्षा उपाय सिर्फ नाम मात्र के ही हैं।
पुलिस की भूमिका:
गालूडीह पुलिस टीम मौके पर तुरंत पहुंची और स्थिति को नियंत्रण में लिया। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या केवल पोस्ट-हादसा कार्रवाई से समाधान निकल सकता है? या अब समय आ गया है कि सड़क सुरक्षा के नियमों को सख्ती से लागू किया जाए?
स्थानीयों की मांग:
घटना के बाद गांववालों और स्थानीय सामाजिक संगठनों ने प्रशासन से मांग की कि हाईवे पर इस खतरनाक कट को या तो बंद किया जाए या वहां पर ट्रैफिक सिग्नल और स्पीड ब्रेकर लगाया जाए।
यह हादसा हमें यही सिखाता है कि लापरवाही की एक छोटी सी चूक, किसी के लिए जिंदगी और मौत का सवाल बन सकती है। सड़क पर नियमों की अवहेलना सिर्फ नियम तोड़ने तक सीमित नहीं रहती, वह कई बार परिवारों की ज़िंदगी बर्बाद कर देती है।
जब तक हम सभी — प्रशासन, वाहन चालक और नागरिक — सड़क सुरक्षा के प्रति अपनी जिम्मेदारी नहीं समझेंगे, तब तक गालूदीह जैसे हादसे यूं ही दोहराए जाते रहेंगे।
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