koderma Hungama: बच्चों को परोसी सड़ी खिचड़ी और अंडा, कोडरमा में आंगनबाड़ी बना जहर का केंद्र!
झारखंड के कोडरमा जिले में आंगनबाड़ी में परोसी गई बासी खिचड़ी और सड़े अंडों से बच्चों की तबीयत बिगड़ी, ग्रामीणों ने किया हंगामा। जांच में खाने को खराब पाया गया, सेविका पर गंभीर आरोप।
"जहां बच्चों को मिलनी चाहिए पोषण की थाली, वहां परोसी गई ज़हर की खुराक!"
कोडरमा के आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 226 में बच्चों को बासी खिचड़ी और सड़े अंडे खिलाए जाने का मामला सामने आते ही क्षेत्र में गुस्से की लहर दौड़ गई। मंगलवार को भोजन के बाद बच्चों की तबीयत बिगड़ने लगी, किसी को पेट दर्द, किसी को उल्टी — और जैसे ही यह खबर पूरे गांव में फैली, बुधवार को ग्रामीणों ने केंद्र पर पहुंचकर जमकर हंगामा किया।
घटना की शुरुआत: पोषण नहीं, मिला ज़हर!
मंगलवार को जब बच्चे आंगनबाड़ी केंद्र से अपने घर लौटे, तो शाम होते-होते कई बच्चों ने पेट दर्द, मतली और उल्टी की शिकायत की।
बच्चों — मो. अरहान, मो. अरमान, सिद्दत परवीन, अनवर अंसारी और सकीला परवीन — ने परिजनों को बताया कि उन्हें खाना खाने के बाद ही तबीयत बिगड़ने लगी।
परिजनों को जब शक हुआ कि खाना खराब हो सकता है, तो उन्होंने सीधे तौर पर आंगनबाड़ी सेविका मंजू देवी पर लापरवाही का आरोप लगाया। गांव में यह बात जंगल में आग की तरह फैल गई और अगली सुबह भारी संख्या में ग्रामीण केंद्र पर जमा हो गए।
मौके पर पहुंचे बीडीओ, प्रारंभिक जांच में हुआ खुलासा
घटना की गंभीरता को देखते हुए कोडरमा सदर के प्रभारी बीडीओ मनोज कुमार खुद मौके पर पहुंचे और जांच शुरू की।
प्रारंभिक जांच में ही यह स्पष्ट हो गया कि बच्चों को जो खाना परोसा गया था, वह खराब था। अंडे सड़े हुए पाए गए और खिचड़ी बासी थी।
मनोज कुमार ने बताया,
“आंगनबाड़ी केंद्र में कुल 33 बच्चे नामांकित हैं, लेकिन घटना वाले दिन एक भी बच्चा उपस्थित नहीं था। सेविका उपस्थिति पंजी भी साथ नहीं लाई थीं।”
उन्होंने जांच रिपोर्ट वरीय पदाधिकारी को सौंपने की बात कही, ताकि आगे उचित कार्रवाई की जा सके।
सेविका का पलटवार: साजिश का आरोप
इस बीच, सेविका मंजू देवी ने खुद पर लगे सभी आरोपों को खारिज किया है।
उनका कहना है कि उन्हें जानबूझकर फंसाया जा रहा है, और यह सब एक पूर्व नियोजित साजिश का हिस्सा है। हालांकि, जांच में जो तथ्य सामने आए हैं, वो उनकी सफाई को संदिग्ध बनाते हैं।
इतिहास भी गवाही दे रहा है: पहले भी सामने आ चुकी हैं ऐसी घटनाएं
झारखंड में आंगनबाड़ी केंद्रों में खराब खाना परोसने की घटनाएं कोई नई बात नहीं हैं।
2018 में गढ़वा, 2021 में लोहरदगा और 2023 में हजारीबाग में इसी तरह के मामले सामने आ चुके हैं, जहां बच्चों को सड़ा खाना खिलाया गया और बाद में जांच में लापरवाही की पुष्टि हुई।
हर बार कार्रवाई की बात होती है, लेकिन सुधार स्थायी नहीं दिखता।
सवाल जो उठते हैं...
-
क्या आंगनबाड़ी जैसे संवेदनशील संस्थानों में कोई निगरानी व्यवस्था है?
-
बच्चों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने वालों को समय पर सजा क्यों नहीं मिलती?
-
क्या जिला प्रशासन सिर्फ घटनाओं के बाद ही जागता है?
सिर्फ जांच नहीं, जिम्मेदारी तय हो
कोडरमा की यह घटना सिर्फ एक लापरवाही नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की विफलता का प्रतीक है।
आंगनबाड़ी, जहां बच्चों को सुरक्षित पोषण मिलना चाहिए, वह ‘जहर का अड्डा’ बन जाए — यह एक समाज के लिए शर्मनाक है।
अब ज़रूरत है सिर्फ सेविका को निलंबित करने की नहीं, बल्कि पूरी व्यवस्था में सुधार लाने की।
वरना अगली बार कोई और बच्चा हो सकता है इस लापरवाही का शिकार।
What's Your Reaction?


