Chakulia Drama : भूखे हाथी ने चावल गोदाम पर किया हमला, तीन शटर तोड़कर चट कर दिए चावल के बोरे
चाकुलिया के खेजुरिया गांव स्थित एसएफसी गोदाम में एक जंगली हाथी ने धावा बोला। हाथी ने 3 शटर तोड़कर चावल के बोरे खाए और जंगल लौट गया। ग्रामीणों में दहशत, अधिकारियों ने बताया यह नियमित समस्या।

चाकुलिया प्रखंड के खेजुरिया गांव में शनिवार सुबह एक अप्रत्याशित मेहमान ने एसएफसी गोदाम पर धावा बोल दिया। एक जंगली हाथी भोजन की तलाश में गोदाम पहुंचा और उसने तीन शटर तोड़कर चावल के बोरे निकाले, जिन्हें वह खाकर संतुष्ट होकर जंगल लौट गया। यह घटना स्थानीय ग्रामीणों और अधिकारियों के लिए नई नहीं है, क्योंकि यहां अक्सर हाथियों के ऐसे हमले होते रहते हैं।
घटना का विस्तृत विवरण
सुबह करीब 8 बजे जब गोदाम के कर्मचारी काम पर पहुंचे, तो उन्होंने देखा कि गोदाम के तीन शटर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हैं और चावल के बोरे बाहर बिखरे पड़े हैं। स्थानीय लोगों ने बताया कि रात में एक हाथी गोदाम के पास देखा गया था।
एसएफसी गोदाम के प्रभारी एजीएम कृष्णा मुंडा ने बताया, "हाथी ने एक शटर पूरी तरह तोड़ दिया और चावल के कई बोरे खा लिए। यह कोई पहली बार नहीं है, हाथी अक्सर यहां आते हैं और गोदाम को नुकसान पहुंचाते हैं।"
क्यों बार-बार आते हैं हाथी?
- गोदाम सीधे जंगल से सटा हुआ है
- हाथियों को चावल की गंध आकर्षित करती है
- जंगल में भोजन की कमी के कारण हाथी मानव बस्तियों की ओर रुख करते हैं
- इस क्षेत्र में हाथियों का एक रेगुलर मूवमेंट रूट है
ग्रामीणों की चिंता
खेजुरिया गांव के निवासी भयभीत हैं क्योंकि:
- हाथी कभी भी गांव में घुस सकते हैं
- फसलों को भारी नुकसान होता है
- रात के समय बाहर निकलना खतरनाक हो गया है
ग्राम प्रधान सुरेश महतो ने कहा, "हमने वन विभाग से कई बार शिकायत की है, लेकिन कोई स्थायी समाधान नहीं निकला। हाथियों के आतंक से हमारी फसलें और जानमाल दोनों खतरे में हैं।"
वन विभाग की प्रतिक्रिया
वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि:
- हाथियों को रोकने के लिए ट्रेंच खुदवाई जाएगी
- सोलर फेंसिंग लगाने का प्रस्ताव है
- हाथी रोकथाम दल को अलर्ट किया गया है
चाकुलिया का हाथी-मानव संघर्ष इतिहास
पिछले 5 वर्षों में इस क्षेत्र में:
- 12 से अधिक बड़े हाथी हमले दर्ज किए गए
- 3 लोगों की मौत हाथी हमलों में हुई
- 50 एकड़ से अधिक फसल नष्ट हुई
- 7 गोदामों और घरों को नुकसान पहुंचा
विशेषज्ञों की राय
वन्यजीव विशेषज्ञ डॉ. अरुण कुमार का कहना है, "यह क्लासिक ह्यूमन-एलिफेंट कनफ्लिक्ट का मामला है। जंगल सिकुड़ रहे हैं और हाथियों के मूवमेंट रूट पर मानव बस्तियां बस गई हैं। हमें हाथी कॉरिडोर बनाने की जरूरत है।"
आगे की राह
- वन विभाग ने हाथी चेतावनी प्रणाली शुरू करने का वादा किया है
- ग्रामीणों को हाथी भगाने के तरीके सिखाए जाएंगे
- गोदाम को हाथी-रोधी बनाने पर विचार चल रहा है
यह घटना एक बार फिर प्रकृति और मानव बस्तियों के बीच बढ़ते संघर्ष को उजागर करती है। जब तक हाथियों के लिए पर्याप्त भोजन और सुरक्षित मार्ग सुनिश्चित नहीं किए जाते, तब तक ऐसी घटनाएं होती रहेंगी। स्थानीय प्रशासन और वन विभाग को मिलकर एक स्थायी समाधान निकालना होगा जो हाथियों और मनुष्यों दोनों के हित में हो।
What's Your Reaction?






