डायन-बिसाही के अंधविश्वास ने ली दंपत्ति की जान: पुलिस ने 10 कातिलों को पकड़ा, हथियार-गोलियां बरामद!
डायन-बिसाही के अंधविश्वास में डूबी निर्मम हत्या का पुलिस ने किया खुलासा। दस आरोपी गिरफ्तार, पिस्टल, देसी कट्टे और गोलियां बरामद। जानिए कैसे अंधविश्वास ने दंपत्ति की जान ली।
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डायन-बिसाही के अंधविश्वास ने ली दंपत्ति की जान: पुलिस ने 10 कातिलों को पकड़ा, हथियार-गोलियां बरामद!
बीते 13 सितंबर को झारखंड के दलभंगा ओपी अंतर्गत बिजार गांव में सोमा सिंह मुंडा और उनकी पत्नी सिजाड़ी देवी की निर्मम हत्या ने इलाके में सनसनी फैला दी। पुलिस ने इस जघन्य हत्या का खुलासा करते हुए दस आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। इस हत्या के पीछे छिपी कहानी अंधविश्वास और डायन-बिसाही के आरोपों से भरी है, जिसने पूरे गांव को हिला कर रख दिया।
अंधविश्वास की आग में झोंकी गई दंपत्ति की जान
एसपी मुकेश कुमार लुनायत ने इस मामले की जानकारी देते हुए बताया कि डायन-बिसाही के आरोप में सोमा सिंह मुंडा और उनकी पत्नी सिजाड़ी देवी की हत्या की गई। मामले के खुलासे के दौरान पुलिस ने आरोपियों के पास से एक 7.65 एमएम की पिस्टल, दो देसी कट्टे, तीन गोलियां, एक स्कूटी और तीन मोबाइल फोन बरामद किए हैं।
कैसे हुआ हत्याकांड का खुलासा?
कांड की गुत्थी सुलझाने के लिए पुलिस ने बिजार गांव के मोहर सिंह मुंडा और चेतन मुंडा को हिरासत में लिया। पूछताछ के दौरान दोनों ने खुलासा किया कि सिजाड़ी देवी को डायन विद्या के कारण मारा गया। इसके बाद दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया। पूछताछ के दौरान मोहर सिंह मुंडा ने बताया कि चेतन मुंडा ने अपने बेटे दुर्गा मुंडा से संपर्क किया था।
दुर्गा मुंडा ने आगे चंबूराम मुंडा को इस काम में शामिल किया, और उसने अपने चार अन्य साथियों - सहदेव मुंडा उर्फ़ रंगा, राम मुंडू उर्फ़ सुखराम, सानिका मुंडू, और अमित मुंडू के साथ मिलकर इस खौफनाक घटना को अंजाम देने की योजना बनाई।
घटना की साजिश: अंधविश्वास से भरी मानसिकता
बीते रविवार को चंबूराम मुंडा और उसके साथी बिजार गांव पहुंचे और सोमा मुंडा और सिजाड़ी देवी के घर का जायजा लिया। अगले दिन, 13 सितंबर की शाम को, चंबूराम मुंडा अपने चारों दोस्तों के साथ दोबारा वहां पहुंचा और दोनों की बेरहमी से हत्या कर दी।
इस पूरी घटना का कारण सिर्फ एक था: डायन-बिसाही का अंधविश्वास। आरोपियों को यह विश्वास था कि सिजाड़ी देवी डायन विद्या करती हैं और उनके परिवार को नुकसान पहुंचा रही हैं। इसी अंधविश्वास के चलते उन्होंने खून की साजिश रची और मासूम दंपत्ति को मौत के घाट उतार दिया।
26 सितंबर को पुलिस ने धर दबोचा आरोपियों को
घटना के खुलासे के बाद, 26 सितंबर को दुर्गा मुंडा, बुधराम मुंडा और कीनूराम मुंडा को पूछताछ के लिए कुचाई लाया गया। यहां तीनों ने अपना अपराध कबूल कर लिया। उनकी निशानदेही पर पुलिस ने हत्या में इस्तेमाल किए गए हथियार, कारतूस, मोबाइल फोन और स्कूटी भी बरामद की।
पुलिस ने इनके खिलाफ धारा 25 (1-बी) ए /26/35 आर्म्स एक्ट के तहत केस दर्ज कर लिया है। इस केस में एक महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब एसपी मुकेश कुमार लुनायत ने बताया कि आरोपियों ने पूरी साजिश कैसे रची और इसे अंजाम दिया।
अंधविश्वास की सजा: निर्दोषों की हत्या और परिवार की तबाही
इस घटना ने एक बार फिर से दिखा दिया कि कैसे अंधविश्वास और कुप्रथाएं समाज को बर्बाद कर सकती हैं। डायन-बिसाही के आरोप में अक्सर निर्दोष लोगों की जान चली जाती है और इस मामले में भी ऐसा ही हुआ। सोमा सिंह मुंडा और उनकी पत्नी सिजाड़ी देवी किसी की व्यक्तिगत दुश्मनी या विवाद का शिकार नहीं बने, बल्कि अंधविश्वास की जड़ता ने उन्हें मौत के मुंह में धकेल दिया।
पुलिस की तत्परता और सख्त कार्रवाई के चलते इस हत्याकांड का खुलासा हो सका और दोषियों को न्याय के कटघरे में खड़ा किया गया। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह समाज कभी अंधविश्वास और कुप्रथाओं से बाहर निकल पाएगा?
अंधविश्वास के खिलाफ सख्त कदम की जरूरत
झारखंड और देश के कई हिस्सों में डायन-बिसाही जैसे अंधविश्वासों के कारण हर साल कई निर्दोष लोग अपनी जान गंवा देते हैं। इस घटना ने प्रशासन और समाज को एक बार फिर से सोचने पर मजबूर कर दिया है कि कैसे अंधविश्वास की जड़ें आज भी हमारे समाज में गहरी हैं। जरूरत है कि इन कुप्रथाओं के खिलाफ सख्त कानून और जागरूकता अभियान चलाए जाएं ताकि निर्दोष लोगों को ऐसी भयानक मौत से बचाया जा सके।
पुलिस की इस कार्रवाई ने भले ही दोषियों को पकड़ लिया हो, लेकिन सोमा सिंह मुंडा और सिजाड़ी देवी की मौत उन लोगों के लिए एक चेतावनी है जो अब भी अंधविश्वास में जकड़े हुए हैं। समाज को जागरूक होकर इन कुप्रथाओं के खिलाफ आवाज उठानी होगी ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
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