हिटलरशाही के खिलाफ हंगामा: स्टील स्ट्रिप्स व्हील्स कंपनी को घुटनों पर लाने वाली घटना, 50 लाख मुआवजा और नौकरी का वादा!
स्टील स्ट्रिप्स व्हील्स कंपनी के गोविंदपुर प्लांट में हादसे के बाद उथल-पुथल। कर्मचारियों और नेताओं के विरोध के बाद कंपनी ने 50 लाख मुआवजा और नौकरी का वादा किया। पढ़ें, कैसे हिटलरशाही के खिलाफ उठी आवाज़ ने बदला कंपनी का रुख।
हिटलरशाही के खिलाफ हंगामा: स्टील स्ट्रिप्स व्हील्स कंपनी को घुटनों पर लाने वाली घटना, 50 लाख मुआवजा और नौकरी का वादा!
गोविंदपुर स्थित स्टील स्ट्रिप्स व्हील्स कंपनी में हुए दर्दनाक हादसे ने न केवल एक परिवार को सदमे में डाला, बल्कि कंपनी की कार्यप्रणाली पर भी बड़े सवाल खड़े कर दिए। जयप्रकाश शर्मा की मौत के बाद कंपनी प्रबंधन के खिलाफ कर्मचारियों और विभिन्न राजनीतिक दलों ने मोर्चा खोल दिया। आखिरकार, लगातार विरोध और दबाव के चलते कंपनी ने मृतक के परिवार को 50 लाख रुपये मुआवजा देने और उनकी पत्नी को एक साल की ट्रेनिंग के बाद नौकरी देने का वादा किया।
कंपनी पर हिटलरशाही के आरोप, बढ़ते हादसे
घटना के बाद स्टील स्ट्रिप्स व्हील्स कंपनी पर आरोप लगे कि वह हिटलरशाही की तर्ज पर कार्य कर रही है। आजसू नेता अप्पू तिवारी ने कहा कि कंपनी में सुरक्षा के नाम पर बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर हालात कुछ और ही हैं। कर्मचारियों की सुरक्षा को नजरअंदाज किया जा रहा है, जिसके कारण आए दिन हादसे होते रहते हैं।
उन्होंने कहा, "स्टील स्ट्रिप्स व्हील्स कंपनी कर्मचारियों के जीवन की कीमत पर मुनाफा कमा रही है। कंपनी प्रबंधन सुरक्षा मानकों की धज्जियां उड़ाते हुए अपने कर्मचारियों के जीवन से खिलवाड़ कर रहा है। अगर कंपनी इसी तरह से काम करती रही तो आने वाले समय में और भी बड़े हादसे देखने को मिल सकते हैं।"
सभी दलों के नेताओं का मोर्चा, मुआवजे की मांग पर अड़े
हादसे के बाद जयप्रकाश शर्मा के परिवार को न्याय दिलाने के लिए आजसू, झामुमो, भाजपा सहित अन्य राजनीतिक दलों के नेता कंपनी गेट के बाहर धरने पर बैठ गए। यूनियन अध्यक्ष आनंद बिहारी दुबे ने भी इस आंदोलन को समर्थन दिया। नेताओं का कहना था कि कंपनी को अपनी गलतियों को मानना होगा और परिवार को न्याय देना होगा।
यूनियन नेता आनंद बिहारी दुबे ने कहा, "हम कंपनी प्रबंधन के सामने झुकने वाले नहीं थे। जब तक जयप्रकाश के परिवार को न्याय नहीं मिलता, हम यहाँ से हटने वाले नहीं थे।" उन्होंने बताया कि आखिरकार कंपनी प्रबंधन को झुकना पड़ा और मुआवजे की मांग को स्वीकार करना पड़ा।
यूनियन नेताओं और कंपनी प्रबंधन के बीच समझौता
कई घंटों की बातचीत और समझौते के बाद, कंपनी प्रबंधन ने जयप्रकाश शर्मा के परिवार को 50 लाख रुपये का मुआवजा देने पर सहमति जताई। इसके अलावा, उनकी पत्नी को एक साल की ट्रेनिंग के बाद कंपनी में नौकरी देने का वादा भी किया गया। तत्काल एक लाख रुपये की नकद राशि दी जाएगी, जबकि बाकी राशि कागजी कार्यवाही पूरी होने के बाद दी जाएगी।
यह निर्णय यूनियन नेताओं, आंदोलनकारी दलों के प्रतिनिधियों और कंपनी प्रबंधन के बीच हुई विस्तृत चर्चा के बाद लिया गया। इस समझौते के बाद मृतक के परिवार और यूनियन नेताओं ने संतोष जताया है।
नेताओं का आरोप: कंपनी प्रबंधन के लिए इंसानों से ज्यादा मुनाफा जरूरी
इस दर्दनाक हादसे के बाद नेताओं ने कंपनी प्रबंधन पर कई गंभीर आरोप लगाए। भाजपा नेता सह जिला परिषद उपाध्यक्ष पंकज सिन्हा ने कहा कि कंपनी अपने कर्मचारियों को बंधुआ मजदूरों की तरह ट्रीट कर रही है। “सुरक्षा के नाम पर यहाँ केवल कागजी कार्यवाहियाँ होती हैं। हादसे के बाद ही कंपनी को सुरक्षा की याद आती है,” उन्होंने कहा।
झामुमो नेता माणिक मल्लिक और कांग्रेस नेता विजय यादव ने भी कंपनी पर निशाना साधा और कहा कि प्रबंधन की लापरवाही की कीमत कर्मचारी चुका रहे हैं। आजसू नेता अप्पू तिवारी ने कहा कि अगर कंपनी अपनी हिटलरशाही नीतियों से बाहर नहीं निकली तो भविष्य में और भी बड़े आंदोलन होंगे।
मुआवजे का मतलब न्याय नहीं: नेता और यूनियन के सवाल बरकरार
हालांकि, कंपनी ने मुआवजा और नौकरी देने का वादा किया है, लेकिन नेताओं और यूनियन ने साफ कहा है कि यह घटना किसी एक व्यक्ति की मौत का मामला नहीं है। यह कंपनी की सुरक्षा मानकों की खुली अनदेखी को उजागर करता है। यूनियन नेता आनंद बिहारी दुबे ने कहा, “मुआवजा मिलना परिवार के लिए राहत है, लेकिन यह मुद्दा सुरक्षा का है। अगर कंपनी ने सुरक्षा पर ध्यान दिया होता तो शायद आज जयप्रकाश हमारे बीच होते।”
भाजपा नेता पंकज सिन्हा ने कहा कि मुआवजे के साथ ही कंपनी को अपने सुरक्षा मानकों में सुधार करना होगा। अन्यथा, आने वाले दिनों में फिर से ऐसे हादसे सामने आ सकते हैं। नेताओं ने यह भी कहा कि वे इस मामले को सरकार के सामने भी उठाएंगे ताकि कंपनियों को सुरक्षा मानकों का पालन करने के लिए मजबूर किया जा सके।
सैकड़ों लोग बने विरोध के गवाह, गूंज उठी न्याय की आवाज़
इस हादसे और उसके बाद के घटनाक्रम ने स्टील स्ट्रिप्स व्हील्स कंपनी की कार्यप्रणाली पर गहरी चोट की है। मौके पर मृतक के पिता गोपाल शर्मा और उनके परिवार के साथ यूनियन नेता आनंद बिहारी दुबे, भाजपा नेता पंकज सिन्हा, आजसू नेता अप्पू तिवारी, झामुमो नेता माणिक मल्लिक, कांग्रेस नेता विजय यादव और अन्य कई स्थानीय नेता उपस्थित थे।
सभी नेताओं और यूनियन सदस्यों का कहना था कि यह जीत किसी एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि सभी कर्मचारियों की है। इस घटना ने कंपनी प्रबंधन को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि वे अपने कर्मचारियों के जीवन को हल्के में न लें।
आगे की राह: क्या कंपनी सुधरेगी अपनी कार्यशैली?
हालांकि मुआवजे और नौकरी का वादा इस मामले का एक अस्थायी हल हो सकता है, लेकिन यह सवाल अब भी बना हुआ है कि क्या कंपनी अपनी कार्यशैली में बदलाव करेगी? क्या सुरक्षा मानकों का पालन किया जाएगा? क्या जयप्रकाश शर्मा की मौत से सबक लेकर कंपनी अपने कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी?
आंदोलनकारी दल और यूनियन इस मामले पर कड़ी नजर रखेंगे और यदि कंपनी ने अपनी कार्यशैली में सुधार नहीं किया तो आने वाले दिनों में फिर से आंदोलन हो सकता है। इस घटना ने न केवल कंपनी को बल्कि अन्य सभी उद्योगों को भी एक चेतावनी दी है कि कर्मचारी सबसे पहले हैं और उनकी सुरक्षा के साथ खिलवाड़ किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
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