Jinkapani Village Protest: ग्रामीणों का गुस्सा फूटा, सड़क निर्माण की मांग को लेकर जाम में फंसी सैकड़ों गाड़ियां
झींकपानी में सड़क निर्माण कार्य की धीमी प्रक्रिया को लेकर ग्रामीणों ने चाईबासा-जैंतगढ़ मुख्य सड़क को जाम किया। जानें कैसे इस मुद्दे ने ग्रामीणों के जीवन को प्रभावित किया और उनके संघर्ष को।
झींकपानी, 12 जनवरी 2025: झारखंड के झींकपानी में सड़क निर्माण और उड़ती धूल की समस्या को लेकर ग्रामीणों का गुस्सा फूटा है। शनिवार को दूसरे दिन भी ग्रामीणों ने चाईबासा-जैंतगढ़ मुख्य सड़क (एनएच-75) को बिष्टुमपुर में जाम कर दिया। इस जाम के कारण बिष्टुमपुर से चाईबासा तक 14 किमी और बिष्टुमपुर से हाटगम्हरिया तक 20 किमी की लंबी लाइन लग गई, जिससे सैकड़ों गाड़ियां फंसी हुई हैं। इस जाम ने न केवल यातायात को प्रभावित किया, बल्कि वाहन चालकों और ग्रामीणों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।
सड़क निर्माण और धूल की समस्या:
ग्रामीणों का आरोप है कि एनएच-75 पर सड़क निर्माण का काम अधूरा पड़ा है। सड़क की खस्ता हालत और निर्माण कार्य में देरी के कारण उड़ती धूल उनके घरों में घुस जाती है, जिससे उनकी दिनचर्या प्रभावित हो रही है। इसके अलावा, धूल की परत तालाबों और कुओं में भी पड़ रही है, जिससे ग्रामीणों को पानी और स्नान करने में भी कठिनाई हो रही है। बिष्टुमपुर के लोग इस समस्या से इतना तंग आ चुके हैं कि अब वे सड़क पर उतरकर विरोध कर रहे हैं।
क्या था ग्रामीणों का ऐलान?
शुक्रवार सुबह से ही सड़क जाम कर रहे ग्रामीणों ने साफ तौर पर कह दिया कि वे किसी भी आश्वासन से संतुष्ट नहीं हैं। शनिवार दोपहर को चाईबासा के एडीसी प्रवीण केरकेट्टा और भू-अर्जन पदाधिकारी संध्या मुंडू ने ग्रामीणों से मिलकर उन्हें आश्वासन दिया कि सड़क निर्माण का काम जल्द शुरू किया जाएगा। लेकिन ग्रामीणों ने यह मांग की कि केवल आश्वासन से उनका काम नहीं चलेगा, बल्कि वे ठोस कदम देखना चाहते हैं। उनका कहना है कि जब तक संवेदक सड़क निर्माण कार्य शुरू नहीं करेगा, वे जाम नहीं हटाएंगे।
ग्रामीणों की स्थिति और सर्दी में संघर्ष:
इस जाम में फंसे हुए वाहन चालकों को 36 घंटे से भी अधिक समय तक परेशानियों का सामना करना पड़ा है। ठंड में बैठकर वे अपनी मांगों को लेकर आवाज उठा रहे हैं। महिला और पुरुष सभी ठिठुरती सर्दी में सड़क पर बैठे हैं, यह संघर्ष उनके जीवन में हो रहे भयंकर संकट को उजागर करता है।
संवेदक की लापरवाही और प्रशासन की नाकामी:
यह समस्या तब उत्पन्न हुई जब संवेदक मेसर्स रामकृपाल सिंह कंस्ट्रक्शन कंपनी ने बिष्टुमपुर में सड़क निर्माण कार्य अधूरा छोड़ दिया। स्थानीय ग्रामीणों ने बार-बार प्रशासन और संवेदक से सड़क की स्थिति को सुधारने की मांग की थी, लेकिन उनकी मांगों को अनसुना किया गया। अब यह मुद्दा सड़क जाम और आंदोलन का रूप ले चुका है।
सड़क जाम का प्रभाव:
सड़क जाम की स्थिति से न केवल स्थानीय ग्रामीणों को परेशानियों का सामना करना पड़ा, बल्कि इससे राष्ट्रीय राजमार्ग पर यातायात भी प्रभावित हुआ है। लंबी दूरी तक फंसी गाड़ियां और जाम में फंसे लोग इस समस्या से परेशान हो रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यह संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक उनका मुद्दा पूरी तरह से हल नहीं हो जाता।
क्या प्रशासन जल्दी समाधान निकालेगा?
ग्रामीणों का यह आंदोलन न केवल सड़क निर्माण की धीमी गति को लेकर है, बल्कि यह स्थानीय प्रशासन की नाकामी और संवेदक की लापरवाही के खिलाफ भी है। प्रशासन को जल्द से जल्द इस मुद्दे का समाधान निकालना होगा, ताकि ग्रामीणों का जीवन सामान्य हो सके और यातायात की समस्या का समाधान हो सके।
झींकपानी में हो रहे इस सड़क जाम ने यह स्पष्ट कर दिया है कि ग्रामीणों के जीवन में बुनियादी सुविधाओं का संकट गहरा होता जा रहा है। सड़क निर्माण में हो रही देरी और धूल की समस्या ने स्थानीय लोगों को सड़कों पर उतरने पर मजबूर कर दिया है। अब यह प्रशासन और संवेदक के हाथ में है कि वे जल्दी से इस समस्या का हल निकालें और ग्रामीणों को राहत प्रदान करें।
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