Ranchi Solar Projects: ऑफ-ग्रिड सोलर पावर से 128 गांवों में रोशन हुई रातें, 10016 घरों तक पहुंची बिजली
झारखंड के 128 गांवों में राज्य सरकार ने ऑफ-ग्रिड सोलर पावर प्लांट से बिजली पहुंचाई, जानिए इस महत्वाकांक्षी परियोजना के बारे में पूरी जानकारी।
रांची, 12 जनवरी 2025: झारखंड के दूरदराज के गांवों में, जहां पारंपरिक बिजली व्यवस्था से बिजली पहुंचाना एक चुनौती बन चुका था, वहां राज्य सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। राज्य के सुदूर क्षेत्रों में ऑफ-ग्रिड सोलर पावर प्लांट के जरिए 128 गांवों को विद्युत जगत से जोड़ने का काम सफलतापूर्वक किया गया है। यह परियोजना झारखंड बिजली वितरण निगम के सर्वेक्षण और जेरेडा के सहयोग से शुरू की गई थी, और अब इन गांवों के 10016 घरों में सौर ऊर्जा से बिजली पहुंचाई जा चुकी है।
क्या है ऑफ-ग्रिड सोलर पावर प्लांट?
पारंपरिक बिजली आपूर्ति के लिए ग्रिड नेटवर्क की आवश्यकता होती है, लेकिन कई गांवों में भौगोलिक स्थिति के कारण ऐसा करना संभव नहीं था। इन गांवों में बिजली पहुंचाने के लिए ऑफ-ग्रिड सोलर पावर प्लांट की स्थापना की गई। ऑफ-ग्रिड का मतलब है कि ये पावर प्लांट किसी बाहरी ग्रिड से जुड़े बिना स्वावलंबी रूप से काम करते हैं, और इनकी ऊर्जा पूरी तरह से सौर (सूर्य) से उत्पन्न होती है। इस योजना के तहत प्रत्येक गांव में मिनी या माइक्रो सोलर पावर प्लांट लगाए गए हैं, जो बिजली की जरूरत को पूरा करते हैं।
किस तरह से किया गया विद्युतीकरण?
इन 128 गांवों में प्रत्येक घर के लिए 500 किलोवाट क्षमता की बिजली निर्धारित की गई। इसके तहत सोलर पावर प्लांट्स की कुल क्षमता का निर्धारण किया गया और फिर डेडिकेटेड पावर डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क तैयार कर प्रत्येक घर में वायरिंग की गई। हर घर में तीन-तीन एलइडी लाइट्स लगाई गई, जिससे घरों को रोशनी मिल सके। इसके अलावा, गांवों के स्कूलों, चौपालों, सड़कों और गलियों को स्ट्रीट लाइट्स के माध्यम से रोशन किया गया।
इस परियोजना को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए प्रत्येक गांव में एक विलेज लेवल समिति बनाई गई है। यह समिति सोलर पावर प्लांट की निगरानी और सुरक्षा करती है। यदि कोई समस्या उत्पन्न होती है, तो वह जेरेडा को सूचित करती है, जो तुरंत मरम्मत का कार्य करती है।
सुदूर गांवों के लिए यह कदम क्यों महत्वपूर्ण है?
झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युत आपूर्ति हमेशा से एक बड़ी चुनौती रही है। इन क्षेत्रों में बिजली न होने से न केवल दैनिक जीवन की कठिनाइयाँ होती हैं, बल्कि शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भी असर पड़ता है। यह परियोजना इन गांवों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है, क्योंकि अब इन गांवों में बच्चों को पढ़ाई के लिए पर्याप्त रोशनी, गांवों में स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर हो रही हैं, और रात के समय भी सुरक्षा बढ़ी है।
क्या है खर्च का आंकड़ा?
हर गांव में औसतन एक करोड़ रुपये का खर्च आया है। जेरेडा ने इस परियोजना के लिए करीब 130 करोड़ रुपये खर्च किए हैं, और यह राशि राज्य सरकार के अनुदान से दी गई है। इस खर्च के परिणामस्वरूप इन गांवों में अब 24 घंटे बिजली उपलब्ध है।
झारखंड सरकार द्वारा की गई यह पहल राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में एक नई उम्मीद लेकर आई है। सौर ऊर्जा से जुड़े ये ऑफ-ग्रिड पावर प्लांट न केवल बिजली की समस्या का समाधान कर रहे हैं, बल्कि इनसे ग्रामीण क्षेत्रों का समग्र विकास भी संभव हो रहा है। इस तरह की योजनाओं से झारखंड के दूर-दराज गांवों का चेहरा बदल सकता है और इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को आधुनिक जीवन की सुविधाएं मिल सकती हैं।
क्या इससे अन्य राज्य भी प्रेरित होंगे?
यह परियोजना न केवल झारखंड के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक मिसाल हो सकती है। ऑफ-ग्रिड सोलर पावर प्लांट्स की सफलता से अन्य राज्य भी प्रेरित हो सकते हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युत आपूर्ति के लिए यह मॉडल अपनाने पर विचार कर सकते हैं।
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