Ranchi cyber fraud: साइबर ठगों ने डॉक्टर के खाते में ट्रांसफर किए 1.31 लाख, सच्चाई जान पुलिस भी हैरान!
रांची के डॉक्टर अनिल कुमार के खाते में साइबर अपराधियों ने 1.31 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए। आशंका है कि ठगों ने जांच से बचने के लिए यह चाल चली। मामला साइबर थाना पहुंचा, जांच शुरू।

रांची: अगर आपके खाते में अचानक हजारों या लाखों रुपये आ जाएं, तो आप खुश होंगे या डर जाएंगे? ठीक ऐसा ही हुआ रांची के लालपुर क्षेत्र में रहने वाले डॉ. अनिल कुमार के साथ। उनके बंधन बैंक खाते में दो बार में कुल 1.31 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए गए — वो भी बिना किसी जानकारी या लेन-देन के।
पहली नजर में तो ये किसी 'अनजाने इनाम' जैसा लगा होगा, लेकिन जब डॉ. कुमार ने ट्रांजेक्शन डिटेल्स खंगाले, तो उनके होश उड़ गए।
कैसे हुआ पूरा मामला?
डॉ. अनिल कुमार ने जब अपने बैंक स्टेटमेंट की जांच की तो उन्हें पता चला कि:
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पहली बार ₹31,000 रुपये केनरा बैंक, मसानजोर शाखा, दुमका (झारखंड) से IFSC कोड के माध्यम से ट्रांसफर हुए।
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दूसरी बार ₹1,00,000 रुपये RBL बैंक लिमिटेड, कोरट्टूर शाखा, तमिलनाडु से ट्रांसफर किए गए।
ये दोनों ट्रांजेक्शन बंधन बैंक, लालपुर शाखा के उनके अकाउंट में हुए।
शक की सुई साइबर ठगों पर
डॉ. कुमार ने तुरंत इस घटना की शिकायत रांची साइबर थाना में दर्ज करवाई। उन्होंने अपनी प्राथमिकी में बताया कि उन्हें संदेह है कि ये राशि किसी अन्य व्यक्ति से ठगी कर उनके खाते में डाली गई है। उन्होंने कहा कि:
"ऐसा प्रतीत होता है कि साइबर अपराधियों ने किसी भोले-भाले व्यक्ति से ठगी कर ये पैसे मेरे अकाउंट में ट्रांसफर कर दिए ताकि अगर वे पकड़े जाएं, तो उनके बैंक रिकॉर्ड में इस ट्रांजेक्शन का कोई सबूत न मिले।"
इस तरह की चालबाजियां साइबर अपराध की दुनिया में नया ट्रेंड बनती जा रही हैं, जिसमें किसी तीसरे व्यक्ति के खाते को "डंप अकाउंट" के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है।
क्यों किया जाता है ऐसा?
यह एक आम money laundering trick है, जिसे "मूलधन छुपाने की रणनीति" कहा जा सकता है। जब साइबर अपराधी किसी व्यक्ति से पैसे ठगते हैं, तो वे उस पैसे को सीधे अपने खाते में नहीं रखते। इसके बजाय वे किसी और व्यक्ति के बैंक खाते का इस्तेमाल करते हैं, जिससे उनका नाम रिकॉर्ड में न आए।
पुलिस जांच में क्या हो रहा है?
रांची साइबर पुलिस ने डॉ. कुमार की शिकायत और बैंक डिटेल्स के आधार पर मामला दर्ज कर लिया है और ट्रांजेक्शन के स्रोत की गहन जांच शुरू कर दी है। अब यह तलाश जारी है कि:
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ट्रांसफर करने वाले खाताधारक कौन हैं?
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क्या यह किसी गिरोह की सुनियोजित योजना है?
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क्या और लोगों के साथ भी ऐसी घटनाएं हुई हैं?
बैंक ग्राहक क्या करें?
यह घटना एक बड़ी सीख है। अगर आपके अकाउंट में अनजान स्रोत से पैसे आते हैं, तो तुरंत:
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बैंक को सूचित करें
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साइबर थाना में शिकायत दर्ज कराएं
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पैसे को वापस भेजने से पहले कानूनी सलाह लें
साइबर अपराधियों की चालें अब इतनी जटिल हो गई हैं कि पीड़ित और आरोपी में फर्क करना मुश्किल हो रहा है। इस केस से हमें यह भी समझने की जरूरत है कि डिजिटल ट्रांजेक्शन में पारदर्शिता और सतर्कता कितनी जरूरी है।
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