Bharat Ratna Proposal: दिशोम गुरु शिबू सोरेन को भारत रत्न देने का प्रस्ताव झारखंड विधानसभा में सर्वसम्मति से पारित
झारखंड विधानसभा ने पूर्व मुख्यमंत्री और आदिवासी नेता शिबू सोरेन को भारत रत्न देने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया। विपक्ष ने अन्य झारखंड आंदोलन के नेताओं को भी जोड़ने का सुझाव दिया।
झारखंड विधानसभा ने गुरुवार को मानसून सत्र के अंतिम दिन वरिष्ठ आदिवासी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिशोम गुरु शिबू सोरेन को भारत रत्न देने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित कर केंद्र सरकार को भेजने का निर्णय लिया। झारखंड सरकार के समाज कल्याण मंत्री दीपक बिरुआ ने सदन में यह प्रस्ताव पेश किया और कहा कि शिबू सोरेन ने झारखंड आंदोलन के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित किया था। उनके संघर्ष से झारखंड को नई पहचान और राज्य का दर्जा मिला।
मंत्री बिरुआ ने सदन को अवगत कराया कि 4 अगस्त 2025 को लंबी बीमारी के बाद शिबू सोरेन का निधन हो गया था। इसलिए केंद्र सरकार को यह प्रस्ताव शीघ्र भेजा जाना चाहिए। इस प्रस्ताव की चर्चा के दौरान नेता विपक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि वे इस प्रस्ताव के साथ हैं, लेकिन मांग की कि झारखंड आंदोलन के अन्य महानायक मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा और समाज सुधारक विनोद बिहारी महतो के नाम भी प्रस्ताव में जोड़े जाएं ताकि उनकी भूमिका को भी सम्मान मिल सके।
संसदीय कार्य मंत्री राधा कृष्ण किशोर ने सुझाव दिया कि प्रस्ताव में यह भी जोड़ा जाए कि भारत की आजादी में आदिवासी समाज का महत्वपूर्ण योगदान रहा है, लेकिन अब तक किसी आदिवासी नेता, बुद्धिजीवी या आंदोलनकारी को भारत रत्न नहीं मिला है। ऐसे में शिबू सोरेन को भारत रत्न दिया जाना न्यायोचित होगा।
सदन की कार्यवाही के दौरान विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों ने शिबू सोरेन के सम्मान में एक स्वर में समर्थन जताया। उनके निधन के बाद राज्य में शोक की लहर फैली थी। उनका पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव नेमरा लाकर अंतिम संस्कार किया गया था।
शिबू सोरेन झारखंड आंदोलन के संस्थापकों में से एक थे, जिन्होंने आदिवासी अधिकारों और क्षेत्रीय स्वायत्तता के लिए अनगिनत संघर्ष किए। उनका राजनीतिक जीवन आदिवासी समुदाय के उत्थान और झारखंड राज्य की स्थापना से जुड़ा था। उनकी विरासत ने न केवल झारखंड की राजनीति को नया आयाम दिया बल्कि आदिवासी अधिकारों की आवाज़ को राष्ट्रीय स्तर पर बुलंद किया।
इस प्रस्ताव का पारित होना झारखंड में आदिवासी नेताओं और समाज के प्रति सम्मान और जागरूकता को दर्शाता है। अब यह प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा जाएगा जहां भारत रत्न जैसे सर्वोच्च नागरिक सम्मान के लिए अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
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