MGM Hospital: अस्पताल में नहीं मिला स्ट्रेचर, घायल को गोद में उठा ले गए परिजन!
झारखंड के एमजीएम अस्पताल में स्ट्रेचर नहीं मिलने पर घायल मरीज को परिजनों ने गोद में उठाकर ड्रेसिंग रूम तक पहुंचाया। जानें कैसे सरकारी अस्पतालों की अव्यवस्था ने फिर खड़ा किया बड़ा सवाल!

रांची: झारखंड में स्वास्थ्य सुविधाओं की हकीकत एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गई है। कोल्हान के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एमजीएम (महात्मा गांधी मेमोरियल हॉस्पिटल) में मरीजों को मिलने वाली सुविधाओं की पोल तब खुल गई, जब एक सड़क दुर्घटना में घायल शख्स को परिजनों को मजबूरी में गोद में उठाकर ड्रेसिंग रूम तक ले जाना पड़ा।
अस्पताल में स्ट्रेचर उपलब्ध नहीं था, और न ही किसी कर्मचारी ने मदद की। यह नजारा जिसने भी देखा, वह अस्पताल की बदहाल व्यवस्था पर सवाल उठाने लगा। यह कोई पहली बार नहीं हुआ है, बल्कि इससे पहले भी एमजीएम अस्पताल लापरवाही की वजह से सुर्खियों में रह चुका है।
अस्पताल में इंतजार, फिर मजबूरी में गोद में उठाया
घटना झारखंड के सीतारामडेरा इलाके की है, जहां भालूबासा हरिजन बस्ती के रहने वाले अरुण कैवर्त सड़क दुर्घटना में घायल हो गए थे। परिजन उन्हें तुरंत ऑटो से एमजीएम अस्पताल लेकर पहुंचे, लेकिन वहां उन्हें स्ट्रेचर नहीं मिला।
काफी देर इंतजार के बाद भी जब कोई मदद नहीं मिली, तो परिजनों ने घायल को गोद में उठाकर ड्रेसिंग रूम तक पहुंचाया। इस दौरान अस्पताल में मौजूद कर्मचारी न सिर्फ मूकदर्शक बने रहे, बल्कि किसी ने मदद की कोशिश तक नहीं की।
झारखंड के अस्पतालों की "बीमार" हालत
एमजीएम अस्पताल की यह स्थिति कोई नई नहीं है। यह सरकारी अस्पताल अक्सर लापरवाही, अव्यवस्था और स्टाफ की कमी के कारण खबरों में बना रहता है।
2022 में इसी अस्पताल में एक बुजुर्ग मरीज को स्ट्रेचर नहीं मिलने पर उनके बेटे ने कंधे पर उठाकर वार्ड तक पहुंचाया था।
2021 में अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी की वजह से मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था।
2019 में अस्पताल में खराब व्यवस्था की शिकायतों के बाद सरकार ने जांच के आदेश दिए थे, लेकिन स्थितियां जस की तस बनी हुई हैं।
स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार कब?
झारखंड सरकार भले ही राज्य में बेहतर चिकित्सा सेवाओं के दावे करती हो, लेकिन एमजीएम अस्पताल जैसी घटनाएं हकीकत बयां कर देती हैं। सवाल यह उठता है कि अगर बड़े सरकारी अस्पतालों में यह हाल है, तो छोटे अस्पतालों और गांवों की हालत क्या होगी?
राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने के लिए कई योजनाएं चलाई गईं, लेकिन जमीनी स्तर पर हालात अब भी बदहाल हैं।
लोग क्या कह रहे हैं?
इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर भी लोगों का गुस्सा फूट पड़ा।
एक यूजर ने लिखा - "अगर सरकारी अस्पतालों में यही हाल रहा, तो गरीब लोग इलाज के लिए कहां जाएंगे?"
दूसरे यूजर ने कहा - "एमजीएम की व्यवस्था में कोई सुधार क्यों नहीं होता?"
स्थानीय लोगों ने सरकार से मांग की है कि अस्पताल की सुविधाओं को तुरंत बेहतर किया जाए।
सरकारी अस्पताल या परेशानी का अड्डा?
एमजीएम जैसे सरकारी अस्पतालों की लचर व्यवस्था को सुधारने की जरूरत है। सरकार को चाहिए कि वह अस्पतालों में बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करे।
स्ट्रेचर और व्हीलचेयर जैसे जरूरी उपकरण हर वक्त उपलब्ध रहें।
इमरजेंसी वार्ड में स्टाफ की संख्या बढ़ाई जाए।
मरीजों को समय पर इलाज मिले, ताकि इस तरह की शर्मनाक घटनाएं दोबारा न हों।
कब तक जारी रहेगी ये लापरवाही?
झारखंड के सरकारी अस्पतालों की व्यवस्था सुधारने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है। एमजीएम जैसी घटनाएं यह साबित करती हैं कि दावे और हकीकत में बड़ा फर्क है।
What's Your Reaction?






