Ranchi Protest: विधानसभा में गूंजी सरना समुदाय की आवाज, संविदा कर्मियों को राहत

झारखंड विधानसभा में सरना समुदाय के प्रदर्शन का मुद्दा गरमाया। संविदा कर्मियों को मिला बड़ा तोहफा, मिलेगा एकमुश्त मानदेय। जानिए पूरी खबर।

Mar 7, 2025 - 17:32
 0
Ranchi Protest: विधानसभा में गूंजी सरना समुदाय की आवाज, संविदा कर्मियों को राहत
Ranchi Protest: विधानसभा में गूंजी सरना समुदाय की आवाज, संविदा कर्मियों को राहत

झारखंड विधानसभा सत्र के पहले ही दिन सरना समुदाय द्वारा बनाई गई मानव श्रृंखला का मुद्दा जोर-शोर से उठा। विधायक रामेश्वर उरांव ने सदन में सवाल उठाते हुए कहा कि जब सरकार खुद को "अबुआ सरकार" कहती है, तो फिर आदिवासी सड़क पर क्यों हैं? वे अपने धार्मिक स्थलों को बचाने के लिए संघर्ष क्यों कर रहे हैं?

इस पर संसदीय कार्य मंत्री ने जवाब देते हुए कहा कि वे खुद जब घर से निकले, तो विधानसभा तक पूरी सड़क पर मानव श्रृंखला बनी हुई थी। उन्होंने प्रदर्शनकारियों से बातचीत की और उनकी मांगों को समझा। इस मामले में पक्ष-विपक्ष के वरिष्ठ सदस्यों को भेजे जाने की बात भी कही गई। विधानसभा अध्यक्ष ने इस पर संज्ञान लेते हुए निर्देश दिया कि सरहुल महापर्व के दौरान किसी भी प्रकार की बाधा न हो और सरना समुदाय की भावनाओं का पूरा सम्मान किया जाए।

संविदा कर्मियों को मिली बड़ी राहत, मिलेगा एकमुश्त मानदेय

झारखंड सरकार के विभिन्न विभागों में कार्यरत संविदा कर्मियों के लिए अच्छी खबर आई है। अब इन्हें एकमुश्त मानदेय मिलेगा, जो सप्तम वेतन पुनरीक्षण के तहत स्वीकृत पे मेट्रिक्स के आधार पर तय किया गया है। इसके अलावा, उन्हें 50% महंगाई भत्ता, छठे वेतन पुनरीक्षण के तहत चिकित्सा भत्ता और परिवहन भत्ता भी दिया जाएगा।

वित्त विभाग के सचिव ने इस संबंध में सभी विभागों के उच्च अधिकारियों को पत्र जारी कर निर्देश दिया है। यह लाभ उन संविदाकर्मियों को मिलेगा, जिनकी नियुक्ति 5 जुलाई 2002 के बाद हुई है और जिनका चयन आरक्षण नियमों का पालन करते हुए समिति की अनुशंसा से हुआ है। यह फैसला हजारों संविदा कर्मचारियों के लिए राहत भरी खबर साबित होगी।

सरना समुदाय का संघर्ष: ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

सरना धर्म को अलग से पहचान दिलाने की मांग झारखंड में लंबे समय से उठती रही है। झारखंड के आदिवासी समुदाय अपनी धार्मिक परंपराओं को बचाने के लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं। झारखंड के गठन के बाद से ही सरना धर्म को अलग से मान्यता दिलाने के लिए कई आंदोलन हुए हैं। 2020 में हेमंत सोरेन सरकार ने सरना धर्म को अलग से पहचान देने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी, लेकिन यह अब भी राष्ट्रीय स्तर पर लंबित है।

सरना समुदाय की मांग है कि उनकी धार्मिक आस्थाओं को संविधान में जगह दी जाए और उनके पूजा स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। इस बार का प्रदर्शन भी इसी मांग के तहत किया गया था, जिसे लेकर विधानसभा में गंभीर चर्चा हुई।

विपक्ष का हमला, सरकार का जवाब

सरना समुदाय के प्रदर्शन के मुद्दे पर विपक्ष ने सरकार को कटघरे में खड़ा किया। विपक्षी विधायकों का कहना था कि सरकार को आदिवासी समुदाय की मांगों को गंभीरता से लेना चाहिए। सरकार की ओर से जवाब देते हुए कहा गया कि आदिवासी समुदाय की धार्मिक भावनाओं का पूरा सम्मान किया जाएगा और उनकी मांगों पर उचित विचार किया जाएगा।

क्या होगा आगे?

सरना धर्म को अलग पहचान दिलाने की मांग पर विधानसभा में चर्चा आगे भी जारी रहने की संभावना है। संविदा कर्मियों के लिए जारी नए निर्देशों का कितना प्रभाव पड़ेगा, यह भी देखने वाली बात होगी। फिलहाल, झारखंड विधानसभा का यह सत्र आदिवासी समुदाय और सरकारी कर्मियों के लिए महत्वपूर्ण साबित हो रहा है।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow

Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।