Land Dispute Shocking Incident: पोते ने दादा को मार डाला, जमीन बेचने से रोका तो हुआ हैवान
रांची के हेसल में पोते ने अपने दादा को जमीन बेचने से रोकने पर लाठी से पीटकर मार डाला। जानिए इस हैवानियत भरे कदम के पीछे की पूरी कहानी।
झारखंड के रांची में रिश्तों को शर्मसार कर देने वाली एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जिसमें एक पोता अपनी दादी के पास ही हैवान बन गया। रांची के अनगड़ा थाना क्षेत्र के हेसल गांव में पोते ने सिर्फ इसलिए अपने 70 वर्षीय दादा की बेरहमी से हत्या कर दी क्योंकि वह अपनी ज़मीन बेचने से इंकार कर रहे थे। यह घटना न केवल परिवार की पूरी सामाजिक संरचना को प्रभावित करती है, बल्कि एक गंभीर सवाल भी उठाती है कि परिवार के बीच वैचारिक मतभेद कितने खतरनाक हो सकते हैं।
क्या था पूरा घटनाक्रम?
मिली जानकारी के अनुसार, हेसल गांव निवासी सुनील महतो, जो कि अपनी नशे की लत के कारण अक्सर विवादों में रहते थे, अपने दादा सुखुआ महतो से ज़मीन बेचने के लिए कह रहे थे। हालांकि, दादा सुखुआ महतो ने ज़मीन बेचने से इंकार कर दिया और कागजात पर हस्ताक्षर नहीं किए। इससे नाराज होकर पोते ने गुरुवार रात को अपने दादा पर हमला किया। सुनील ने लाठी से बुरी तरह से पिटाई की, जिससे दादा सुखुआ महतो की मौत हो गई। यह घटना शुक्रवार की सुबह सामने आई, जब शव को पोस्टमार्टम के लिए रिम्स भेजा गया।
पहली बार नहीं हुआ था ऐसा हमला
यह पहली बार नहीं था जब पोते ने अपने दादा पर हमला किया था। दो महीने पहले भी सुनील ने अपनी दादा की बेरहमी से पिटाई की थी, जिससे उनकी कमर टूट गई थी। उस समय से सुखुआ महतो बिस्तर पर पड़े हुए थे और उनकी हालत काफी गंभीर हो गई थी। ऐसे में जब दादा ने ज़मीन बेचने का विरोध किया, तो पोते ने अपनी नफरत और गुस्से को हिंसा में बदल दिया और उन्हें मार डाला।
परिवार की त्रासदी: सुनील का नशा और अपराधिक इतिहास
सूचना के मुताबिक, सुनील महतो के पिता रंजीत महतो की दो साल पहले तालाब में डूबने से मौत हो गई थी। अब सुनील अपने पिता की इकलौती संतान है, और वह हमेशा नशे में धुत रहता है। इसके साथ ही वह छोटे-मोटे अपराधों में भी लिप्त रहा है। उसकी दो संतानें भी हैं, लेकिन अक्सर मारपीट के कारण उसकी पत्नी मायके में रहती है। घर पर वह अपने दादा के साथ ही रहता है, जो हाल ही में अपनी विधवा चाची द्वारा देखभाल किए जा रहे थे।
दादा की बेबसी और मारपीट की दर्दनाक कहानी
यह दर्दनाक घटना यह दिखाती है कि परिवार के अंदर के रिश्ते कितने नाजुक हो सकते हैं। सुनील की नशे की आदत और हिंसा ने उसकी पूरी परिवार को टूटकर रख दिया है। सुखुआ महतो, जो अपने जीवन यापन के लिए रिक्शा चलाते थे, अब एक दुखद अंत का शिकार हो गए। इससे पहले दो महीने पहले जब उन्होंने ज़मीन बेचने से इंकार किया, तो उनकी कमर तोड़ दी गई, जिससे वह बिस्तर पर पड़े थे। और अब एक बार फिर उनकी ज़िंदगी इस निर्दयी हमले का शिकार हुई।
क्यों होती हैं ऐसी घटनाएं?
यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि परिवार के अंदर के मतभेद और वित्तीय समस्याएं कितनी भयावह हो सकती हैं। अगर समय रहते परिवार में एकजुटता और समझदारी नहीं होती, तो परिणाम बहुत ही खतरनाक हो सकते हैं। इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए समाज को जागरूक करना और परिवारों में समझदारी बढ़ाना बेहद जरूरी है।
झारखंड में बढ़ते अपराध और घरेलू हिंसा की चिंता
झारखंड में अपराध और घरेलू हिंसा की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं, खासकर जब बात संपत्ति और परिवार की हो। यह घटना न केवल रांची, बल्कि पूरे राज्य के लिए एक चेतावनी है कि परिवारों में भी अब सुरक्षित नहीं हैं। परिवार के सदस्य, जो एक-दूसरे के लिए सबसे महत्वपूर्ण होते हैं, अक्सर आपसी मतभेदों के कारण हिंसा का शिकार हो रहे हैं।
क्या यह घटना हमें कुछ सिखाती है?
यह घटना रांची के एक गांव की है, लेकिन इससे पूरे समाज को यह सिखने की जरूरत है कि परिवार में शांति और समझदारी बनाए रखना कितना जरूरी है। यदि परिवारों में प्यार और सहमति का वातावरण होगा, तो ऐसी घटनाओं से बचा जा सकता है।
रांची में घटित यह हृदयविदारक घटना यह साफ करती है कि यदि परिवार में संवाद और समझदारी की कमी हो, तो परिणाम भयावह हो सकते हैं। अब हमें यह सवाल करना चाहिए कि हम अपने परिवार को कितनी समझदारी से देख रहे हैं और क्या हम हिंसा के बढ़ते खतरे को रोकने के लिए ठोस कदम उठा रहे हैं?
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