Ranchi Conspiracy: ईडी अफसरों को फंसाने की रची गई साजिश, रांची पुलिस पर हाईकोर्ट में जांच एजेंसी का गंभीर आरोप
रांची में ईडी ने हाईकोर्ट में रांची पुलिस पर ईडी अधिकारियों को फंसाने की साजिश रचने का गंभीर आरोप लगाया। जानिए, फर्जी डायरी और अवैध हिरासत का पूरा मामला।
रांची में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और पुलिस के बीच विवाद ने एक नया मोड़ ले लिया है। ईडी ने झारखंड हाईकोर्ट में हलफनामा दाखिल कर रांची पुलिस पर अधिकारियों को फंसाने की साजिश रचने का गंभीर आरोप लगाया है। जांच एजेंसी ने दावा किया है कि रांची पुलिस ने फर्जी साक्ष्य तैयार कर ईडी अधिकारियों को बदनाम करने की योजना बनाई थी।
ईडी का बड़ा दावा: साजिश के तहत प्लांट की गई डायरी
ईडी ने अपने हलफनामे में बताया कि रांची पुलिस ने जांच को भटकाने और ईडी अधिकारियों को फंसाने के लिए एक फर्जी डायरी प्लांट की। इस डायरी में ईडी अधिकारियों और पैसे के लेन-देन का फर्जी ट्रांजेक्शन दिखाया गया। ईडी के मुताबिक, यह डायरी 9 अक्टूबर को स्कॉर्पियो वाहन से जब्त दिखाया गया, लेकिन स्कॉर्पियो को 5 अक्टूबर को ही पुलिस ने पंडरा ओपी में जब्त कर लिया था।
अवैध हिरासत का आरोप
ईडी ने दावा किया कि रांची पुलिस ने उनके केस से जुड़े दो आरोपियों, संजीव कुमार पांडेय और अधिवक्ता सुजीत कुमार, को अवैध तरीके से हिरासत में रखा।
- संजीव कुमार पांडेय: 5 से 17 अक्टूबर तक हिरासत में।
- सुजीत कुमार: 6 से 17 अक्टूबर तक हिरासत में।
इस दौरान ईडी ने कई बार इन दोनों को समन किया, लेकिन पुलिस हिरासत में होने के कारण वे पेश नहीं हो सके। ईडी का कहना है कि यह सब उनके मामलों को डायवर्ट करने के लिए किया गया।
पुलिस पर फर्जी साक्ष्य तैयार करने का आरोप
ईडी ने बताया कि रांची पुलिस के पंडरा ओपी प्रभारी मनीष कुमार और केस के जांच अधिकारी शंकर कुमार ने मजिस्ट्रेट के सामने अधिवक्ता सुजीत कुमार का झूठा बयान दर्ज कराया। साथ ही, सुजीत पर फर्जी साक्ष्य देने के लिए दबाव बनाया गया।
पृष्ठभूमि: ईडी और पुलिस का टकराव
रांची में ईडी और पुलिस के बीच यह विवाद कोई नया नहीं है। राज्य में भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े कई हाई-प्रोफाइल मामलों की जांच ईडी कर रही है, जिससे पुलिस और राज्य प्रशासन के बीच टकराव बढ़ गया है।
ईडी के आरोपों पर पुलिस का पक्ष
हालांकि, रांची पुलिस ने इन आरोपों पर अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। लेकिन यह मामला राज्य के राजनीतिक और कानूनी गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है।
क्या कहता है कानून?
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर ईडी के दावे सही साबित होते हैं, तो यह झारखंड पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़ा करेगा। अवैध हिरासत और फर्जी साक्ष्य तैयार करना न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि जांच एजेंसियों के कामकाज में बाधा डालने का प्रयास भी है।
आगे क्या?
हाईकोर्ट ने ईडी के हलफनामे पर सुनवाई करते हुए मामले की गहराई से जांच के आदेश दिए हैं। आने वाले दिनों में इस मामले से जुड़े कई बड़े खुलासे होने की संभावना है।
झारखंड में ईडी की बढ़ती सक्रियता
झारखंड में पिछले कुछ वर्षों में ईडी ने कई हाई-प्रोफाइल मामलों की जांच की है। राज्य में मनी लॉन्ड्रिंग, भ्रष्टाचार और अवैध खनन जैसे मामलों में कार्रवाई के कारण ईडी सुर्खियों में रही है।
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