Dhanbad Negligence: लाखों के किट एक्सपायर, 7 साल से बंद पड़ी TB लैब!

धनबाद के एसएनएमएमसीएच में 7 साल से बंद पड़ी टीबी जांच लैब में लाखों के रिएजेंट किट एक्सपायर हो गए। एनआरएल टीम ने लैब का निरीक्षण कर प्रबंधन को फटकार लगाई और जल्द संचालन के निर्देश दिए।

Dec 12, 2024 - 10:27
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Dhanbad Negligence: लाखों के किट एक्सपायर, 7 साल से बंद पड़ी TB लैब!
Dhanbad Negligence: लाखों के किट एक्सपायर, 7 साल से बंद पड़ी TB लैब!

धनबाद के शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एसएनएमएमसीएच) में स्वास्थ्य सेवाओं की लापरवाही का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। पिछले सात सालों से टीबी के गंभीर मरीजों के लिए स्थापित कल्चर एंड डीएसटी लैब एक भी जांच नहीं कर पाई है। इतना ही नहीं, लैब में रखे लाखों रुपये के रिएजेंट किट भी एक्सपायर हो चुके हैं। नेशनल रेफरेंस लेबोरेटरी (एनआरएल) की पांच सदस्यीय टीम ने हाल ही में इस लैब का निरीक्षण किया और लैब की दुर्दशा पर कड़ी नाराजगी जताई।

सात साल में नहीं हुआ कोई उपयोग

साल 2016 में एसएनएमएमसीएच में 4.5 करोड़ रुपये की लागत से कल्चर एंड डीएसटी लैब की स्थापना की गई थी। इसमें 3.5 करोड़ रुपये की मशीनें लगाई गईं, जिनका उद्देश्य टीबी के एक्सडीआर (एक्स्ट्रा ड्रग रेसिस्टेंट) मरीजों की जांच करना था। लेकिन यह लैब सात सालों से निष्क्रिय है। माइक्रोबायोलॉजिस्ट की अनुपस्थिति और प्रबंधन की अनदेखी के चलते न तो कोई मरीज यहां जांच कराने आया और न ही लैब का संचालन ठीक से हो पाया।

एनआरएल टीम की सख्ती और नए निर्देश

बुधवार को एनआरएल की टीम ने लैब का निरीक्षण करते हुए स्वास्थ्य विभाग और मेडिकल कॉलेज प्रशासन को कड़े निर्देश दिए। टीम ने तुरंत लैब का संचालन शुरू करने की बात कही। इसके लिए जिला स्वास्थ्य विभाग और मेडिकल कॉलेज प्रबंधन के बीच बैठक भी हुई। टीम ने माइक्रोबायोलॉजिस्ट को सक्रिय करने और लैब को सुचारु रूप से चलाने के लिए जरूरी कदम उठाने की सिफारिश की।

क्या है एक्सडीआर टीबी और इसकी गंभीरता?

टीबी के गंभीर मरीजों पर जब पारंपरिक दवाएं असर नहीं करतीं, तो इसे एक्सडीआर टीबी कहा जाता है। ऐसे मरीजों की जांच के लिए कल्चर एंड डीएसटी लैब का निर्माण किया गया था। लैब में उन्नत तकनीक और किट्स की मदद से इन मरीजों की दवाओं के प्रति संवेदनशीलता और प्रतिरोध की जांच की जाती है।

लापरवाही का खामियाजा

लैब में पड़े लाखों रुपये के रिएजेंट किट समय पर उपयोग न होने की वजह से एक्सपायर हो गए हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, यह न केवल आर्थिक नुकसान है, बल्कि टीबी के गंभीर मरीजों के लिए बड़े संकट का संकेत भी है। अगर यह लैब सक्रिय होती, तो दर्जनों मरीजों को बेहतर इलाज मिल सकता था।

इतिहास में लापरवाही की एक और कड़ी

झारखंड में स्वास्थ्य सेवाओं की अनदेखी कोई नई बात नहीं है। इससे पहले भी राज्य के विभिन्न हिस्सों में करोड़ों रुपये की लागत से बनी स्वास्थ्य सुविधाएं बेकार पड़ी रही हैं। धनबाद की यह लैब इस लापरवाही की एक और मिसाल है, जहां आधुनिक मशीनों और संसाधनों के बावजूद मरीज इलाज से वंचित हैं।

मशीनें चालू, लेकिन प्रबंधन ठप

एनआरएल टीम ने निरीक्षण के दौरान पाया कि लैब की मशीनें चालू स्थिति में हैं। लेकिन स्टाफ की कमी और माइक्रोबायोलॉजिस्ट के लगातार अनुपस्थित रहने से लैब का संचालन ठप है। टीम ने लैब को जल्द शुरू करने के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए हैं।
इस तरह की लापरवाही न केवल स्वास्थ्य सेवाओं पर सवाल खड़े करती है, बल्कि मरीजों की जिंदगी को भी खतरे में डालती है। अब देखना होगा कि एनआरएल टीम के निर्देशों के बाद प्रशासन कितनी तेजी से इस समस्या का समाधान करता है।

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