Jharkhand Corruption: रांची के 4 कलेक्टर समेत 6 IAS अफसर गिरफ्तार, घोटालों का काला सच उजागर!
झारखंड में भ्रष्टाचार की जड़ें कितनी गहरी हैं, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अब तक 6 आईएएस अधिकारी गिरफ्तार हो चुके हैं, जिनमें 4 रांची के उपायुक्त रह चुके हैं। क्या है इस घोटाले की पूरी कहानी? जानिए यहां।

झारखंड, जो कभी अपने प्राकृतिक संसाधनों और जनजातीय संस्कृति के लिए जाना जाता था, आजकल एक और वजह से सुर्खियों में है—IAS अधिकारियों की गिरफ्तारी और बढ़ते घोटाले! राज्य गठन के बाद से अब तक कुल 6 IAS अधिकारी भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार हो चुके हैं, और हैरान करने वाली बात यह है कि इनमें से 4 अधिकारी रांची के पूर्व उपायुक्त रह चुके हैं।
अब सबसे ताजा नाम है विनय कुमार चौबे का, जिन्हें झारखंड के चर्चित शराब घोटाले में 20 मई को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है। चौबे, जो कभी रांची के डीसी रह चुके हैं, पर आरोप है कि उन्होंने राज्य में शराब कारोबार में भारी वित्तीय अनियमितताओं को संरक्षण दिया।
कौन-कौन IAS अधिकारी पहुंचे जेल?
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सजल चक्रवर्ती – चारा घोटाले में सीबीआई ने गिरफ्तार किया।
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डॉ. प्रदीप कुमार – दवा घोटाले में जेल भेजे गए।
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छवि रंजन – भूमि फर्जीवाड़ा के दो मामलों में ईडी की गिरफ्त में।
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विनय कुमार चौबे – शराब घोटाले में एसीबी की कार्रवाई में गिरफ्तार।
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पूजा सिंघल – मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में जेल गईं, फिलहाल जमानत पर।
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सियाराम प्रसाद सिन्हा – भ्रष्टाचार के मामले में जेल की हवा खा चुके।
इतिहास भी गवाह है: चारा घोटाले में फंसे कई अधिकारी
झारखंड के इतिहास में चारा घोटाला एक काला अध्याय रहा है। इसमें भी कई बड़े नाम सामने आए। रांची स्थित सीबीआई कोर्ट ने पांच IAS अधिकारियों को दोषी करार देते हुए जेल भेजा। इनमें महेश प्रसाद, के अरुणगम, फूल चंद्र सिंह और बेक जूलियस शामिल हैं।
इससे साफ है कि झारखंड की नौकरशाही में भ्रष्टाचार का दीमक कई वर्षों से मौजूद है, जो अब जाकर खुलकर सामने आ रहा है।
सिर्फ CBI और ED नहीं, अब ACB भी हुई एक्टिव
इस बार जो बात अलग है, वह यह कि ACB (Anti-Corruption Bureau) ने पहली बार किसी वरिष्ठ IAS अधिकारी को गिरफ्तार किया है। अब तक सिर्फ CBI और ED ही IAS अधिकारियों पर कार्रवाई करते रहे हैं। लेकिन ACB की इस ताजा कार्रवाई ने साफ कर दिया है कि राज्य स्तर पर भी अब भ्रष्टाचार के खिलाफ मोर्चा खोला जा रहा है।
क्या कहती है राजनीति?
भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी ने इस पूरे घटनाक्रम पर राज्य सरकार को आड़े हाथों लिया है। उन्होंने कहा, “यह घोटाला पहले ही पकड़ा जाना चाहिए था। मैंने 19 अप्रैल 2022 को सरकार को पत्र लिखकर चेतावनी दी थी, लेकिन सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया।” उन्होंने मांग की है कि इस पूरे शराब घोटाले की CBI जांच करवाई जाए, ताकि बड़े लोगों तक भी जांच की आंच पहुंचे।
मरांडी ने यह भी सवाल उठाया कि क्या यह पूरा मामला कुछ अधिकारियों को बलि का बकरा बनाकर ‘बड़ी मछलियों’ को बचाने की कोशिश तो नहीं है?
सवाल अब भी कायम
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क्या झारखंड की नौकरशाही में भ्रष्टाचार अब संस्थागत हो चुका है?
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क्या रांची के डीसी रहना एक ‘घोटालों का गेटवे’ बन गया है?
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क्या सिर्फ ACB की जांच से पूरा सच सामने आ पाएगा?
इन सभी सवालों का जवाब समय देगा, लेकिन इतना तय है कि झारखंड में IAS अधिकारियों की छवि को गहरा धक्का लगा है। जनता के बीच भरोसा डगमगा रहा है और शासन व्यवस्था पर कई सवाल खड़े हो गए हैं।
एक समय रांची और झारखंड को विकास और खनिज संपदा का केंद्र माना जाता था, लेकिन अब यह राज्य बार-बार भ्रष्टाचार की कहानियों में उलझता जा रहा है। अगर यही हाल रहा तो आने वाले समय में जनता का सरकार और प्रशासन दोनों से विश्वास उठ सकता है।
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