NaviMumbai Kidnap Drama: पैसों के झगड़े में हुई किडनैपिंग, पुलिस ने 24 घंटे में ऐसे बचाया व्यापारी
नवी मुंबई में एक व्यापारी को पैसों के विवाद में अगवा कर लिया गया था। 24 घंटे के भीतर पुलिस ने उसे वाशिम जिले से सकुशल बरामद किया। जानिए पूरी कहानी, कैसे हुई किडनैपिंग और क्या थी हत्या की साजिश।
नवी मुंबई में एक कारोबारी के अपहरण की सनसनीखेज वारदात ने शहर को दहला दिया। महज पैसों के लेनदेन की तकरार इस हद तक पहुंच गई कि तीन लोगों ने मिलकर एक व्यवसायी को अगवा कर उसकी हत्या की योजना बना डाली। लेकिन किस्मत ने साथ दिया और पुलिस की मुस्तैदी से 24 घंटे में ही कारोबारी को बचा लिया गया।
यह घटना 18 मई की रात की है, जब नवी मुंबई के अक्षर बिजनेस पार्क में स्थित अपने दफ्तर से सब्जियों के एक्सपोर्ट-इंपोर्ट का कारोबार करने वाला पंकेश संजय पाटिल (27 वर्ष) अपने एक साझेदार के साथ बाइक से घर लौट रहा था। रास्ते में तुर्भे इलाके की एक संकरी गली में अचानक एक कार उनके सामने आकर रुकी। कार से निकले हथियारबंद तीन लोग पाटिल पर टूट पड़े। चाकू और लोहे की रॉड से उसकी पिटाई कर उसे बुरी तरह घायल कर दिया गया।
फिर क्या था, कारोबारी को कार में घसीटकर डाल दिया गया और फरार हो गए।
किसने की साजिश और क्यों?
जांच में सामने आया कि इस पूरी साजिश के पीछे का मकसद महज वित्तीय विवाद था। अपहरणकर्ता कोई पेशेवर अपराधी नहीं, बल्कि सामान्य पेशेवर थे — एक खुद व्यापारी, दूसरा राजमिस्त्री और तीसरा मजदूर। पुलिस ने जिन तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया, उनके नाम हैं:
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रुसिकेश इंद्रभूषण इंगोले (25) - व्यवसायी
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मंगेश किसान अस्तारकर (23) - राजमिस्त्री
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सागर नरेंद्र मनवर (25) - वाशिम निवासी
तीनों पूर्वी महाराष्ट्र के वाशिम जिले से ताल्लुक रखते हैं और पाटिल के साथ वित्तीय लेन-देन में उलझे हुए थे।
कैसे हुआ 24 घंटे में रेस्क्यू?
जैसे ही पाटिल के साथी ने APMC पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई, पुलिस ने तत्काल हरकत में आते हुए भारतीय दंड संहिता की कई गंभीर धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की, जिनमें शामिल थीं:
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धारा 140(1): फिरौती या हत्या के इरादे से अपहरण
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धारा 142: गलत तरीके से कैद में रखना
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धारा 126(2): गैरकानूनी रूप से रोकना
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धारा 135: बलपूर्वक कैद करने की कोशिश
पुलिस ने इस मामले को हल करने के लिए 10 अलग-अलग टीमों का गठन किया। इसमें क्राइम ब्रांच की तीन टीमें भी शामिल थीं। इन टीमों ने घटनास्थल की जांच की, CCTV फुटेज खंगाले, टोल नाकों पर नजर रखी और टेक्निकल सर्विलांस के जरिये अपराधियों का पीछा किया।
एक गुप्त सूचना के आधार पर पुलिस की टीम वाशिम पहुंची, जहां पाटिल को बंधक बनाकर रखा गया था। बेहद सावधानी से ऑपरेशन चलाया गया और व्यापारी को सकुशल छुड़ाकर अपहरणकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया गया।
क्यों बढ़ रही हैं ऐसी घटनाएं?
भारत में व्यापारिक लेन-देन के विवाद अक्सर अदालत या पंचायतों तक ही सीमित रहते हैं, लेकिन हाल के वर्षों में क्राइम से जुड़ी घटनाएं, खासकर व्यापारिक दुश्मनी के कारण होने वाले किडनैपिंग और एटेम्प्ट टू मर्डर जैसे केस बढ़ते जा रहे हैं। महाराष्ट्र, खासकर मुंबई और आसपास के इलाकों में बीते दो वर्षों में इस तरह के मामलों में उछाल देखा गया है।
पुलिस की सख्त चेतावनी
पुलिस ने इस घटना के बाद चेतावनी दी है कि कोई भी व्यक्ति वित्तीय विवाद को कानून हाथ में लेकर हल करने की कोशिश न करे। इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
नवी मुंबई की यह घटना इस बात का प्रमाण है कि पैसों का झगड़ा किस कदर जानलेवा रूप ले सकता है। गनीमत रही कि पुलिस ने तत्परता दिखाई और एक युवक की जान बच गई। लेकिन सवाल यही है — क्या हम इतने असहिष्णु हो चुके हैं कि विवाद का समाधान हिंसा से करने लगे हैं?
इस केस ने न सिर्फ प्रशासन को सतर्क किया है, बल्कि व्यापारियों के लिए भी एक सीख है कि हर वित्तीय डीलिंग दस्तावेजी हो और किसी भी विवाद में पुलिस की मदद ली जाए, ना कि अपराध की राह चुनी जाए।
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