Jamshedpur Arrest: चुनासाह कॉलोनी से मिला हथियारों का जखीरा, पुलिस ने खोली खालिक गैंग की परतें
जमशेदपुर के जुगसलाई में पुलिस ने अवैध हथियारों की तस्करी करने वाले गैंग का भंडाफोड़ किया। बिहार के दरभंगा निवासी मो. खालिक को गिरफ्तार कर कई हथियारों और उपकरणों के साथ जेल भेजा गया।

झारखंड के औद्योगिक शहर जमशेदपुर में हथियारों की अवैध दुनिया का एक खतरनाक राज खुला, जब पुलिस ने जुगसलाई के चुनासाह कॉलोनी से एक संदिग्ध को हथियारों के साथ गिरफ्तार किया। ये गिरफ्तारी कोई मामूली नहीं थी — आरोपी के पास से सिर्फ पिस्तौल ही नहीं, बल्कि हथियार मरम्मत और निर्माण से जुड़े कई उपकरण भी बरामद किए गए।
पकड़ा गया आरोपी मो. खालिक (35 वर्ष) बिहार के दरभंगा जिले का रहने वाला है।
पुलिस को शक है कि यह हथियार तस्करी और मरम्मत का एक बड़ा नेटवर्क है, जो पूरे कोल्हान क्षेत्र और आसपास के जिलों में सक्रिय है।
रात 10:30 बजे हुई गिरफ्तारी, संदिग्ध झोला बना सुराग
20 मई की रात करीब 10:30 बजे, पुलिस की एक टीम ने गुप्त सूचना के आधार पर जुगसलाई स्थित ईदगाह मैदान के पास चुनासाह कॉलोनी में छापेमारी की।
यहां एक व्यक्ति पीले रंग के झोले के साथ संदिग्ध अवस्था में घूमता नजर आया। तलाशी के दौरान झोले से पिस्तौल, मैगजीन, स्प्रिंग, गोली का अग्रभाग, क्षतिग्रस्त गोली, कांटी, एक्सट्रैक्टर का टूटा पार्ट, दो हथोड़ी, रेती, पाना, स्पोक और यहां तक कि एक टूथब्रश तक बरामद किया गया।
सभी सामानों से यह स्पष्ट हो गया कि यह कोई सामान्य अपराधी नहीं, बल्कि हथियारों का जानकार और मरम्मत करने वाला व्यक्ति है।
मुंगेर से जुड़ा कनेक्शन: बिहार का ‘गन हब’
पुलिस की जांच में सामने आया है कि यह गैंग बिहार के मुंगेर से हथियार खरीदता था।
गौरतलब है कि मुंगेर दशकों से अवैध हथियार निर्माण का कुख्यात गढ़ रहा है। यहां के कारीगरों को देसी हथियार बनाने की ऐसी महारत हासिल है कि उनकी बंदूकें कई बार असली हथियारों को भी टक्कर देती हैं।
मो. खालिक, और उसके फरार दो साथी मो. समर और मो. अफरोज, मिलकर ये हथियार जमशेदपुर, सरायकेला, चाईबासा, और यहां तक कि ओड़िशा सीमा तक छोटे अपराधियों और गिरोहों को बेचते थे।
हथियार की मरम्मत भी करते थे आरोपी
मामले की जानकारी साझा करते हुए सिटी एसपी शिवाशीष ने बताया कि ये गैंग केवल हथियारों की तस्करी नहीं करता था, बल्कि पुराने और खराब हो चुके हथियारों की मरम्मत भी करता था।
इसलिए उनके पास से हथोड़ी, रेती, स्प्रिंग और टूथब्रश जैसे उपकरण भी मिले — जो हथियारों की सफाई और फिनिशिंग में इस्तेमाल होते हैं।
दो आरोपी फरार, तलाश जारी
इस कांड में मो. खालिक के दो साथी — मो. समर और मो. अफरोज — अभी फरार हैं।
पुलिस की विशेष टीम उनकी तलाश में संभावित ठिकानों पर छापेमारी कर रही है।
प्राथमिक जांच के अनुसार, यह गैंग पिछले कई महीनों से सक्रिय था और अब तक कई अवैध हथियार विभिन्न जिलों में पहुंचा चुका है।
इतिहास की परतें: जमशेदपुर में पहले भी हुए हैं ऐसे खुलासे
जमशेदपुर में अवैध हथियारों का यह पहला मामला नहीं है।
2019 में भी जुगसलाई से एक देसी हथियार फैक्ट्री का भंडाफोड़ हुआ था, जहां नाबालिगों तक को निर्माण कार्य में लगाया गया था।
2022 में बागबेड़ा थाना क्षेत्र में भी एक घर से हथियार बनाने का सामान मिला था।
इन घटनाओं से साफ होता है कि झारखंड के शहरी और ग्रामीण इलाकों में हथियार तस्करी की जड़ें गहराई तक फैली हुई हैं।
सवालों के घेरे में कानून व्यवस्था
मो. खालिक की गिरफ्तारी ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि अवैध हथियारों का नेटवर्क जमीन के नीचे लगातार फल-फूल रहा है।
पुलिस भले ही एक-एक कर इनपर कार्रवाई कर रही है, लेकिन जब तक पूरे नेटवर्क की जड़ पर चोट नहीं की जाएगी, तब तक ये गतिविधियां बंद नहीं होंगी।
अब देखना होगा कि पुलिस आगे इस केस में कितनी गहराई तक जांच करती है और फरार आरोपियों को कब पकड़ती है।
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