Jamshedpur Tragedy: दो भाइयों को ब्लड कैंसर, बड़े बेटे की हालत गंभीर, समाजसेवी ने मचाई हलचल
जमशेदपुर के आस्तिक प्रमाणिक के दोनों बेटे ब्लड कैंसर से पीड़ित हैं। बड़े बेटे आदित्य की हालत गंभीर, समाजसेवी करनदीप सिंह ने तुरंत सिविल सर्जन से बात कर मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी योजना के तहत फंड जारी करने की मांग की।

जमशेदपुर के जेम्को महानंद बस्ती में रहने वाले आस्तिक प्रमाणिक का परिवार इन दिनों गहरे संकट से गुजर रहा है। उनके दोनों बेटे ब्लड कैंसर से पीड़ित हैं, और बड़े बेटे आदित्य प्रमाणिक की हालत अब और भी ज्यादा नाजुक हो गई है। अस्पताल ने उसे डिस्चार्ज कर दिया था, लेकिन घर लौटने के बाद उसकी तकलीफें बढ़ गई हैं। बच्चा लगातार दर्द से कराह रहा है, और परिवार के पास इलाज का कोई विकल्प नहीं बचा है।
कैंसर ने घर में मचाई तबाही
आदित्य का इलाज टाटा मेमोरियल कैंसर हॉस्पिटल में चल रहा था, लेकिन अस्पताल ने उसे शुक्रवार को डिस्चार्ज कर दिया। परिवार के अनुसार, घर आने के बाद उसकी हालत और भी खराब हो गई है। वह लगातार दर्द से रो रहा है और उसे सांस लेने में भी तकलीफ हो रही है। छोटा भाई भी उसी बीमारी से जूझ रहा है, जिससे परिवार की मुश्किलें दोगुनी हो गई हैं।
समाजसेवी करनदीप सिंह ने उठाया कदम
जब इस दर्दनाक स्थिति की खबर समाजसेवी करनदीप सिंह को मिली, तो वह तुरंत मौके पर पहुंचे। बच्चे की हालत देखकर उन्होंने तत्काल सिविल सर्जन कार्यालय, रांची से संपर्क किया और मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी योजना के तहत जल्द से जल्द फंड जारी करने की मांग की। उन्हें आश्वासन मिला है कि एक हफ्ते के अंदर फंड पास हो जाएगा।
करनदीप सिंह ने कहा, "बच्चे की हालत देखकर मैं चुप नहीं बैठ सकता। हम हरसंभव कोशिश कर रहे हैं कि उसे तुरंत इलाज मिले। अगर सरकारी मदद में देरी हुई, तो हम अन्य संस्थाओं से भी सहायता लेंगे।"
मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी योजना: क्या है प्रावधान?
झारखंड सरकार की इस योजना के तहत गंभीर बीमारियों से पीड़ित गरीब परिवारों को 5 लाख रुपये तक की आर्थिक सहायता दी जाती है। लेकिन, अक्सर फंड जारी करने में देरी हो जाती है, जिससे मरीजों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इस मामले में भी परिवार को काफी इंतजार करना पड़ा, लेकिन समाजसेवी के हस्तक्षेप के बाद प्रक्रिया तेज हो गई है।
झारखंड में कैंसर का बढ़ता प्रकोप
झारखंड, खासकर जमशेदपुर और रांची में कैंसर के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। औद्योगिक प्रदूषण, खराब पानी और जागरूकता की कमी इसकी प्रमुख वजहें हैं। टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल जैसे संस्थानों पर भी मरीजों का दबाव बढ़ता जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को कैंसर रोकथाम के लिए और अधिक जागरूकता अभियान चलाने चाहिए।
परिवार की पुकार: "हमें बचाइए"
आदित्य के पिता आस्तिक प्रमाणिक ने मीडिया से बात करते हुए कहा, "हमारे दोनों बेटे बीमार हैं। पैसे की कमी के कारण हम उनका इलाज नहीं करवा पा रहे। सरकार से गुजारिश है कि हमारी मदद करें, नहीं तो हम अपने बच्चों को खो देंगे।"
क्या कहते हैं स्वास्थ्य विशेषज्ञ?
डॉ. राजीव रंजन, एक प्रसिद्ध ऑन्कोलॉजिस्ट, के अनुसार, "ब्लड कैंसर के मरीजों को समय पर इलाज मिलना बेहद जरूरी है। देरी होने पर स्थिति जानलेवा हो सकती है। सरकारी योजनाओं को और अधिक पारदर्शी व तेज बनाने की जरूरत है।"
आगे की कार्रवाई
- समाजसेवी करनदीप सिंह ने स्थानीय एनजीओ और व्यापारियों से भी मदद की अपील की है।
- सिविल सर्जन कार्यालय ने फंड जारी करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
- परिवार को उम्मीद है कि जल्द ही उन्हें आर्थिक सहायता मिलेगी।
यह मामला एक बार फिर साबित करता है कि गंभीर बीमारियों से जूझ रहे गरीब परिवारों को सरकारी योजनाओं का लाभ तुरंत मिलना चाहिए। समाजसेवियों और प्रशासन के सहयोग से ही ऐसे मामलों में त्वरित मदद संभव है। आशा है कि आदित्य और उसके भाई को जल्द ही बेहतर इलाज मिलेगा।
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