Kowali Tragedy: डोभा में डूबे दो मासूम, बतख देखने गए थे घर से बाहर
कोवाली थाना क्षेत्र के फूलझरी गांव में खेलते समय डोभा में डूबने से दो मासूम बच्चों की मौत हो गई। गांव में मातम पसरा है, माता-पिता का रो-रोकर बुरा हाल है।

एक शांत दोपहर अचानक चीखों में बदल गई जब झारखंड के कोवाली थाना क्षेत्र के फूलझरी गांव में दो मासूम बच्चों की डूबने से मौत हो गई।
ये हादसा शनिवार को दोपहर करीब 1 बजे हुआ, जिसने पूरे गांव को गमगीन कर दिया।
मृतकों की पहचान 3 साल की रस्मिता सरदार और डेढ़ साल के आशीष सरदार के रूप में हुई है।
रस्मिता, संजीत सरदार की बेटी थी, वहीं आशीष, रस्मिता के छोटे चाचा राजेश सरदार का बेटा था। दोनों बच्चे आपस में भाई-बहन जैसे ही थे और हमेशा साथ रहते थे।
घर से निकले थे बतख देखने, लेकिन नहीं लौटे…
घटना के वक्त दोनों बच्चे घर के पास स्थित डोभा (छोटा तालाब) की ओर बतख देखने गए थे।
इस समय दोनों की माताएं घर में खाना बनाने में व्यस्त थीं। किसी को अंदाजा नहीं था कि कुदरत ऐसी बेरहम चाल चल देगी।
कुछ ही देर बाद, गांव के एक ग्रामीण की नजर डोभा में तैरते हुए दो बच्चों पर पड़ी। पहले तो उसने सोचा बच्चे खेल रहे हैं, लेकिन पास जाकर देखा तो उसके होश उड़ गए — दोनों बच्चे बेजान हालत में पानी में तैर रहे थे।
गांव में मचा हड़कंप, बच्चों को उठाकर लाया गया घर
सूचना मिलते ही गांव के लोग घटनास्थल की ओर दौड़े।
माता-पिता भी बदहवास हालत में पहुंचे और तुरंत बच्चों को पानी से निकाल कर घर लाए।
हालत गंभीर देख उन्हें हाता के तारा सेवा सदन नर्सिंग होम ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने जांच के बाद दोनों को मृत घोषित कर दिया।
जैसे ही यह खबर फैली, फूलझरी गांव में मातम छा गया। हर आंख नम थी और हर दिल टूट चुका था।
एक जैसी घटनाएं पहले भी बन चुकी हैं ‘काल’
यह कोई पहली बार नहीं है जब डोभा में बच्चों की जान गई हो।
गांवों में ऐसे छोटे तालाब बच्चों के खेलने और जानवरों के लिए पानी पीने के लिए तो ठीक हैं, लेकिन बिना किसी सुरक्षा व्यवस्था के ये जगहें जानलेवा बन चुकी हैं।
2018 में जमशेदपुर के पोटका क्षेत्र में भी दो बच्चे खेलते समय डोभा में डूब गए थे।
सरकार और स्थानीय प्रशासन द्वारा बार-बार चेतावनी के बावजूद डोभाओं के चारों ओर सुरक्षा दीवार या चेतावनी बोर्ड नहीं लगाए गए हैं।
विधायक संजीव सरदार पहुंचे परिजनों से मिलने
घटना की सूचना मिलते ही विधायक संजीव सरदार भी पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे।
उन्होंने कहा, "यह घटना अत्यंत दुखद और पीड़ादायक है। पीड़ित परिवार के साथ मेरी पूरी संवेदना है। ईश्वर मासूम आत्माओं को अपने श्रीचरणों में स्थान दें।"
विधायक ने प्रशासन से अपील की कि डोभाओं के चारों ओर सुरक्षा उपाय सुनिश्चित किए जाएं, ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा ना हों।
मां की ममता, पिता की बेबसी
जिस समय यह घटना हुई, बच्चों की मां घर में भोजन बना रही थी।
उन्हें यह तक पता नहीं था कि उनका बच्चा घर के बाहर गया भी है।
अब उन्हें हर पल यह दर्द सालता रहेगा — काश एक नजर बच्चों पर डाल ली होती।
पिता भी खुद को कोसते नजर आए — "हम तो सोच भी नहीं सकते थे कि खेलते-खेलते हमारे बच्चे कभी लौटकर ही नहीं आएंगे।"
क्या अब भी जागेगा प्रशासन?
हर बार हादसे के बाद दुख व्यक्त करना और संवेदना जताना ही काफी नहीं।
जरूरत है ऐसे डोभाओं को चिन्हित कर उनकी घेराबंदी और निगरानी सुनिश्चित करने की, ताकि कोई और रस्मिता या आशीष इस तरह असमय काल का ग्रास न बनें।
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