Jharkhand Encounter Secret: पहाड़ों के बीच छिपे थे 5 नक्सली बंकर, सुरक्षा बलों की बड़ी कार्रवाई!
झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम में सुरक्षा बलों ने 5 नक्सली बंकरों को तबाह कर बड़ी सफलता पाई है। पहाड़ी जंगलों में चल रहे इस ऑपरेशन के पीछे क्या है पूरा प्लान? पढ़िए पूरी खबर।

पश्चिमी सिंहभूम, झारखंड: घने जंगल, उबड़-खाबड़ पहाड़ियां और हर कोने में छिपा एक खतरा...
ऐसे ही माहौल के बीच झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले में सुरक्षा बलों ने एक बड़ी सफलता दर्ज की है।
नक्सल प्रभावित जराइकेला थाना क्षेत्र में सुरक्षा बलों की संयुक्त टीम ने पांच गुप्त नक्सली बंकरों को खोजकर ध्वस्त कर दिया है। इस कार्रवाई को नक्सल विरोधी ऑपरेशन के तहत अब तक की सबसे अहम उपलब्धियों में गिना जा रहा है।
नक्सल ऑपरेशन: कब, कहां और कैसे शुरू हुआ ये मिशन?
4 अप्रैल को मिली गुप्त सूचना के आधार पर कोल्हान क्षेत्र के घने जंगलों में एक विशेष नक्सल विरोधी अभियान की शुरुआत हुई।
यह ऑपरेशन खासतौर पर छोटा नागरा और जराइकेला थाना क्षेत्र की सीमाओं पर स्थित पहाड़ी इलाकों में केंद्रित था।
इस ऑपरेशन में शामिल थे:
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जिला पुलिस की टीम
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सीआरपीएफ की विशेष इकाइयाँ
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कोबरा बटालियन
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झारखंड जगुआर फोर्स
यह सभी बल मिलकर एक ऐसी रणनीति के तहत आगे बढ़े, जो न सिर्फ नक्सलियों के नेटवर्क को तोड़े, बल्कि उनके ठिकानों को भी नेस्तनाबूद करे।
कराइकेला के जंगलों में मिला नक्सलियों का अड्डा
7 अप्रैल को सुरक्षा बलों की टीम जब कराइकेला थाना अंतर्गत कुलपाबुरू के पहाड़ी जंगलों में पहुंची, तो वहां उन्हें नक्सलियों के पांच पुराने बंकरों का सुराग मिला।
ये बंकर इतने अच्छे से छिपाए गए थे कि आम आंखों से देखना लगभग नामुमकिन था।
सुरक्षा बलों ने इलाके को घेरकर ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए सभी बंकरों को ध्वस्त कर दिया। माना जा रहा है कि इन बंकरों का इस्तेमाल नक्सली हथियार छिपाने, रणनीति बनाने और ठहरने के लिए करते थे।
इतिहास से सीख: झारखंड का नक्सल बेल्ट क्यों है संवेदनशील?
झारखंड, खासकर कोल्हान और छोटानागपुर क्षेत्र, लंबे समय से नक्सली गतिविधियों का केंद्र रहा है।
1970 के दशक में जब भारत में नक्सल आंदोलन ने जड़ें जमाईं, तब से लेकर आज तक यह इलाका लाल आतंक का गढ़ बना हुआ है।
पहले ये संगठन भूमिहीन किसानों के हक की लड़ाई के नाम पर उभरे थे, लेकिन समय के साथ ये हिंसक समूहों में बदल गए, जो अवैध वसूली, बंदूक की राजनीति और जंगलों में छिपी सत्ता का संचालन करते हैं।
अब तक की उपलब्धियां: ऑपरेशन के नतीजे क्या रहे?
इस नक्सल विरोधी अभियान के तहत अब तक:
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कई असलहे और विस्फोटक सामग्री बरामद की गई है
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अन्य बंकर और ठिकानों को भी ध्वस्त किया गया है
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कई संदिग्धों से पूछताछ जारी है
सुरक्षा बलों ने साफ किया है कि यह ऑपरेशन यहीं नहीं रुकेगा।
"हम तब तक नहीं रुकेंगे, जब तक इस पूरे क्षेत्र को नक्सल मुक्त नहीं बना देते,"— सुरक्षा बलों के एक अधिकारी ने बताया।
इस ऑपरेशन के पीछे की बड़ी रणनीति
सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि नक्सली अब छोटे समूहों में बंटकर काम कर रहे हैं।
इनका मकसद है सुरक्षा बलों को भ्रमित करना और अपनी पकड़ बनाए रखना।
इसी को ध्यान में रखते हुए, अब ऑपरेशन की दिशा बदली गई है।
अब सैटेलाइट इमेज, ड्रोन सर्विलांस, गुप्तचर तंत्र और लोकल इंटेलिजेंस का उपयोग कर नक्सलियों को खोज-खोजकर खत्म किया जा रहा है।
जंगल की लड़ाई अब निर्णायक मोड़ पर
जराइकेला के जंगलों में सुरक्षा बलों की यह सफलता न सिर्फ मोरल बूस्टिंग है, बल्कि यह साफ संकेत भी देती है कि नक्सलियों के दिन अब गिनती के रह गए हैं।
जहां एक ओर पहाड़ियों के बीच बने ये बंकर नक्सलियों की पुरानी रणनीति के गवाह थे, वहीं दूसरी ओर सुरक्षा बलों की यह कार्रवाई नई रणनीति की सफलता का प्रतीक बन चुकी है।
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