Ranchi Revolution: झामुमो में शिबू सोरेन के बाद हेमंत सोरेन को मिली बड़ी जिम्मेदारी

झामुमो के 13वें महाधिवेशन में संगठनात्मक बदलाव, शिबू सोरेन को संस्थापक संरक्षक बना कर हेमंत सोरेन को दिया गया केंद्रीय अध्यक्ष का पद। पढ़िए इस ऐतिहासिक परिवर्तन के बारे में।

Apr 15, 2025 - 18:30
Apr 15, 2025 - 18:31
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Ranchi Revolution: झामुमो में शिबू सोरेन के बाद हेमंत सोरेन को मिली बड़ी जिम्मेदारी
Ranchi Revolution: झामुमो में शिबू सोरेन के बाद हेमंत सोरेन को मिली बड़ी जिम्मेदारी

झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के इतिहास में एक नया अध्याय लिखा गया है। पार्टी के 13वें महाधिवेशन में संगठनात्मक ढांचे में बड़ा फेरबदल किया गया है, जिसने न केवल पार्टी के कार्यकर्ताओं को बल्कि राज्य की राजनीति को भी एक नई दिशा दी है। झामुमो के संस्थापक और दशकों तक पार्टी के अध्यक्ष रहे शिबू सोरेन उर्फ गुरुजी को अब पार्टी द्वारा 'संस्थापक संरक्षक' के पद पर आसीन किया गया है, जबकि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पार्टी का केंद्रीय अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।

ऐतिहासिक बदलाव: गुरुजी से हेमंत तक का सफर

38 साल बाद, झामुमो ने अपनी पार्टी की कमान नए नेतृत्व को सौंप दी है। यह बदलाव खुद पार्टी और राज्य की राजनीति में एक नया मोड़ है। शिबू सोरेन, जिनकी सक्रियता स्वास्थ्य कारणों से काफी सीमित हो गई थी, अब पार्टी के संस्थापक संरक्षक बन गए हैं। इससे पहले भी, हेमंत सोरेन, जो पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में कार्यरत थे, संगठनात्मक मामलों में प्रमुख निर्णय ले रहे थे।

यह बदलाव उस समय हुआ जब पार्टी महाधिवेशन में गुरुजी ने औपचारिक रूप से हेमंत सोरेन को पार्टी का केंद्रीय अध्यक्ष बनाने की घोषणा की। इस ऐतिहासिक घोषणा ने न केवल पार्टी के कार्यकर्ताओं को नए दिशा-निर्देश दिए, बल्कि राज्य की राजनीति में भी एक नई हवा का संचार किया। गुरुजी ने हेमंत सोरेन को जोश और जज्बे के साथ काम करने के लिए आशीर्वाद भी दिया।

हेमंत सोरेन की केंद्रीय अध्यक्ष के रूप में जिम्मेदारी

झामुमो की कमान हेमंत सोरेन को सौंपे जाने के बाद पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व में उम्मीद की जा रही है कि कार्यकारी अध्यक्ष के पद पर अब किसी की नियुक्ति नहीं की जाएगी। हेमंत सोरेन, जो पहले से ही मुख्यमंत्री के रूप में राज्य की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, अब पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष के रूप में और भी प्रभावी निर्णय ले सकेंगे। पार्टी महाधिवेशन में गुरुजी के निर्णय ने यह स्पष्ट कर दिया कि अब झामुमो के भविष्य का मार्गदर्शन हेमंत सोरेन करेंगे।

राजनीति में इस बदलाव का क्या होगा असर?

झामुमो में यह बदलाव राजनीतिक दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्वपूर्ण है। पार्टी के संस्थापक शिबू सोरेन को संरक्षक का पद सौंपने के बाद हेमंत सोरेन को केंद्रीय अध्यक्ष बनने का अवसर मिला है। इस निर्णय ने पार्टी के अंदर एक नई ऊर्जा का संचार किया है। हेमंत सोरेन के नेतृत्व में झामुमो को आगामी चुनावों में बेहतर परिणाम मिलने की उम्मीद है। उनकी युवा और जोशीली टीम पार्टी को नए स्तर पर ले जाने के लिए पूरी तरह से तैयार है।

यह बदलाव न केवल झामुमो के लिए, बल्कि झारखंड की राजनीति के लिए भी बड़ा संकेत है। हेमंत सोरेन की लीडरशिप में पार्टी अपने एजेंडे को नए तरीके से प्रस्तुत करेगी। राज्य में युवाओं की बढ़ती सक्रियता, खासकर हेमंत सोरेन के नेतृत्व में, भविष्य में राज्य के विकास और राजनीतिक दिशा को निर्धारित करेगी।

पार्टी का भविष्य और गुरुजी की भूमिका

हालांकि अब शिबू सोरेन पार्टी के संस्थापक संरक्षक बन गए हैं, उनकी भूमिका पार्टी में और राज्य की राजनीति में बहुत अहम रहेगी। गुरुजी की राजनीतिक दृष्टि और नेतृत्व का कोई मुकाबला नहीं हो सकता। वे पार्टी के मार्गदर्शक के रूप में कार्य करते रहेंगे, जिससे पार्टी को अपनी ऐतिहासिक विरासत और संघर्ष से जुड़ी दिशा मिलती रहेगी।

झामुमो की यह ऐतिहासिक बैठक और संगठनात्मक बदलाव राजनीतिक दृष्टिकोण से झारखंड और भारतीय राजनीति में एक नई दिशा को संकेत देते हैं। क्या हेमंत सोरेन के नेतृत्व में झामुमो अपना इतिहास दोहराएगा या नया इतिहास बनाएगा, यह आने वाले समय में स्पष्ट होगा।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।