Jamshedpur NCC Selection: संत नंदलाल स्मृति विद्या मंदिर में एनसीसी चयन शिविर, 50 कैडेट्स का हुआ चयन
जमशेदपुर के संत नंदलाल स्मृति विद्या मंदिर में एनसीसी चयन शिविर का आयोजन किया गया, जहां 112 में से केवल 50 विद्यार्थियों का चयन हुआ। जानिए चयन प्रक्रिया, मानदंड और एनसीसी से जुड़े अनकहे फायदे।

जमशेदपुर: सपनों की ड्रेस, परेड की गरिमा और देशसेवा की भावना से भरपूर NCC में शामिल होने की होड़ हर साल छात्रों में दिखाई देती है, लेकिन इस बार की चयन प्रक्रिया ने यह भी दिखा दिया कि इस गरिमा को धारण करने के लिए कड़ी कसौटी से गुजरना जरूरी है।
संत नंदलाल स्मृति विद्या मंदिर, जमशेदपुर के परिसर में 15 अप्रैल 2025 को आयोजित एनसीसी चयन शिविर में कक्षा 8वीं और 9वीं के 112 विद्यार्थियों ने भाग लिया, लेकिन केवल 50 कैडेट्स ही चयन प्रक्रिया की तमाम कसौटियों को पार कर पाए। इनमें भी सिर्फ 17 लड़कियां और 33 लड़कों को जगह मिली।
इतिहास से जुड़ाव:
नेशनल कैडेट कोर यानी NCC की शुरुआत 1948 में हुई थी, जिसका उद्देश्य युवाओं में अनुशासन, नेतृत्व और राष्ट्रभक्ति की भावना को बढ़ावा देना था। शुरुआत में यह सेना की भर्ती प्रक्रिया का हिस्सा था, लेकिन आज यह देश की सबसे बड़ी वर्दीधारी छात्र इकाई बन चुका है, जो न केवल रक्षा क्षेत्र के लिए बल्कि नागरिक जीवन के लिए भी युवाओं को तैयार करता है।
कैसे हुआ चयन?
शिविर की निगरानी कर रहे 37 झारखंड बटालियन के सूबेदार विनोद कुमार, हवलदार घनश्याम, और विद्यालय के एनसीसी अधिकारी डॉ. प्रसेनजीत कर्मकार ने चयन प्रक्रिया को अंजाम दिया।
चयन के दौरान छात्रों को इन बिंदुओं पर परखा गया:
-
ऊंचाई और वजन का संतुलन
-
शारीरिक शक्ति और सहनशक्ति
-
चिकित्सकीय फिटनेस
-
अनुशासन और व्यवहारिकता
-
शैक्षणिक और सह-शैक्षणिक प्रदर्शन
हर कदम पर ईमानदारी और सख्ती से की गई जांच के बाद ही नामांकन हुआ।
क्या मिला चयन के बाद?
चयनित कैडेट्स को एनसीसी के लक्ष्यों और उसके दो वर्षीय कोर्स की विस्तृत जानकारी दी गई। उन्हें बताया गया कि कैसे:
-
उन्हें अनिवार्य कैंप में भाग लेना होगा,
-
लिखित परीक्षा देनी होगी,
-
साप्ताहिक प्रशिक्षण का पालन करना होगा,
-
और अंत में एक प्रशंसनीय कैडेट बनना होगा।
इसके अलावा यह भी बताया गया कि एनसीसी का अनुभव न केवल सरकारी नौकरियों में लाभ देता है, बल्कि इससे आत्मविश्वास, नेतृत्व और टीम भावना भी विकसित होती है।
विद्यालय प्रशासन भी रहा सक्रिय
इस शिविर में विद्यालय प्रशासिका श्रीमती शोभा गनेरीवाल, एनसीसी सी.टी.ओ. सुदीप घोष और प्रधानाचार्या नीलकमल सिन्हा विशेष रूप से उपस्थित थीं।
प्रधानाचार्या ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा,
“एनसीसी सिर्फ एक कैडेट बनने का मौका नहीं, बल्कि देश के भविष्य निर्माण की नींव है। चयनित विद्यार्थियों को बधाई और उम्मीद है कि वे स्कूल, समाज और देश के लिए एक उदाहरण बनेंगे।”
छात्रों में उत्साह लेकिन साथ ही प्रतिस्पर्धा का भी दबाव
इस बार छात्राओं की भागीदारी विशेष रूप से चर्चा में रही। जहां एक ओर लड़कियों ने शारीरिक और मानसिक दृढ़ता दिखाई, वहीं कई योग्य छात्र अंतिम सूची से बाहर भी रह गए।
शिविर में शामिल एक छात्र ने कहा,
“हमने तैयारी तो की थी, लेकिन कुछ मिनटों की दौड़, एकदम सही पोजिशन और अनुशासन ही फाइनल चयन का आधार बना।”
जमशेदपुर में हुआ यह एनसीसी चयन शिविर सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि प्रतिभा, अनुशासन और समर्पण का एक सजीव उदाहरण बन गया। जो 50 छात्र इसमें सफल रहे, वे अब केवल विद्यार्थी नहीं, बल्कि भविष्य के राष्ट्र निर्माता हैं।
आने वाले वर्षों में इन कैडेट्स की सफलता यह तय करेगी कि वे NCC के “एकता और अनुशासन” के मंत्र को किस तरह अपने जीवन में उतारते हैं।
और बाकी छात्रों के लिए यह एक सबक है — अगर देश की सेवा करनी है, तो तैयारी पूरी और इरादे मजबूत होने चाहिए।
What's Your Reaction?






